tag:blogger.com,1999:blog-3124261744486772692.post4897990077026879314..comments2023-06-19T02:39:24.462-07:00Comments on जिंदगी के रंग: क्या सरकारों में नक्सलवाद रोकने के लिए नैतिक बल है?Satyendra PShttp://www.blogger.com/profile/06700215658741890531noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-3124261744486772692.post-49306094680747715222009-10-10T05:28:51.127-07:002009-10-10T05:28:51.127-07:00ham panee gujar jaane ke baad hee jagte hain bhaiy...ham panee gujar jaane ke baad hee jagte hain bhaiya. yad kijiye na- vactria,hoon, kusan, shak,changez, Gauree, palasee ko ...रंजीत/ Ranjithttps://www.blogger.com/profile/03530615413132609546noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124261744486772692.post-12294804673357028592009-10-10T04:18:28.569-07:002009-10-10T04:18:28.569-07:00बहुत हल्ला मचा रहे हैं, वोट किसको देते हैं सत्येन्...बहुत हल्ला मचा रहे हैं, वोट किसको देते हैं सत्येन्द्र बाबू ?.....रही एक ज़नाब की यह बात कि... बल तो बहुत है लेकिन नैतिकता .... तो ज़ाहिर है साहब कि बोली बीजेपी और कांग्रेस के सियारों जैसी लग रही है.....एक साहब सोनभद्र में नक्सलियों से मिल कर आये हैं लेकिन उन्हें वो बच्चे नहीं दिखे होंगे जिन पर बीजेपी के बयान बहादुरों ने पोटा लगा दिया था.....इष्टदेव जी, क्षमा करें लेकिन असर हो गया है आप पर जागरण के महंतों का नहीं तो ऐसी हल्की टिपण्णी तो नहीं ही करनी चाहिए थी मानो दिलीप कुमार nsd के किसी रंगरूट को प्रवचन दे रहे हों...pururava akhileshhttps://www.blogger.com/profile/06711307362592653899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124261744486772692.post-36210639970449033742009-10-10T02:58:49.403-07:002009-10-10T02:58:49.403-07:00ग़लत बात है न! सरकार को छोड़ देने चाहिए थे कुछ नक्सल...ग़लत बात है न! सरकार को छोड़ देने चाहिए थे कुछ नक्सली. अगर मुफ्ती मुहम्मद सईद की बेटी के लिए आतंकवादी छोड़े जा सकते हैं (जो देश के किसी काम की नहीं है) तो एक इंस्पेक्टर के लिए कुछ नक्सली क्यों नहीं छोड़े जा सकते?इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124261744486772692.post-16360512878319011312009-10-08T01:34:46.167-07:002009-10-08T01:34:46.167-07:00जहां तक विदेशी सहयोग का सवाल है, तो तथ्यों की बात ...जहां तक विदेशी सहयोग का सवाल है, तो तथ्यों की बात करें तो चिदंबरम साहब ने स्पष्ट कर दिया है कोलकाता की प्रेस कांन्फ्रेंस में कि नक्सलवाद में कोई विदेशी हाथ नहीं है। आपके अन्य आरोपों के बारे में न तो पुष्ट करने का कोई साक्ष्य मेरे पास है, न विरोध करने का।Satyendra PShttps://www.blogger.com/profile/06700215658741890531noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124261744486772692.post-25827714611873250512009-10-08T01:32:53.892-07:002009-10-08T01:32:53.892-07:00बहुत खुशी हुई निशाचर जी आपने चंदौली मिर्जापुर देखा...बहुत खुशी हुई निशाचर जी आपने चंदौली मिर्जापुर देखा। तब तो आपको खुशी ही होती होगी कि वहां आदिवासी लड़कियां यौन तुष्टि के लिए १० रुपये में मिल जाती हैं आज भी। जिस्म बेचने का भी उचित दाम नहीं???Satyendra PShttps://www.blogger.com/profile/06700215658741890531noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124261744486772692.post-55811532015968882432009-10-07T06:32:42.469-07:002009-10-07T06:32:42.469-07:00सत्येन्द्र जी, हमारे नेता तो हैं ही नालायक कि आजाद...सत्येन्द्र जी, हमारे नेता तो हैं ही नालायक कि आजादी के ६० सालों बाद भी देश के हर नागरिक को रोटी, कपडा और मकान जैसी मूलभूत सुविधाएँ भी नहीं दे पाए लेकिन....... जिस गरीब और गरीबी की आड़ में आप नक्सलियों का बचाव करने का प्रयास कर रहें हैं क्या आप उसकी सच्चाई से अनभिज्ञ हैं?<br /><br />पुलिस के सताए हुए कुछ आदिवासियों और ब्रेनवाश कर नक्सली बनाये गए चंद युवाओं को छोड़ दें तो अधिकांश नक्सली जबरदस्ती युद्ध में झोंके जा रहे मासूम आदिवासी ही हैं. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अगर विकास नहीं हो पा रहा है तो इसका मुख्य कारण यह नक्सली स्वयं हैं. <br /><br />क्या कारण है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्कूल, रेलवे स्टेशन डायनामाईट से उड़ा दिए जाते हैं, सड़कें, अस्पताल, बैंक, सरकारी इमारतें ध्वस्त कर दी जातीं हैं. सभी सरकारी- गैरसरकारी कर्मचारियों से माफियाओं की तरह रंगदारी वसूली जाती है. लेकिन इस सब के बदले नक्सली उन आदिवासियों को क्या दे रहे हैं? क्या उन के बच्चे शिक्षा पा रहे हैं? क्या उन्हें चिकित्सा सुविधाएँ मिल रही हैं? क्या उन्हें रोटी, कपडा और मकान उपलब्ध हैं? क्या उन क्षेत्रों में सड़के बन गई हैं? क्या उन्हें रोजगार उपलब्ध है? कुल मिलाकर क्या वहां स्थितियां पहले से बेहतर हैं? अगर नहीं तो फिर "पूंजीवादी" सरकार और नक्सलियों में अंतर क्या है ?<br /><br />अगर नक्सलियों की लडाई सरकार से है तो फिर उनके निशाने पर एक सरकारी कर्मचारी क्यों है? सरकारी कर्मचारी का भी एक परिवार है और उसे भी अपना और अपने परिवार का भरण- पोषण करना है. उसकी भी वही जरूरतें हैं जो कि आदिवासियों की हैं और वह भी तकरीबन उसी तरह उनके लिए जूझता है. फिर उन आदिवासियों और उसमे अंतर कहाँ है? क्या नक्सलियों के विरुद्ध संघर्ष का निर्णय उसका अपना निर्णय है? जी नहीं, वह अपने नियोक्ता के आदेशों का पालन कर रहा है. फिर उसका अपहरण कर या उसकी हत्या कर नक्सली किसके विरुद्ध संघर्ष कर रहे हैं. पहले नक्सलियों को यह तय करने की जरूरत है कि उनके शत्रु कौन हैं? अगर आदिवासियों के अलावा पूरा समाज उनका शत्रु है तो फिर इस समाज से सहानुभूति की आशा रखना व्यर्थ है. फिर यह प्रपेगंडा किसलिए?<br /><br />आपके अनुसार- "..............शायद यही गरीब हैं, जो कुछ इलाकों में संगठित हो गए हैं और किन्हीं साधनों से उन्हें हथियार मिल गए हैं। वे अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं।"<br />या तो आपको जानकारी नहीं है या फिर आप भी नक्सली प्रपेगंडा का ही एक यन्त्र हैं. छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में नक्सल आन्दोलन के वीभत्स स्वरुप से सीधा सामना हो चुका है और वहां नक्सली आन्दोलन की जमीनी हकीकत से अच्छी तरह वाकिफ हूँ. <br /><br />दरअसल सत्य यह है कि विदेशी इशारे पर काम कर रहे तालिबानियों और नक्सलियों में कोई विशेष अंतर नहीं है. वर्तमान समय में विचारधारा से इसका कोई लेना-देना नहीं रह गया है. इनका मुख्य उद्देश्य भारत को कमजोर करना, समाज में भय और वैमनस्य फैलाना और येन-केन प्रकारेण शासन व्यवस्था को पंगु बनाकर इलाकों पर अपना नियंत्रण स्थापित करना है.<br />कृपया तथ्यों को पुष्ट करें, जाने-अनजाने दुष्प्रचार का निमित्त न बनें.निशाचरhttps://www.blogger.com/profile/17104308070205816400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124261744486772692.post-1830307596516544892009-10-07T04:52:44.308-07:002009-10-07T04:52:44.308-07:00नक्सल्वाद देश का सिरदर्द बना हुआ है ।इस पर हम जनोक...नक्सल्वाद देश का सिरदर्द बना हुआ है ।इस पर हम जनोक्ति पर एक बहस चला रहे हैं । आप चाहें तो अपनी पोस्त को वहां ल्गा सकते है। मेल करें jay.choudhary16@gmail.comJayram Viplavhttps://www.blogger.com/profile/16251643959205358549noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124261744486772692.post-64811544283202754982009-10-07T02:28:48.696-07:002009-10-07T02:28:48.696-07:00बल तो बहुत है मगर नैतिकता............................बल तो बहुत है मगर नैतिकता..........................??????????????????????????पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.com