हमारे कृषि मंत्री शरद पवार ने एक भविष्यवाणी और कर दी है। दूध की कीमतें बढ़ सकती हैं। उनका मानना है कि उत्तर भारत में दूध की बहुत कमी हो गई है। हालांकि अभी दिल्ली में ऐसी कोई अफरातफरी नहीं थी और सबको फुल क्रीम से लेकर बगैर क्रीम वाला दूध 28 से 18 रुपये प्रति किलो दाम पर आसानी से मिल रहा है। शायद आने वाले दिनों में दूध के लिए भी मारामारी शुरू हो जाए और हर स्टोर में पर्याप्त दूध रहने के बावजूद आपको 50-60 रुपये लीटर दूध खरीदना पड़े। ध्यान रहे कि यही पवार साहब चीनी, गेहूं और चावल की कीमतों के बढऩे की भविष्यवाणी करके कीमतें पर्याप्त रूप से बढ़वा चुके हैं। ऐसा नहीं है कि ये किसानों के हितैशी हैं, इसलिए ऐसा कर रहे हैं, क्योंकि किसान तो आज भी अपने उत्पाद मजबूरन औने-पौने दाम पर बेचता है।
हालांकि जब शरद पवार से कीमतें घटने के ज्योतिष ज्ञान के बारे में पूछा जाता है तो वे अपने ज्योतिष ज्ञान से साफ मुकर जाते हैं।
खाद्य एवं कृषि मंत्री शरद पवार ने आज कहा कि उत्तरी भारत में दूध की कमी के कारण दुग्ध उत्पादक इसकी कीमत बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने यह भी आगाह किया कि जब तक कीमतों को बढ़ाने का निर्णय नहीं किया जाता राज्यों के लिए दूध को खरीदने में मुश्किल पेश आएगी। पवार ने कहा, 'हम विशेषकर उत्तरी भारत में दूध की अपर्याप्त उपलब्धता की स्थिति को झेल रहे हैं। अक्टूबर में हमने कीमतों में वृद्धि करने का निर्णय किया था। इसकी कीमतों को बढ़ाने की मांग की जा रही है।Ó उन्होंने कहा, 'जब तक कोई निर्णय नहीं हो जाता मुझे नहीं मालूम कि विभिन्न राज्य लोगों की मांग को पूरा करने के लिए दूध खरीदने में सक्षम होंगे या नहीं। यह दर्शाता है कि किस तरह से इस क्षेत्र की अनदेखी हुई है।Ó
अब देखना है कि दूध के लिए मारामारी कब से शुरू होती है और कालाबाजारी करने वाले इससे कितने सौ करोड़ रुपये कमाते हैं। चीनी की कीमतें बढ़वाने में तो पवार साहब का हित समझ में आता है। लेकिन लगता है कि अब उन्होंने दूध के कारोबार में भी कदम रख दिया है?
सबकी अपनी अपनी सोच है, विचारों के इन्हीं प्रवाह में जीवन चलता रहता है ... अविरल धारा की तरह...
Wednesday, January 20, 2010
Tuesday, January 12, 2010
पवार की धोखेबाजी से चीनी मिलों को मोटी कमाई
चीनी 50 रुपये किलो पर पहुंच गई है। शरद पवार आरोप लगा रहे हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कच्ची चीनी को शोधित करने पर रोक लगा दी, जिसके चलते दाम बढ़ गए। साथ ही उन्होंने कहा कि मैं ज्योतिषी नहीं हूं।पवार साहब चीनी के दाम बढ़वाने तक ही ज्योतिषी रहे। पिछले डेढ़ साल से औसतन हर महीने में 2 बार बयान दे रहे हैं की चीनी के दाम बढ़ेंगे, लेकिन जब चीनी के दाम में कमी कम आएगी, यह बताना हुआ तो उनका ज्योतिष ज्ञान खत्म हो गया।
शायद यह सभी को याद हो कि जब उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों ने परोक्ष रूप से धमकी दे दी थी कि किसानों का गन्ना वे 200 रुपये क्विंटल के हिसाब से नहीं लेंगे, तब उत्तर प्रदेश सरकार ने कच्ची चीनी के प्रवेश पर रोक लगाई थी। मिलों को भरोसा था कि वे पेराई नहीं भी करते तो आयातित कच्ची चीनी साफ करके मोटा मुनाफा कमा लेंगे। किसानों का गन्ना सूखे- उनकी बला से। केंद्र में तो पवार साहब हैं ही बयान देने के लिए कि कच्ची चीनी महंगी पड़ रही है, इसलिए चीनी की कीमतें 100 रुपये किलो तक जा सकती हैं।
आखिर केंद्र सरकार किसे बेवकूफ बना रही है? चीनी माफिया मंत्रियों ने जनता को धोखा देने की ठान ली है। अभी तो मान लीजिए कि कच्ची चीनी आ रही है, वह महंगी पड़ रही है इसलिए दाम बढ़ रहे हैं। याद कीजिए कि 2009 मार्च से लेकर अक्टूबर तक वही चीनी मिलों द्वारा 30 रुपये किलो तक बेची गई, जो चीनी मार्च के पहले 16 रुपये किलो बिक रही थी। आखिर चीनी तैयार करने की लागत कितनी बढ़ गई है कि मिलें थोक भाव में 41 रुपये किलो चीनी बेचने लगीं? आखिर मिलों को कितना मुनाफा खाना है? कितने प्रतिशत लाभ कमाना है, चीनी की कमी दिखाकर? इसके लिए कौैन जवाबदेह है? केंद्र सरकार या राज्यों की सरकारें? जवाब या तो केंद्र सरकार दे सकती है... या लोकतंत्र में सबसे ताकतवर माना जाने वाला मतदाता- यानी आम जनता।
शायद यह सभी को याद हो कि जब उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों ने परोक्ष रूप से धमकी दे दी थी कि किसानों का गन्ना वे 200 रुपये क्विंटल के हिसाब से नहीं लेंगे, तब उत्तर प्रदेश सरकार ने कच्ची चीनी के प्रवेश पर रोक लगाई थी। मिलों को भरोसा था कि वे पेराई नहीं भी करते तो आयातित कच्ची चीनी साफ करके मोटा मुनाफा कमा लेंगे। किसानों का गन्ना सूखे- उनकी बला से। केंद्र में तो पवार साहब हैं ही बयान देने के लिए कि कच्ची चीनी महंगी पड़ रही है, इसलिए चीनी की कीमतें 100 रुपये किलो तक जा सकती हैं।
आखिर केंद्र सरकार किसे बेवकूफ बना रही है? चीनी माफिया मंत्रियों ने जनता को धोखा देने की ठान ली है। अभी तो मान लीजिए कि कच्ची चीनी आ रही है, वह महंगी पड़ रही है इसलिए दाम बढ़ रहे हैं। याद कीजिए कि 2009 मार्च से लेकर अक्टूबर तक वही चीनी मिलों द्वारा 30 रुपये किलो तक बेची गई, जो चीनी मार्च के पहले 16 रुपये किलो बिक रही थी। आखिर चीनी तैयार करने की लागत कितनी बढ़ गई है कि मिलें थोक भाव में 41 रुपये किलो चीनी बेचने लगीं? आखिर मिलों को कितना मुनाफा खाना है? कितने प्रतिशत लाभ कमाना है, चीनी की कमी दिखाकर? इसके लिए कौैन जवाबदेह है? केंद्र सरकार या राज्यों की सरकारें? जवाब या तो केंद्र सरकार दे सकती है... या लोकतंत्र में सबसे ताकतवर माना जाने वाला मतदाता- यानी आम जनता।
Friday, January 8, 2010
मोबाइल है तो स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक आपको कभी भी धमकी दे सकता है!
मुझे भरोसा है कि अगर एकता ने स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक से कर्ज लिया होगा तो वह आत्महत्या कर चुकी होगी। गुरुवार की सुबह मेरे साथ कुछ ऐसा हुआ, जिसे मैं जिंदगी में शायद ही कभी भूल पाऊं। दोपहर 11।30 बजे मैं ऑफिस जाने के लिए तैयार ही हो रहा था कि मेरे मोबाइल पर +911244826071 और +911242350104 से कॉल आने लगी। वह किसी एकता के बारे में पूछ रहा था। 10 मिनट के भीतर जब चौथी कॉल आई तो वह मुझे गालियां देने लगा। मैने भी थोड़ी-बहुत गालियां दी, जो मुझे आती थीं और कहा कि आइंदा अगर कॉल किया तो मैं एफआईआर करा दूंगा। फोन काट दिया।
फोन काटते ही फिर फोन आ गया तो मेरी पत्नी ने फोन ले लिया। वह बात कर रही थी तो स्पीकर ऑन था और फोन करने वाला लगातार गालियां दिए जा रहा था, ऐसी गालियां- जिसे लिखना भी संभव नहीं है। बहरहाल मैने फिर फोन काटा।12 बजे तक मैने कम से कम 5 बार फोन काटा। तब तक ऑफिस जाने के लिए मेरे मित्र भी आ चुके थे। मैं उन्हें इस घटना के बारे में बता ही रहा था कि फिर कॉल आ गई। इस बार मेरे मित्र ने फोन उठाया और उन्होंने समझाने की कोशिश की कि यह उस व्यक्ति का नंबर नहीं है, जिसे तुम तलाश रहे हो। उधर से जवाब आया कि तब उसे पैदा कर। बहरहाल उन्होंने भी थोड़ा-बहुत अपनी भाषा में समझाने की कोशिश की। हम लोग ऑफिस के लिए निकले और मैं लगातार फोन काटता रहा या उसे रिसीव करके छोड़ता रहा।
बहरहाल ऑफिस पहुंचने पर इस घटना के बारे में चर्चा कर ही रहा था कि फिर फोन आने लगा। इस बार मैने फोन उठाया और कहा कि यह एकता का नंबर नहीं है। फोन करने वाले ने कहा कि अभी थोड़ी देर पहले इसी फोन पर एकता से बात हुई है, तू उससे बात करा। बहरहाल- मैने फिर फोन काट दिया। फोन काटते ही फिर फोन आ गया। इस बार मेरे एक सहकर्मी मनीश ने फोन उठाया। उन्होंने फोन करने वाले को समझाने की कोशिश की कि भाई यह नंबर सत्येन्द्र जी का है। उसने कहा कि तुम फोन का कागज लेकर बैंक आ जाओ। उन्होंने फोन काट दिया और एफआईआर करने की सलाह दी। इस बीच मुझे कॉल करने वाले ने कहा कि मैं प्रवीण बोल रहा हूं, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक बैंक गुडग़ांव से। वह बार-बार पैसे वापस करने की बात कर रहा था।
इस बीच 4 काल और आई और मैं फोन काटते अपने सहयोगी को लेकर आईपीओ एक्सटेंशन थाने की ओर बढऩे लगा। थाने पर पहुंचने पर पहले तो वहां मौजूद पुलिसकर्मी ने मुझे समझाया कि आप पांडव नगर इलाके के थाने में एफआईआर दर्ज कराइये। हालांकि थाने पर यह बताने पर कि मैं बिजनेस स्टैंडर्ड में रिपोर्टर हूं और आईटीओ पर मेरा ऑफिस है, जो आपके थाना क्षेत्र में आता है, तो उसने मुझे सब इंस्पेक्टर (शायद) मीना यादव के पास भेज दिया। उन्होंने मुझे कॉल रिकॉर्ड करने की सलाह दी और एक लिखित आवेदन अपने पास जमा करा लिया, जिसमें मैने अपने दो घंटे के मानसिक उत्पीडऩ के बारे में लिख दिया। इंसपेक्टर ने मुझे कार्रवाई करने का आश्वासन देकर विदा कर दिया।
मैं अभी कार्यालय पहुंचा भी नहीं था कि इंसपेक्टर मीना यादव का फोन आ गया। उन्होंने कहा कि मेरी बात आपके द्वारा दिए गए नंबर पर हुई है और कॉल रिसीव करने वाले ने बताया है कि वह स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक से बोल रहा है। उसने इंसपेक्टर को बताया था कि यह नंबर उसे मिला है, जिसमें उसे एकता का नाम बताया गया है। बहरहाल इंसपेक्टर ने कहा कि अब इस नंबर से आपको कॉल नहीं आनी चाहिए और अगर आती है तो आप मुझे इनफार्म करिएगा। बैंक वाले ने इंसपेक्टर से यह भी कहा कि कॉल रिकार्डेड है और किसी तरह की गाली-गलौझ नहीं की गई है। शायद उसने बाद में की गई 2-3 कॉल की रिकॉर्डिंग की होगी।बहरहाल, उसके बाद ब्लॉग पर लिखने तक मेरे पास कॉल नहीं आई है।
मैं यही सोच रहा हूं कि आर्थिक अखबार में काम करने के नाते हम लोग लगातार रिजर्व बैंक के गाइडलाइंस के बारे में लिखते हैं, चिदंबरम का भाषण सुनते है और उसे छापते हैं कि वसूली के नाम पर किसी को तंग नहीं किया जाएगा। साथ ही पुलिस का आश्वासन होता है कि स्पेशल सेल बनी है और इस तरह की किसी भी सूचना पर तत्काल कार्रवाई होगी। आखिर ये सब आश्वासन, खबरें किसके लिए हैं।
हालांकि मैने अपनी अब तक की जिंदगी में किसी बैंक से कोई कर्ज नहीं लिया है। भगवान न करें कि कभी लेना भी पड़े, लेकिन अगर जिस व्यक्ति ने कर्ज लिया है तो ये निजी बैंक कितनी गुंडागर्दी करते हैं यह मुझे समझ में आ गया। दो-तीन घंटे का मानसिक उत्पीडऩ मेरे ऊपर इतना भारी पड़ा कि उसका बयान किया जाना भी मुश्किल है।
फोन काटते ही फिर फोन आ गया तो मेरी पत्नी ने फोन ले लिया। वह बात कर रही थी तो स्पीकर ऑन था और फोन करने वाला लगातार गालियां दिए जा रहा था, ऐसी गालियां- जिसे लिखना भी संभव नहीं है। बहरहाल मैने फिर फोन काटा।12 बजे तक मैने कम से कम 5 बार फोन काटा। तब तक ऑफिस जाने के लिए मेरे मित्र भी आ चुके थे। मैं उन्हें इस घटना के बारे में बता ही रहा था कि फिर कॉल आ गई। इस बार मेरे मित्र ने फोन उठाया और उन्होंने समझाने की कोशिश की कि यह उस व्यक्ति का नंबर नहीं है, जिसे तुम तलाश रहे हो। उधर से जवाब आया कि तब उसे पैदा कर। बहरहाल उन्होंने भी थोड़ा-बहुत अपनी भाषा में समझाने की कोशिश की। हम लोग ऑफिस के लिए निकले और मैं लगातार फोन काटता रहा या उसे रिसीव करके छोड़ता रहा।
बहरहाल ऑफिस पहुंचने पर इस घटना के बारे में चर्चा कर ही रहा था कि फिर फोन आने लगा। इस बार मैने फोन उठाया और कहा कि यह एकता का नंबर नहीं है। फोन करने वाले ने कहा कि अभी थोड़ी देर पहले इसी फोन पर एकता से बात हुई है, तू उससे बात करा। बहरहाल- मैने फिर फोन काट दिया। फोन काटते ही फिर फोन आ गया। इस बार मेरे एक सहकर्मी मनीश ने फोन उठाया। उन्होंने फोन करने वाले को समझाने की कोशिश की कि भाई यह नंबर सत्येन्द्र जी का है। उसने कहा कि तुम फोन का कागज लेकर बैंक आ जाओ। उन्होंने फोन काट दिया और एफआईआर करने की सलाह दी। इस बीच मुझे कॉल करने वाले ने कहा कि मैं प्रवीण बोल रहा हूं, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक बैंक गुडग़ांव से। वह बार-बार पैसे वापस करने की बात कर रहा था।
इस बीच 4 काल और आई और मैं फोन काटते अपने सहयोगी को लेकर आईपीओ एक्सटेंशन थाने की ओर बढऩे लगा। थाने पर पहुंचने पर पहले तो वहां मौजूद पुलिसकर्मी ने मुझे समझाया कि आप पांडव नगर इलाके के थाने में एफआईआर दर्ज कराइये। हालांकि थाने पर यह बताने पर कि मैं बिजनेस स्टैंडर्ड में रिपोर्टर हूं और आईटीओ पर मेरा ऑफिस है, जो आपके थाना क्षेत्र में आता है, तो उसने मुझे सब इंस्पेक्टर (शायद) मीना यादव के पास भेज दिया। उन्होंने मुझे कॉल रिकॉर्ड करने की सलाह दी और एक लिखित आवेदन अपने पास जमा करा लिया, जिसमें मैने अपने दो घंटे के मानसिक उत्पीडऩ के बारे में लिख दिया। इंसपेक्टर ने मुझे कार्रवाई करने का आश्वासन देकर विदा कर दिया।
मैं अभी कार्यालय पहुंचा भी नहीं था कि इंसपेक्टर मीना यादव का फोन आ गया। उन्होंने कहा कि मेरी बात आपके द्वारा दिए गए नंबर पर हुई है और कॉल रिसीव करने वाले ने बताया है कि वह स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक से बोल रहा है। उसने इंसपेक्टर को बताया था कि यह नंबर उसे मिला है, जिसमें उसे एकता का नाम बताया गया है। बहरहाल इंसपेक्टर ने कहा कि अब इस नंबर से आपको कॉल नहीं आनी चाहिए और अगर आती है तो आप मुझे इनफार्म करिएगा। बैंक वाले ने इंसपेक्टर से यह भी कहा कि कॉल रिकार्डेड है और किसी तरह की गाली-गलौझ नहीं की गई है। शायद उसने बाद में की गई 2-3 कॉल की रिकॉर्डिंग की होगी।बहरहाल, उसके बाद ब्लॉग पर लिखने तक मेरे पास कॉल नहीं आई है।
मैं यही सोच रहा हूं कि आर्थिक अखबार में काम करने के नाते हम लोग लगातार रिजर्व बैंक के गाइडलाइंस के बारे में लिखते हैं, चिदंबरम का भाषण सुनते है और उसे छापते हैं कि वसूली के नाम पर किसी को तंग नहीं किया जाएगा। साथ ही पुलिस का आश्वासन होता है कि स्पेशल सेल बनी है और इस तरह की किसी भी सूचना पर तत्काल कार्रवाई होगी। आखिर ये सब आश्वासन, खबरें किसके लिए हैं।
हालांकि मैने अपनी अब तक की जिंदगी में किसी बैंक से कोई कर्ज नहीं लिया है। भगवान न करें कि कभी लेना भी पड़े, लेकिन अगर जिस व्यक्ति ने कर्ज लिया है तो ये निजी बैंक कितनी गुंडागर्दी करते हैं यह मुझे समझ में आ गया। दो-तीन घंटे का मानसिक उत्पीडऩ मेरे ऊपर इतना भारी पड़ा कि उसका बयान किया जाना भी मुश्किल है।
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