Sunday, November 22, 2009

किसान, बेरोजगार सभी- लिब्रहान मसले पर हुए हिंदू और मुसलमान

कब्र में से लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट का जिन्न निकला और एक बार फिर किसान, मजदूर, गरीब, महंगाई से पीड़ित शहरी निम्न मध्य वर्ग हिंदू या मुसलमान हो गए। अब संसद में गन्ना किसान कोई मसला नहीं रह गए। बढ़ती महंगाई कोई मसला नहीं रह गई। किसानों को उनके उत्पादन का उचित दाम और जमाखोरी कोई मसला नहीं रह गया। करोड़ो का घपला करने वाले नेता पीछे छूट गए। अब मसला है तो सिर्फ लिब्रहान आयोग।
इंडियन एक्सप्रेस में लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट प्रकाशित हो गई। इसमें अटल, आडवाणी, जोशी और कल्याण सिंह को दोषी ठहराया गया। जो रिपोर्ट संसद में पेश की जानी थी, अखबार में पेश हो गई। सही कहें तो यह मसला इस समय कोई मसला ही नहीं था।
असल मसला तो यह था कि चीनी लाबी के खिलाफ तैयार हो रहे जनमत को भ्रमित करना था। प्रदर्शनकारी किसानों का उत्पात, दारू पीते लोगों की फोटो, दारू की खाली बोतलें दिखाए जाने पर भी मुद्दे से भटकाव नहीं हुआ था। आम जनता लूट के खिलाफ एकजुट हो रही थी और वह कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थी। ऐसे में कांग्रेस ने लिब्रहान आयोग का पासा फेंक दिया। पुराने सत्ताधारी हैं। बाजी कैसे खाली जाती। संसद ठप। अब हर गली- चौराहे पर सिर्फ एक ही चर्चा। बाबरी किसने ढहाई? कुछ कहेंगे भाजपा दोषी, कुछ कहेंगे कांग्रेस दोषी। हालांकि इस मसले से किसी के पेट में रोटी नहीं जानी है। किसी किसान का पेट नहीं भरना है। किसी बेरोजगार को रोजगार भी इस मसले से नहीं मिलने वाला है। लेकिन यह सही है कि यह पीड़ित तबका लिब्रहान आयोग और बाबरी पर चर्चा करके अपना पेट भर लेगा। किसानों का गेहूं १० रुपये किलो खरीदकर उन्हीं को २० रुपये किलो आटा देने और २० रुपये किलो अरहर खरीदकर १०० रुपये किलो अरहर का दाल देने वाले लोग फिर बचकर निकल जाएंगे। देश की जनता अब या तो हिंदू हो जाएगी, या मुसलमान। गरीब, किसान, शोषित, पीड़ित, दलित औऱ बेरोजगार कोई नहीं रहेगा।
हां इससे कांग्रेस को फायदा जरूर हो जाएगा। उन्हें पता है कि ये मुद्दा मर चुका है, जिससे भाजपा लाभ नहीं उठा सकती। इसकी प्रतिक्रिया में कांग्रेस को जरूर थोड़ा फायदा हो जाएगा। मसले की प्रतिक्रिया से कम, असल मुद्दों से भटकाव और आक्रोश की दिशा बदलने का फायदा कांग्रेस को जरूर मिलेगा। भाजपा एक बार फिर गलत मसला उठाकर जनता की नजर में कमजोर साबित हो जाएगी।

9 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

बिलकुल सही!
ये मसले पैदा ही इस लिए किए जाते हैं कि जनता को जनता न रहने दिया जाए।

NILKAMAL SUNDRAM said...

accha hai, bahut sahi likha hai.

Unknown said...

इसीलिये कहते हैं सिर्फ़ कांग्रेस को वोट दो… :) महारानी की जय-जयकार करो, युवराज की तारीफ़ें करो… जन्म सफ़ल होगा…। काहे हमारी तरह खून जलाते हो… ये देश और देश के लोग ऐसे ही रहेंगे…

Satyendra PS said...

सुरेश जी, लोग मजबूर हो जाते हैं कांग्रेस को वोट देने के लिए। क्या करें आखिर? भारतीय जनता पार्टी ही अभी तक मुख्य विपक्ष है, जो वैचारिक विकलांगता के दौर से गुजर रही है। कभी जिन्ना को आदर्श बनाने की कोशिश करती है, कभी सुभाष को, कभी किसी और को....
हाल-फिलहाल की देखें तो कांग्रेस ने सारे मसले छोड़कर सिख दंगों का झुनझुना भाजपा को पकड़ा दिया, जिसे वह बजाती रही। कांग्रेस को पता था कि इसका प्रभाव पंजाब या दिल्ली की दो-चार सीटों पर पड़ जाएगा, लेकिन अगर महंगाई और बेरोजगारी का मसला उठा तो देश भर में पार्टी का सत्यानाश होगा। वही हाल महाराष्ट्र चुनाव में हुआ। भाजपा की दंगा ब्रिगेड को कांग्रेस ने तोड़ दिया और एक धड़े को खूब शह दी, उससे सारे उत्तर भारतीयों को पिटवाया। सारा हिंदुत्व कूड़े की टोकरी में चला गया। भाजपा ढक्कन हो गई। कांग्रेस के नकारेपन और मुंबई हमले जैसे मसले गौड़ हो गए। ब्लास्ट के समय कोट बदलने वाले और फिल्म के लिए स्पॉट देखने जाने वाले लोग सफल हो गए।
अब एक बार फिर कांग्रेस ने लिब्रहान आयोग का झुनझुना पकड़ा दिया है और नासमझ हाफ पैंटी और भाजपाई इसे लेकर बजाते रहेंगे।
ऐसे में जनता कहां जाए, हर एक आदमी तो अपनी पार्टी बना नहीं सकता और बना भी ले तो वो कांग्रेस का सशक्त विपक्ष नहीं होगा, ऐसा ही तो कांग्रेस करती रही है।

Unknown said...

जिंदगी के रंग देख सोचने पर मज़बूर होना ही पड़ता है। आपकी सोच और छिपा गुस्सा तमाम किसानों की आवाज़ है।

Unknown said...

जिंदगी के रंग देख सोचने पर मज़बूर होना ही पड़ता है। आपकी सोच और छिपा गुस्सा तमाम किसानों की आवाज़ है।

Unknown said...

भाई, कांग्रेस को अंग्रेजों ने बनाया था तो कांग्रेस अंग्रेजों की नीति "फूट डालो और राज करो" को भला कैसे भूल सकती है?

Gyan Dutt Pandey said...

सत्रह साल मजे किये लिब्रहान जी ने। उनकी बनाई रपट पर चर्चा भी न हो?! :(

रंजीत/ Ranjit said...

sahi tipannee