Friday, April 5, 2013

आप कब शादी करेंगे...

सत्येन्द्र प्रताप सिंह
आप कब शादी करेंगे...
इस सवाल पर साक्षात्कार की किसी किताब में हॉलीवुड के किसी फिल्मी सितारे के साक्षात्कार का एक अंश याद आया। एक बड़े अखबार (वाशिंगटन पोस्ट या न्यूयार्क टाइम्स) एक बड़े पत्रकार ने ६ महीने के अथक प्रयास के बाद फिल्मी सितारे के साथ साक्षात्कार के लिए अवसर पाया। वह भी ४५ मिनट की कार यात्रा के दौरान। पत्रकार महोदय ने किसी महिला का नाम लिया और कहा कि उसके साथ आपके अफेयर के बारे में चर्चा सुन रहा हूं।
फिल्मी सितारे ने करीब शहर से २५ किलोमीटर दूर उस पत्रकार को गाड़ी से उतार दिया। उसके पहले उसने भला बुरा भी कहा कि पूरी दुनिया मुझे फिल्म जगत की समझ के बारे में जानती है और तुम अफेयर के बारे में जानकारी चाह रहे हो?
बहरहाल... भारत में यह आम है। अमिताभ से लेकर ऐश्वर्य राय और राहुल गांधी तक इस तरह के सवाल झेलते हैं। देश के भावी प्रधानमंत्री के रूप में देखे जा रहे राहुल गांधी से यह सवाल पूछा जाना तो निहायत गैर जरूरी लगता है कि वे किससे शादी करेंगे। किस महिला के साथ राहुल यौन संबंध बनाएंगे, अगर शादी हुई तो कितना समय बीवी के साथ बिताएंगे, पेट में दर्द होने पर वे कौन सी गोली खाते हैं। दिन में कितनी बार पाखाना जाते हैं। सुबह के नाश्ते में क्या खाते हैं, इस तरह के सवाल राजनेता से पूछने का कोई खास मतलब समझ में नहीं आता।
फिक्की के कार्यक्रम में राहुल ने एक बार फिर ऐसे सवालों पर गुस्सा जताया कि आप शादी कब करेंगे, आप प्रधानमंत्री कब बनेंगे। शायद उन्हें भी लगता होगा कि किस तरह की मानसिकता भारत में विकसित हुई है। लोग ऐसे मसलों पर ज्यादा चिंतित रहते हैं, जिसका उनकी जिंदगी से कोई लेना देना नहीं है।
राहुल गांधी लंबे समय से राजनीति में हैं। देश के विभिन्न इलाकों का दौरा कर रहे हैं। सिर्फ किताबी और लोगों की सुनी सुनाई ही नहीं, बल्कि वे हकीकत के भारत को समझने की कोशिश में लगे हैं। ऐसे में उनसे वैश्विक पटल में भारत की परिकल्पना, देश के विकास का खाका, आगामी २० साल में भारत का विजन, युवकों की स्थिति, बढ़ती जनसंख्या आदि मसले हैं। इसके अलावा देश के विभिन्न इलाकों के लंबे दौरे, कार्यकर्ताओं से मुलाकातों, आम लोगों की प्रतिक्रिया का राहुल पर क्या असर पड़ा है, पहले उनकी क्या सोच थी, अब उनके अंदर क्या क्या बदलाव आए हैं आदि आदि... ऐसे हजार सवालों की सूची बन सकती है, जो राहुल गांधी के लिए नहीं बल्कि भारत के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। ये सवाल पूछे ही जाने चाहिए और बहुत बेरहमी से पूछे जाने चाहिए।
हें हें हें हें पत्रकारिता में इस तरह के सवाल पूछने कठिन तो हैं, लेकिन शायद राहुल गांधी भी निश्चित रूप से अनुभव करते होंगे कि ये सवाल जरूरी हैं, जो उनसे पूछे जाने चाहिए।