Tuesday, April 5, 2011

ताकि सनद रहे....

सत्येन्द्र प्रताप सिंह

अन्ना हजारे में ७३ साल की उम्र में भी जोश है. मेरा उन्हें पूरा समर्थन है. समर्थन देने के लिए मैं सुबह सबेरे जंतर-मंतर पहुच गया. तब तक जाऊंगा, जब तक वो बैठे रहेंगे. दादा चाहते हैं कि भ्रष्टाचार खत्म हो. मेरे मन में कुछ सवाल उमड़-घुमड़ रहे हैं, उसका जवाब खोज रहा हूँ.

१- दादा, आप चाहते हैं कि भ्रष्टाचार खत्म हो, मैं भी चाहता हूँ. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी चाहते हैं. सोनिया गाँधी भी चाहती हैं. साथ में राजनाथ सिंह भी चाहते है. बिहार वाले सुशील मोदी और शरद यादव भी चाहते है. यहाँ तक कि बिहार वाले पप्पू यादव भी आपके समर्थन में हैं. कुल मिलाकर सत्तापक्ष और विपक्ष आम जनता सभी चाहते हैं कि भ्रष्टाचार खत्म हो, फिर आपको आमरण अनशन क्यों करना पड़ रहा है?


२- हमारे नेता मुरली मनोहर जोशी आजकल २जी घोटाले के सिलसिले में लोगों से पूछताछ कर रहे हैं. सोमवार को वे टाटा से मिले, नीरा राडिया से भी. टाटा से जब पूछा गया कि आपके मुताबिक २जी में कितने का घोटाला हुआ, तो वे कहते हैं कि जो घोटाला हुआ ही नहीं, उसकी राशि कहाँ से बता दूं कि कितने का घोटाला हुआ? हमारे जोशी जी कहते हैं कि नीरा कुछ नहीं बताती, टाटा जी ने सब कुछ सही सही बताया. आखिर जो महिला उनके लिए काम करती है, और उसके एवज में पैसा लेती है वो गलत है, और टाटा सही हैं, ये कैसे हो जाता है?


३- २जी में सरकार ने २ लाख करोड़ रूपये का स्पेक्ट्रम १०-१२ हजार करोड़ में कारोबारियों को दे दिया. उसमे से एक कारोबारी ने तो ४०० करोड़ में खरीदे गए स्पेक्ट्रम का महज आधा हिस्सा अपने विदेशी सहयोगी को १५०० करोड़ रुपये में बेंच डाला. सरकार और कारोबारी कहते हैं कि इसमें कोई घोटाला हुआ ही नहीं. कोई घूसखोरी भी नहीं हुई. कोई कानून भी नहीं टूटा. कोई भ्रष्टाचार भी नहीं हुआ. सब नियम के मुताबिक ही हुआ है.. अगर किसी ने ऐसे मामले में रिश्वत न ली हो और अगर लोकपाल आ जाए तो वो क्या करेगा? इसे कैसे रोकेगा, जो सब कुछ क़ानून के मुताबिक हो रहा है? आजकल मैंने इसे सांस्थानिक और कानूनी लूट का नाम दिया है.


४- लोकपाल की नौटंकी भारत में १९६६ से चल रही है.१९६८ में विधेयक आया. आख़िरी बार २००५ में आया. ठीक है कि ये केन्द्र में नहीं है. लेकिन महाराष्ट्र (१९७२), बिहार (१९७४), उत्तर प्रदेश (१९७७) मध्य प्रदेश (१९८१), आंध्र प्रदेश (१९८३), हिमाचल प्रदेश (१९८३), कर्नाटका (१९८४), असम (१९८६), गुजरात (१९८८), दिल्ली (१९९५) पंजाब (१९९६) केरल (१९९८) छत्तीसगढ़ (२००२), उत्तराँचल (२००२), पश्चिम बंगाल (२००३) और हरियाणा (२००४) में लोकायुक्त हैं. ये आजतक क्या कर पाए है? आप कहते हैं कि सामाजिक संस्थाओं से उसमे सदस्य हों तो कुछ ठीक हो. आपके अगल-बगल जो नारे लगा रहे थे, हो सकता है वो सदस्य भी हो जाएँ, लेकिन नियुक्ति तो इसी सरकार को करनी है न?


५- अगर रिक्शेवाले के लिए सरकार ने वैशाली से आनंद विहार का किराया ३० रूपये तय कर दिया है तो वो अगर ३५ रूपये ले लेता है, सिर्फ यही भ्रष्टाचार है क्या? अगर छत्तीसगढ़ में आदिवासियों से जमीन छीनकर महज १ लाख रूपये में लौह अयस्क के खनन के लिए कारोबारियों को पट्टा दे दिया जाता है तो वो गुनाहगार नहीं होता, क्योकि वो सब कुछ कानून के मुताबिक होता है, ये जायज है क्या? और तब किस मुंह से हम रिक्शेवाले को कहें कि तुम ५ रूपये ज्यादा लेकर भ्रष्टाचार कर रहे हो?

6-देखिये न. मुझे बड़ी तकलीफ हो रही है. दादा आप धरने पर बैठे है. उधर झारखण्ड की राजधानी रांची में एक मोहल्ला है इस्लामनगर. वहां के घरों में करीब बीस हजार लोग रहते हैं. रांची राजधानी नहीं बनी थी उसके पता नहीं कितना पहले से ये रहते है. लेकिन सरकार कहती है कि ये मकान गैरकानूनी है. ये लोग अवैध हैं. वहां के उच्च न्यायालय ने भी कहा कि इनसे जमीन खाली कराओ तभी शहर सुन्दर होगा. करीब २-२ पीढ़ियों की कमाई इन्होने अपने घर पर छत उठाने के लिए लगा डाली. सरकार जब उनके सीने पर बुलडोजर चलाने पहुची तो वे उग्र होकर मरने-मारने पर उतारू हो गए. उन्होंने गैर कानूनी काम किया और पुलिस ने गोली चला दी, १ ढेर हो गया और २ जिंदगी-मौत से जूझ रहे है. सरकार के मुताबिक उन इस्लामनगर के गरीबों ने भ्रस्ट आचरण किया..गैर कानूनी काम किया. लोकायुक्त किसे रोकेगा? सरकार को या सरकार की नजर में अवैध रूप से रह रहे इन गरीबों को?

७- एक बात और. आपका लोकपाल क्या समानांतर सरकार होगा? अगर चुने हुए प्रतिनिधि पर भरोसा नहीं है तो आखिर आपवाले पर भरोसा कैसे कर लें.. मान लेते हैं कि आप वाला ईमानदार होगा.. तो जब हर थाना क्षेत्र से बोरे में भरकर शिकायतें आने लगेंगी तो उसे आपका लोकपाल कैसे पढ़ेगा. क्या उन आवेदनों को पढ़ने और ढोने के लिए एक समानांतर पुलिस, न्याय व्यवस्था होगी... और वो पूरी व्यवस्था का खर्च, उसका संचालन कौन करेगा...


दादा, मैं फिर भी आपका समर्थन करूँगा, क्योंकि आप नेक काम कर रहे हैं. मैं आपके समर्थन में धरने पर भी आऊंगा. नहीं तो आप कहेंगे कि अगर इस देश का युवा साथ देता तो बदलाव हो जाता, भ्रष्टाचार इस देश से मिट जाता. मैंने फोटो भी खींच ली है, आपके साथ. मौका मिलेगा तो और फोटो खींच लूँगा. ताकि सनद रहे....

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

प्रश्न गूँजते हैं।