Thursday, March 17, 2011

अगर खेती को कारोबार बनाया जाये...

सत्येन्द्र प्रताप सिंह

बलिया के नवीन कुमार किसान हैं. उन्होंने इंजीनियरिंग की पढाई की. उसके बाद गांव लौटे तो सोचा कि खेती करें. उन्होंने कुछ दिन तक खेती करने के बाद ही जान लिया कि ये घाटे का सौदा है. हालत यह हुई कि वे फिर इंजीनियरिंग की दुनिया में लौटने को मजबूर हो गए.

इस समय यह निकल कर सामने आ रहा है कि खेती को अगर कारोबार के रूप में किया जाये तो किसानों का मुनाफा बढ़ेगा. कुछ इस तरह की अवधारणा बन गई है कि कारोबार मतलब ज्यादा मुनाफा. कारोबार में मुनाफा होता है, और खूब होता है. खेती में नहीं, जबकि दोनों निवेश करते हैं, उत्पाद तैयार करते हैं और उसे बाजार में बेचते है.

आइये खेती को कारपोरेट फार्मिंग या कारोबार में बदल कर देखें. मेरे पास २० एकड़ जमीन है. उस पर मैं गेहूं बोता हूँ. गेहूं का उत्पादन होने के बाद मेरा लक्ष्य है कि उसकी उत्पादन लगत १५ रूपये किलो पड़ी है तो उसे बाजार में मुझे ३०० प्रतिशत मुनाफे पर बेचना होगा. यानि ४५-६० रुपये प्रति किलो. मैंने अपने मीडिया सेल से कहा कि एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित करो. पत्रकारों का सारा प्रबंध करने के बाद मैंने लक्ष्य रखा कि उस गेहूं को मैंने बेच दिया है, और शुद्ध मुनाफा ३० प्रतिशत और सकल मुनाफा ६० प्रतिशत रहेगी. बहरहाल.. व्यवस्था ऐसी कि खबर छाप दी गई.

उधर शेयर बाजार में २० एकड़ खेत की लिस्टिंग भी है. शेयर बाजार में शेयर की कीमतों में १० प्रतिशत की बढोतरी हो गई. कीमतें प्रति शेयर १०० रुपये से बढ़कर ११० रुपये प्रति शेयर हो गईं. लेकिन १० प्रतिशत बढ़ोतरी से कुछ फायदा नहीं. कम से कम शेयरों की कीमतों में ३०-४० प्रतिशत की बढ़ोतरी होनी चाहिए थी. मज़ा नहीं आया. फिर मीडिया सेल को बुलाया. पत्रकार जुटे. पत्रकार मित्रों... बाजार में बेहतर प्रतिक्रिया आ रही है. कारोबार का लक्ष्य पूरा हो रहा है. अगले साल के लिए हमारी कंपनी ने लक्ष्य रखा है २० एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाये और उसमे चने की खेती की जाए.

बाजार फिर खुश हुआ. शेयर की कीमतों में १० प्रतिशत की बढोतरी हुई. फिर भी मज़ा नहीं आया. शायद कुछ लोगों को संदेह है कि कंपनी सिर्फ हवाबाजी कर रही है, इसलिए निवेश करने से हिचक रहे है. शेयर की कीमतें अगर ३ महीने के भीतर १८० रुपये प्रति शेयर नहीं गईं तो मुनाफा संतोषजनक नहीं है. कंपनी के अधिकारीयों की एक आपातकालीन बैठक में मैंने तय किया है कि इनसाइडर ट्रेडिंग की जाये. अचानक कंपनी के शेयर १२२ रूपये से बढ़कर १४० रुपये पहुच गए. जो लोग संदेह करते थे, उनका कंपनी से संदेह दूर हो गया. अब शेयर फिर बिकने लगे. ये क्या? कंपनी के शेयर तो १९० रुपये पर पहुच गए. अब वक्त है. कंपनी से पैसा खीच लिया जाये. इनसाइडर ट्रेडिंग का पैसा निकलते ही शेयर की कीमतें १२० रूपये प्रति शेयर पर आ गईं. फिर एक प्रेस कांफ्रेंस. मीडिया के मित्रों, कंपनी की स्थिति बहुत मज़बूत है, बाज़ार में अफरातफरी, अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव और करेक्शन के चलते शेयर गिरे हैं. इसमें चिंता की कोई बात नहीं है. हाँ, मैंने आपको अपनी नई योजना की जानकारी देने के लिए बुलाया है. हमारी सरकार से बात चल रही है. कर्णाटक में कंपनी ने ५० एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने की योजना बनाई है. हमारी योजना है कि कर्णाटक में कपास का उत्पादन किया जाये.

.... जारी..शेष फिर कभी.

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

धन की माया नही समझ आती है।