tag:blogger.com,1999:blog-3124261744486772692.post8523879529846211514..comments2023-06-19T02:39:24.462-07:00Comments on जिंदगी के रंग: मीडिया बिकता है... बोलो खरीदोगे???Satyendra PShttp://www.blogger.com/profile/06700215658741890531noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-3124261744486772692.post-11598362033377495312009-04-23T03:41:00.000-07:002009-04-23T03:41:00.000-07:0010-20 हजार में मिल जाए और आप साथ दें त सोचा जा सकत...10-20 हजार में मिल जाए और आप साथ दें त सोचा जा सकता है. मीडिया बिकता है त ओके ख़रीदना कौनो घाटे क सौदा त नहिए होगा.इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124261744486772692.post-66508607350147898502009-04-19T09:05:00.000-07:002009-04-19T09:05:00.000-07:00यंहा तो सबसे तेज़ी से बढने का दावा करने वाले अख़बार ...यंहा तो सबसे तेज़ी से बढने का दावा करने वाले अख़बार ने तो फ़ंट पेज पर कोई दूसरी खबर न छाप कर पूरा पेज आई पी एल का विज्ञापन छाप दिया है।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124261744486772692.post-22492370216945202652009-04-19T04:35:00.000-07:002009-04-19T04:35:00.000-07:00आज का युग ही सामर्थ्यवानों का है ... जिसके पास पै...आज का युग ही सामर्थ्यवानों का है ... जिसके पास पैसे हैं वो सबकुछ खरीद सकता है ।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124261744486772692.post-51848678160140198112009-04-19T01:30:00.000-07:002009-04-19T01:30:00.000-07:00ऐसे में अखबारों में क्यों न छा जाए आईपीएल। इस हद त...<B>ऐसे में अखबारों में क्यों न छा जाए आईपीएल। इस हद तक कि लोगों को आईपीएल का बुखार चढ़ जाए।</B>----------<br />यह तो डाक्टर की मनौती सा हो गया। जितना बढ़े बुखार उतनी हो आमदनी। :)Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.com