tag:blogger.com,1999:blog-3124261744486772692.post7081257431288999405..comments2023-06-19T02:39:24.462-07:00Comments on जिंदगी के रंग: आगरा तक पहुंचा किसान आंदोलनSatyendra PShttp://www.blogger.com/profile/06700215658741890531noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-3124261744486772692.post-2970586632082741782011-05-08T10:36:56.212-07:002011-05-08T10:36:56.212-07:00भाई साहब, एक वर्ग जो खुद को मेहनतकश कहता है (है भी...भाई साहब, एक वर्ग जो खुद को मेहनतकश कहता है (है भी) वो तलवार भांज रहा है कि ये ऐयाश और खाए अघाये गुंडे हैं, जो बहन जी के खिलाफ कुछ बहन जी विरोधियों के भडकाने से दंगा कर रहा है.<br />आंदोलन तो कुछ हद तक संगठित है, लेकिन हकीकत ये है कि जो वर्ग किसानी से ज्यादा गहरा जुड़ा है, मंडल आयोग के बाद थोड़ा एकजुट हुआ है. ये सबसे ज्यादा असंगठित और भ्रमित समाज है, जो बरसों से यू ही हांका जाता रहा है!!Satyendra PShttps://www.blogger.com/profile/06700215658741890531noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124261744486772692.post-38933927066947353922011-05-08T10:00:42.113-07:002011-05-08T10:00:42.113-07:00इन छिटपुट आन्दोलनों और आवेश में आकर की गई हिंसा से...इन छिटपुट आन्दोलनों और आवेश में आकर की गई हिंसा से किसान सिर्फ़ अपना ही नुकसान कर रहे हैं. ज़रूरत एक संगठित और व्यापक आंदोलन की है. सिर्फ़ किसानों नहीं, सभी मेहनतकश और सुविधाओं से वंचित वर्गों को एक साथ लेकर.इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124261744486772692.post-6603384362711213572011-05-08T07:25:36.152-07:002011-05-08T07:25:36.152-07:00कोई तो रोके इसे।कोई तो रोके इसे।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com