Sunday, June 5, 2011

"आदिवासी नेताओं को जिंदा जलते देखती रही पुलिस"

न्यायिक जांच रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि आदिवासी आंदोलन के दौरान यहां से 60 किमी दूर बल्ली गांव में गुस्साई भीड़ ने दो आदिवासी नेताओं को जिंदा जला दिया था और इस पूरे प्रकरण के दौरान वहां मौजूद पुलिस मूकदर्शक बनी रही थी।
गोवा के मुख्य सचिव को गुरूवार की रात को सौंपी गई रिपोर्ट ने पुलिस विभाग को कटघरे में खड़ा कर दिया है। रिपोर्ट तैयार करने वाले न्यायाधीश मिहिर वर्धन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 25 मई को आदिवासियों की भीड़ से निबटने के लिए पुलिस काफी नहीं थी लेकिन स्थानीय भीड़ द्वारा दो नेताओं को आग में फेंकने की घटना के दौरान पुलिस अधिकारी मूकदर्शक बने रहे।
बल्ली में सरकारी नौकरियों में आरक्षण सहित कई मांगें कर रहे गांवकर और वेलिप आदिवासियों का प्रदर्शन हिंसक हो गया था और आंदोलनकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग 17 को रोक दिया था। जवाब में स्थानीय भीड़ ने दो आदिवासी नेताओं मंगेश गांवकर और दिलीप वेलिप को कथित रूप से जिंदा जला दिया।
यूनाइटेड ट्राइबल एसोसिएशन एलाइंस :यूटीएए: ने आरोप लगाया था कि पुलिस की उपस्थिति में उसके दो नेताओं की हत्या की गई। गोवा पुलिस के प्रवक्ता आत्माराम देशपांडे ने हालांकि इस दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया था। न्यायिक जांच में हालांकि कहा गया कि दोनों नेताओं की पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति में हत्या की गई। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि यूटीएए कार्यकर्ताओं पर हमला एक सुनियोजित साजिश थी। यूटीएए ने यह भी दावा किया था कि पुलिस ने भीड़ पर डंडे चलाए जबकि ए लोग सरकार द्वारा मांगें पूरी होने का आश्वासन मिलने के बाद शांतिपूर्वक वापस जा रहे थे।
न्यायिक जांच में कहा गया कि पुलिस खुफिया विभाग पूरी तरह से नाकाम रहा जिससे अव्यवस्था फैली। वर्धन ने कहा कि चूंकि कोई खुफिया सूचना नहीं थी, पुलिस की उपस्थिति बहुत कम थी। रिपोर्ट में यूटीएए नेताओं की गलतियों पर भी प्रकाश डाला गया और आदिवासी कार्यकर्ताओं पर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और पुलिसकर्मियों पर हमला करने का आरोप लगाया गया।
(भाषा, पणजी, पांच जून 2011)

1 comment:

गजेन्द्र सिंह भाटी said...

Thank you satyendra ji.

I saw your comment today which you wrote in april at www.apnaakhar.blogspot.com. It was about Ustad Bismillah Khan Saheb's sad demise.

I still get emotional reading the instant reaction I had at that point in time. Really what a great man he was. I am happy to talk to a person like you, who'd met khan saheb.

Regards.