Tuesday, January 18, 2011

फिर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा युवक-२

गोरखपुर के निकट नेपाल की सीमा से सटे इलाके में फिर एक बच्चे की जान चली गई। कल की पोस्ट में भी कुछ खास नहीं था, आज भी नहीं है। इस बार बच्चे ने आत्महत्या नहीं की है, बल्कि सिर्फ वह वसूली के डर से भागने में जान दे बैठा। दरअसल नेपाल सीमा पर रहने वाले लोगों पर अक्सर खाद की तस्करी के आरोप लगते हैं। सब कुछ सुरक्षा बलों के संरक्षण में होता है, लेकिन अगर उनका हिस्सा न दिया जाए तो वे कुछ भी कर देते हैं। जेल में डालने से लेकर जान देने तक। हालांकि अगर देखा जाए तो खाद इधर-उधर करने वाले कुछ तो किसान होते हैं और कुछ गरीब लोग, जो सौ पचास रुपये कमाई के लालच में खाद इधर उधर करते हैं। लेकिन उस पचास की कमाई में पचीस रुपये पुलिस को भी चाहिए होते हैं। इसमें अगर किसी किसान का बेटा अपने खेत में भी खाद लेकर जा रहा हो और पुलिस पहुंच जाए तो उसकी शामत आ जाती है।
महराजगंज जिले के नौतनवा थाना क्षेत्र के मुडि़ला गांव में एसएसबी जवानों के खौफ से सत्रह वर्षीय मोनू डांडा नदी में कूद गया। मुडि़ला गांव का सत्रह वर्षीय मोनू पुत्र राम बचन यादव सुबह सात बजे साइकिल पर खाद लाद कर डांडा नदी की ओर जा रहा था। इसी दौरान पेट्रोलिंग करते हुए एसएसबी के जवान वहां पहुंच गए। खाद देखकर वह मोनू को तस्कर समझ कर लाठियों से पीटने लगे। जान बचाने के लिए मोनू ने नदी में छलांग लगा दी। निकलने का प्रयास करने पर एसएसबी जवानों ने मोनू पर राइफल तान दिया। अंतत: मोनू की मौत हो गयी।
सूचना मिलते ही ग्रामीण नदी की ओर भागे। शव को बाहर निकाला। इसके बाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर शव रख कर जाम लगाया। ग्रामीण मांग कर रहे थे कि जब तक आरोपी जवानों की गिरफ्तारी नहीं होगी, जाम समाप्त नहीं होगा।
एसएसबी जवानों की ज्यादती से मोनू की हुई मौत के बाद शव के साथ विरोध कर रहे ग्रामीणों के साथ पुलिस भी सख्ती से पेश आयी। उन्हें खदेड़ने के लिए लाठियां भांजी। जवाब में ग्रामीणों ने भी ईट-पत्थर चलाए। जाम स्थल पर एसएसबी कमांडेंट ललित कुमार के पहुंचते ही ग्रामीण नारेबाजी करने लगे। इस पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठियां पटकीं।

2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

भ्रष्टाचार न रुका तो ताण्डव मचेगा एक दिन।

satyendra said...

प्रवीण जी, पता नहीं कब वह तांडव मचेगा। यहां तो भ्रष्टाचार बढ़ता है, फिर घटता है.... ये सिलसिला यूं ही चलता रहता है। अब कोई कौटिल्य पैदा हो जाए तो अलग बात है, जो धनानंद को गद्दी से उतार कर चंद्रगुप्त को राजा बना दे।