Sunday, December 2, 2007

चिलम का मजा ही कुछ और है



वाह दादा, क्या बात है। इस बुढ़उती में भी इतना लंबा कश। हो भी क्यों न। राजनीतिक रैली में जो भाग लेने आए हैं। लगता है, चाचा नेहरू और गांधी बाबा की याद अभी भी ताजा है।

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