Saturday, May 7, 2011

अस्तित्व के लिए खूनी जंग

यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के लिए अधिगृहीत जमीन के बदले में अधिक मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलनरत किसानों द्वारा बंधक बनाए गए रोडवेज कर्मचारियों को छुड़ाने गई पुलिस व किसानों में शनिवार को जमकर संघर्ष हुआ। गोलीबारी में दो पुलिसकर्मियों तथा दो किसानों की मौत हो गई। घटना में गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी, एसएसपी व सिटी मजिस्ट्रेट समेत दो दर्जन पुलिसकर्मी व किसान घायल हो गए। भट्ठा गांव में खूनी संघर्ष शुक्रवार से बंधक बनाए गए रोडवेज के तीन कर्मचारियों की रिहाई को लेकर हुआ।

१११ दिन से चल रहा है धरना
यमुना एक्सप्रेस-वे में जमीन अधिग्रहण से प्रभावित किसान 17 जनवरी 2011 से भट्ठा पारसौल गांव में धरना दे रहे हैं। शुक्रवार प्रात: किसानों ने जहांगीरपुर तक बस चलाने के लिए रूट का सर्वे करने जा रहे रोडवेज के तीन कर्मचारियों को भट्ठा में बंधक बना लिया था। कर्मचारियों की रिहाई को लेकर जिला प्रशासन की शनिवार सुबह से किसानों से सीधी वार्ता चल रही थी। किसान अधिग्रहण संबंधित चार सूत्रीय मांगों के लिए सीधे मुख्यमंत्री से वार्ता करने पर अड़े हुए थे। शनिवार को जिला प्रशासन ने किसानों से तीनों कर्मचारियों की रिहाई की अपील की। किसान कर्मचारियों को रिहा करने के लिए तैयार नहीं हुए। किसानों के अडि़यल रुख को देख कर प्रशासन ने कार्रवाई का निर्णय लिया।
और शुरू हो गई लाठी के दम पर मनाने की कोशिस
अपराह्न करीब डेढ़ बजे जिलाधिकारी दीपक अग्रवाल व एसएसपी एसएन सिंह के नेतृत्व में पुलिस और
पीएसी धरनास्थल पर पहुंच गई। पुलिस ने पहुंचते ही लाठीचार्ज शुरू कर दिया। इससे एकबारगी किसानों में भगदड़ मच गई। लेकिन जल्द ही किसानों ने पुलिस के खिलाफ मोर्चा संभाल लिया। उन्होंने पहले पथराव फिर गोलीबारी शुरू कर दी। जिलाधिकारी दीपक अग्रवाल पैर में गोली लगने से घायल हो गए। डीएम के घायल होते ही अधिकारी, पुलिस व पीएसी के जवान भाग खड़े हुए। किसानों ने भागते पुलिसकर्मियों पर गोली व पथराव करना शुरू कर दिया। इसी दौरान किसानों ने तीन पुलिसकर्मियों को भी बंधक बना लिया तथा कुछ अन्य को बुरी तरह से लाठियों से पीटा। किसानों के हमले में स्याना- बुलंदशहर के सीओ के गनर मनोहर सिंह व आईजी रजनी कांत के गनर मनवीर सिंह की मौत हो गई।
इस दौरान एसएसपी सूर्यनाथ सिंह, सिटी मजिस्ट्रेट संजय चौहान, सीओ राहुल कुमार समेत आधा दर्जन पुलिसकर्मी घायल हो गए। संघर्ष में आधा दर्जन किसान भी घायल हो गए। कुछ घायलों को तुरंत ग्रेटर नोएडा के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया।

भाग निकले बंधक बने अधिकारी!
भगदड़ का फायदा उठाकर शुक्रवार से बंधक बनाए गए तीनों रोडवेज कर्मचारी भी भाग खड़े हुए, लेकिन वे बाहर नहीं निकल पाए और फिर से गांव वालों के हत्थे चढ़ गए। बंधकों को रिहा कराने के लिए अपराह्न चार बजे मंडलायुक्त भुवनेश कुमार व अपर पुलिस महानिदेशक गुरबचन लाल ने मौके पर पहुंच कर किसानों पर बलप्रयोग का निर्देश दिया। पुलिस व पीएसी बमुश्किल किसानों के खिलाफ कार्रवाई करने को तैयार हुई। पुलिस ने भट्ठा व परसौल गांव को चारों तरफ से घेर लिया। दोबारा पुलिस व पीएसी गांवों में घुस कर किसानों पर लाठियां भांजनी शुरू कर दी। किसानों ने भी पथराव शुरू कर दिया व गोलियां चलाई। तब पुलिस ने भी जवाब में जोरदार फायरिंग की। इस दौरान गोली लगने से भट्ठा गांव के राजवीर (50) व एक अन्य किसान की मौत हो गई। किसानों ने टेलीफोन एक्सचेंज में आग लगा दी। गांव में भारी संख्या में पुलिस को देख किसान घर छोड़कर भाग खड़े हुए।

हिंसक भिड़ंत के दौरान देर शाम गांव के कच्चे मकानों में आग लग गई। आग ने धीरे-धीरे आधे गांव को अपनी गिरफ्त में ले लिया। पुलिस कार्रवाई के दौरान एक मंदिर में बंधक तीनों पुलिस कर्मियों को रिहा करा लिया गया साथ ही गांव के एक अन्य मकान से तीनों रोडवेज कर्मी भी छुड़ा लिए गए। पुलिस ने मौके से 16 किसानों को हिरासत में लिया है।

तेवतिया भी घोषित हो चुके हैं अपराधी!
भगदड़ के दौरान किसान नेता मानवीर सिंह तेवतिया फरार हो गए। पुलिस देर रात तक आंदोलनकारियों की तलाश में घर-घर तलाशी ले रही थी। शासन ने तेवतिया की गिरफ्तारी पर 50 हजार का इनाम घोषित किया है। प्रशासन की तरफ से दो पुलिसकर्मियों व दो किसानों की मौत की पुष्टि की गई है। देर रात तक पुलिस व पीएसी आसपास गांवों में डेरा डाले हुई थी। मौके पर एडीजी गुरुबचन सिंह, आईजी रजनी कांत मिश्रा व मंडलायुक्त भुवनेश कुमार पहुंच कर मोर्चा संभाले हुए हैं। गांव को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है। इस घटनाक्रम पर मंडलायुक्त भुवनेश कुमार का कहना है कि बंधकों को छुड़ाने के लिए किसानों से अपील की गई थी, लेकिन उन्होंने अडि़यल रवैया अपनाए रखा। शनिवार को भी प्रशासन वार्ता के लिए गांव में पहुंचा था पर गांव वालों की ओर से पथराव और गोलीबारी शुरू हुई। मजबूरी में प्रशासन को जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी।

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

कब्जे की जंग जारी है,
जनता तो है,
सुना है बेचारी है।