tag:blogger.com,1999:blog-3124261744486772692.post6634003337833504766..comments2023-06-19T02:39:24.462-07:00Comments on जिंदगी के रंग: बिहार में भी मजदूरों की बहारSatyendra PShttp://www.blogger.com/profile/06700215658741890531noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3124261744486772692.post-92105479811685736572008-07-13T04:31:00.000-07:002008-07-13T04:31:00.000-07:00यथार्थ और सटीक चित्रण। साधुवाद।यथार्थ और सटीक चित्रण। साधुवाद।Prabhakar Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04704603020838854639noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124261744486772692.post-27655247229665374142008-07-13T02:06:00.000-07:002008-07-13T02:06:00.000-07:00सत्येंद्र जी आपने बिहार का अच्छा खाका खींचा है। खा...सत्येंद्र जी आपने बिहार का अच्छा खाका खींचा है। खासकर यहां पर मजदूरों की स्थिति लंबे समय से बहस का हिस्सा रहे हैं। यहां के मजदूरों की बदौलत ही देश के कई राज्यों ने उन्नत कृषि राज्य का दर्जा हासिल किया है। लेकिन अब आपके अनुसार यदि बिहार में ही यहां के लोगों के मजदूरी मिल रही है तो यह स्वागतयोग्य है। देखना यह है कि जिन मजदूरों की बदौलत अन्य राज्यों ने समृद्धि अर्जित की है, बिहार वैसा कर पाता है या नहीं। बिहार को भी देखना होगा कि जिन मजदूरों ने परदेश छोड़कर अपने राज्य में ही मजदूरी तलाशनी शुरू की है अनके साथ न्याय कर पाता है या नहीं। वैसे बिहार बदल रहा है, इसमें कोई शक नहीं पर देखना यह है कि यह कितना बदल रहा है और इसके बदलाव की दिशा क्या है। आपने अच्छा मुद्दा उठाया है। इस तरह के लेख की आपसे हम और उम्मीद करते हैं।Premhttps://www.blogger.com/profile/18417780912926590320noreply@blogger.com