Monday, September 29, 2008

बेलगाम कोसी से जूझ रहे लोग

सत्येन्द्र प्रताप सिंह / कुसहा/नेपाल September 04, 2008
कुसहा में तटबंध टूटने के साथ कोसी नदी ने रास्ता बदल लिया है। टूटे तटबंध से प्रतिदिन एक से दो लाख क्यूसेक तक पानी निकल रहा है।
वहीं भीमनगर बैराज से, जो पहले नदी का मुख्य रास्ता था, महज 15 से 20 प्रतिशत पानी बह रहा है। तटबंध पर अधिशासी अभियंता के। एन. सिंह के नेतृत्व में इंजीनियरों का एक दल टूटे तटबंध को और ज्यादा चौड़ा होने से रोकने में लगा है।साथ ही मजदूर बालू की बोरियों से कटाव रोकने की कोशिश कर रहे हैं। तटबंध पर बोल्डर लाया जा रहा है, जो ट्रकों से भरकर नेहरू पार्क से आ रहा है। इसके साथ ही एचसीएल (हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन लिमिटेड) का एक प्रबंधक इस कार्य को देख रहा है। धारा प्रवाह पानी बह रहा है और वह बाढ़ से डूबे इलाके में जा रहा है।

राज्य सरकार ने कोसी नदी से जुड़े रहे वरिष्ठ इंजीनियर नीलेंदु सान्याल की अध्यक्षता में उच्च सदस्यीय समिति का गठन किया है, जिसके सदस्य के.एन. लाल और वृजनंदन प्रसाद हैं। समिति का पहला उद्देश्य कटे हुए तटबंध को अधिक चौड़ा होने से रोकना और पानी की धारा को मूल दिशा की और ले जाना है। बाढ़ की हालत अगर बात करें बाढ़ पीड़ित इलाकों में पानी घटने की, तो जब टूटे तटबंध से कम पानी आता है या कोई सड़क तोड़कर पानी दूसरे इलाकों को डुबाता है, तो डूबे हुए इलाके में पानी घटता है। नई बनी नदी के पेट में तो अभी तूफानी गति से पानी बह रहा है। हालांकि यह पानी कुरसेला नामक स्थान से गंगा नदी में मिलने लगा है, जहां पहले भी कोसी का पानी गंगा से मिलता था।
'जब नदी बंधी' पुस्तक के लेखक और 'बाढ़ सुखाड़ मुक्ति अभियान' के सदस्य रणजीव का कहते हैं कि जब तक राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 31 को काटकर और उस पर पुल बनाकर रास्ता नहीं दिया जाएगा, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा,पूर्णिया के तमाम जिले लंबे समय तक डूबे रहेंगे। आने वाले हथिया और कान्हा नक्षत्र में (सितंबर-अक्टूबर में) जमकर बारिश होगी। उस समय यह पानी 2 लाख क्यूसेक के आंकड़े को भी पार करता है।

अभिशाप की वजह

फरक्का बैराज पर जमी गाद की वजह से भारी तबाही होती है, क्योंकि कोसी का पानी गंगा से जल्दी नहीं मिल पाता है। इस बार का संकट तो और गहरा है, क्योंकि नदी की नई धार को अपने मुताबिक निकलने का रास्ता बनाना है।

भ्रष्ट लोगों की चारागाह

महिषी विधानसभा क्षेत्र के स्थानीय नेता कपिलेश्वर सिंह कहते हैं कि कोसी का बांध भ्रष्ट नेताओं और अधिकारियों का अड्डा है, जहां करोडों का वारा-न्यारा होता है। यही कारण है कि नदी में बालू जमा हो रही है और तटबंध कमजोर हो चुके हैं।उन्होंने मांग की कि नई धारा पर भी बैराज बनाया जाना चाहिए और साथ ही भीमनगर के पुराने बैराज की मरम्मत और नदी की गाद की तत्काल सफाई की जानी चाहिए। इसी में इस इलाके के लोगों का हित है।

2 comments:

MANVINDER BHIMBER said...

umda jaakaari ke liye dhanyawaad

हिन्दुस्तानी एकेडेमी said...

आप हिन्दी की सेवा कर रहे हैं, इसके लिए साधुवाद। हिन्दुस्तानी एकेडेमी से जुड़कर हिन्दी के उन्नयन में अपना सक्रिय सहयोग करें।

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सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्रयम्बके गौरि नारायणी नमोस्तुते॥


शारदीय नवरात्र में माँ दुर्गा की कृपा से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हों। हार्दिक शुभकामना!
(हिन्दुस्तानी एकेडेमी)
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