tag:blogger.com,1999:blog-3124261744486772692.post4144999516275375613..comments2023-06-19T02:39:24.462-07:00Comments on जिंदगी के रंग: समलैंगिकों के लिए होटल ???Satyendra PShttp://www.blogger.com/profile/06700215658741890531noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3124261744486772692.post-47094801501309177982007-11-18T09:19:00.000-08:002007-11-18T09:19:00.000-08:00प्रकृति के साथ खेलने का शौक मनुष्य का बहुत पहले से...प्रकृति के साथ खेलने का शौक मनुष्य का बहुत पहले से रहा है। वह कभी भी प्रकृति से संतुष्ट नहीं हो सका , इसलिए अपने दायरे में क्षमताओं के अनुरूप प्रकृति को गढ़ने का प्रयास किया है। लेकिन भूख और सेक्स पर वह काबू नहीं कर सका। ऐसे में इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रयास करना तो जायज लगता है, लेकिन विकृत मानसिकता के संदर्भ में यह कहां तक उचित होगा?sanjithttps://www.blogger.com/profile/05167472218911945788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124261744486772692.post-84645718055882476142007-11-08T06:39:00.000-08:002007-11-08T06:39:00.000-08:00दुनिया खेल तमाशा....क्या करियेगा.दुनिया खेल तमाशा....क्या करियेगा.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com