Thursday, August 2, 2007

भोजन की ख़ुशी


पुरे देश से भुखमरी की खबरें आती रहती हैं , कालाहांडी पुराणी बात हो चली , महाराष्ट्र में किसान आत्महत्या कर रहे हैं , बुंदेलखंड में खेती का बुरा हाल है ऐसे में भूख क्यों ना बिके।
एक राष्ट्रीय हिंदी दैनिक के दिल्ली संस्करण में राधिफल निकला , लिखा था कि आज कुम्भ राशी वालों को बढ़िया भोजन मिलेगा । अब हालत यहाँ तक पहुच गई कि ज्योतिषियों को बताना पद रह है कि हिंदी अखबार पढने वालों में कुम्भ राशी वालों को खुश होने कि जरुरत है , क्योंकि आज उन्हें भरपेट बढ़िया खाना मिलने कि उम्मीद है । अबतक तो सरकारों पर ये आरोप लगते थे कि असंतुलित विकास के चलते महानगरों की ओर पलायन हो रह है । अब सरकार क्या करे जब देश के सारे भुखर राजधानी मे पहुच गए हैं । ज्योतिशियाँ कि समस्या ये है कि पहले तो तोते से कागज उठ्वाते थे जिसमे लिखा होता था कि आप करोड़पति बनने वाले हैं ,कचहरी के नजदीक का तोता मुकदमे जीतने की भविष्यवाणी करता था , लेकिन अब वो दिल्ली वालों को बतायेगा कि आज तुम्हे भरपेट भोजन मिल जायेगा ।
ये अलग बात है कि दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला जीं भी उत्तर प्रदेश की हैं और हिंदी के राजेंद्र यादव भी बाहर के हैं । इन्हें बुरा लगता है कि लोग दिल्ली आते हैं और दिल्ली को भुक्ख्र र बनाते हैं । क्या करें , विदेशी भारत को भूखा नंगा देश कहते हैं , और दिल्ली वाले उत्तर प्रदेश और बिहार को, और उत्तर प्रदेश और बिहार वाले कुछ जिलों को। लेकिन भविष्य बताने वालों को तो अपनी दुकान बचने के लिए अब दिल्ली के हिंदी अखबारों मे यही बताना पड़ेगा कि आज तुम्हे भरपेट भोजन मिल जायेगा, तभी चलेगी दुकानदारी।
किसी शायर ने दिल्ली के लिए ही शायद खास लिखा था ....
मेरी खता मुआफ , मैं भूले से आ गया यहां ।
वरना मुझे भी है खबर, मेरा नही है ये जहाँ । ।
सत्येंद्र प्रताप

3 comments:

Prem said...

kafi vidrohi tevar hain.
aap kuchh to iske liye kariye.

Prem said...

kewal bhashan hi denge ya phir kuchh ukhadenge bhi.

Satyendra PS said...

विरोध केवल ब्लोग पर करने के लिए होता है मित्र , बडे ब्लोग वाले हैं, सब ऐसे ही लिख रहे हैं।
अभी तो केवल भडास निकाल रहे हैं , कुछ करने की इच्छा भी है। आप लोगों का साथ रहा तो कुछ किया भी जाएगा ।