Friday, April 16, 2010

ताकि प्रसव पीड़ा में न जुड़े वित्तीय कष्ट

मनीश कुमार मिश्र

प्रसव के दौरान इलाज पर होने वाले खर्च (मैटरनिटी कवर) के साथ नवजात की बीमारियों के लिए भी साधारण बीमा कंपनियां कवर उपलब्घ कराती है। विभिन्न साधारण बीमा कंपनियां सामूहिक स्वास्थ्य बीमा के अतिरिक्त पारिवारिक स्वास्थ्य बीमा के तहत यह सुविधा उपलब्ध कराती हैं।

क्या है मैटरनिटी कवर
व्यापक स्तर पर देखा जाए तो मैटरनिटी इंश्योरेंस में गर्भावस्था से लेकर प्रसव के बाद तक (नवजात शिशु के इलाज सहित), अस्पताल या इलाज पर होने वाले तमाम खर्चे शामिल होने चाहिए।
कुछ मैटरनिटी बीमा पॉलिसी है जिसके तहत गर्भावस्था के दौरान अस्पताल जाकर चिकित्सक से सलाह लेने का खर्च भी शामिल होता है।
उदाहरण के तौर पर आईसीआईसीआई लोम्बार्ड का हेल्थ एडवांटेज प्लस स्वास्थ्य बीमा के साथ बहिरंग विभाग (ओपीडी) के लिए भी कवर उपलब्ध कराता है जिसमें प्रसव-पूर्व जांच और दवाओं पर होने वाला खर्च शामिल होता है। इसकी सीमा 8,000 रुपये तक की है। ओपीडी के अतिरिक्त मैटरनिटी से जुड़े कई अन्य खर्च इस पॉलिसी में शामिल नहीं हैं।

कहां मिलेगा ये कवर
भारत में कोई भी बीमा कंपनी मैटरनिटी कवर के लिए स्टैंडएलोन पॉलिसी उपलब्ध नहीं कराती हैं। इसकी वजह है कि व्यक्तिगत स्तर पर केवल अप्रत्याशित जोखिमों के लिए ही कवर उपलब्ध कराया जाता है और गर्भावस्था या प्रसव इस दायरे में नहीं आते हैं।
ऑप्टिमा इंश्योरेंस ब्रोकर्स के मुख्य कार्याधिकारी राहुल अग्रवाल कहते हैं, 'कुछ साधारण बीमा कंपनियां ऐसी भी हैं जो पारिवारिक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में मैटरनिटी कवर को शामिल करती हैं लेकिन इसके लिए न्यूनतम 4 साल तक का इंतजार करना होता है।' उललेखनीय है कि इस तरह की पॉलिसी शादी के बाद ही ली जा सकती है और मैटरनिटी कवर का लाभ लेने के लिए 4 साल तक का इंतजार करना होता है।
अग्रवाल ने बताया 'नैशनल इंश्योरेंस ने बैंक ऑफ इंडिया के ग्राहकों के लिए स्टार नैशनल स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी लॉन्च की थी जिसके तहत बैंक के ग्राहकों को मैटरनिटी कवर के साथ नवजात शिशु के इलाज पर हुए खर्च की वापसी की जाती है। लेकिन इसकी सीमा सम एश्योर्ड का मात्र 5 प्रतिशत है। इसमें इंतजार की अवधि मात्र एक महीने की है।'
नैशनल इंश्योरेंस कंपनी की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार 1 लाख के सम एश्योर्ड का सालाना प्रीमियम 1,746 रुपये और 5 लाख रुपये का 7,071 रुपये है। अपोलो म्यूनिख ईजी हेल्थ इंडिविजुअल एक्सक्लूसिव और मैक्सिमा 360 के तहत मैटरनिटी कवर उपलब्ध कराता है लेकिन इसके इंतजार की अवधि न्यूनतम 4 साल की है।
इस पॉलिसी के तहत प्रसव-पूर्व, अस्पताल में भर्ती होने, प्रसव और प्रसव के बाद होने वाले खर्चे एक विशेष सीमा तक कवर किए जाते हैं। 3 से 5 लाख रुपये तक के सम एश्योर्ड के लिए सामान्य प्रसव की दशा में खर्च की सीमा 15,000 रुपये और शल्य प्रसव के लिए 25,000 रुपये की सीमा है।
नवजात शिशु पर होने वाले खर्च की अधिकतम सीमा 2,000 रुपये है जबकि गर्भावस्था के दौरान और प्रसव के बाद शिशु की मां पर होने वाले खर्च की अधिकतम सीमा 1,500 रुपये है और यह उपरोक्त खर्च में सम्मिलित है।

सामूहिक मेडिक्लेम और मैटरनिटी कवर
अब नियोक्ता द्वारा कराए जाने वाले सामूहिक स्वास्थ्य बीमा की बात करते हैं। आम तौर पर मैटरनिटी कवर प्राप्त करने का यह जरिया सबसे अधिक फायदे का है।
मैटरनिटी कवर सामूहिक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में स्वत: ही शामिल नहीं होता। कंपनी साधारण बीमा कंपनियों से इसे शामिल करने का अनुरोध करती हैं और इसके लिए अतिरिक्त प्रीमियम का भुगतान करती हैं। अग्रवाल कहते हैं, 'नियोक्ता को कर्मचारी के परिवार के स्वास्थ्य बीमा में प्रसव से जुड़े खर्च शामिल करवाने के एवज में 10 प्रतिशत तक अतिरिक्त प्रीमियम देना होता है।'
इसकी वजह भी है कि इरडा अधिनियम 1999 में मेडिक्लेम या स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का उल्लेख विशेष रूप से नहीं किया गया है। विभिन्न बीमा कंपनियां भिन्न-भिन्न मेडिक्लेम पॉलिसी बेचती है जिनमें शामिल की जाने वाली बीमारियां और शामिल नहीं होने वाले रोग अलग-अलग होते हैं।
व्यक्तिगत या पारिवारिक स्तर (फ्लोटर पॉलिसी) पर इन पॉलिसियों को अपने अनुरूप बना कर लेना संभव नहीं है। लेकिन, कंपनियों के सामूहिक बीमा के मामले में पॉलिसियां कंपनी की जरूरतों को ध्यान में रखते तैयार की जाती हैं और प्रीमियम भी उसी के अनुसार निर्धारित किया जाता है।
ऐसा नहीं कि मैटरनिटी कवर का लाभ नई कंपनी में नियुक्ति के तुरंत बाद ही उठाया जा सकता है। इस कवर के फायदे लेने के लिए 9 महीने तक का इंतजार करना होता है। यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सामूहिक स्वास्थ्य बीमा के तहत अधिकांश कंपनियां मैटरनिटी कवर को शामिल कराती हैं।
उन्होंने बताया कि मैटरनिटी के मद में अस्पताल या नर्सिंग होम में होने वाले खर्च, सम एश्योर्ड या 50,000 रुपये में से जो भी कम हो, को सामूहिक मेडिक्लेम पॉलिसी के तहत कवर किया जाता है। नवजात शिशु का इलाज भी इसमें पहले दिन से ही शामिल होता है। 3 महीने बाद बच्चे को सामूहिक मेडिक्लेम पॉलिसी में शामिल करवाया जा सकता है।

नवजात शिशु का मेडिक्लेम
अगर आपने न्यू इंडिया इंश्योरेंस या मैक्स बुपा जनरल इंश्योरेंस से मेडिक्लेम पॉलिसी ली हुई है तो जन्म के पहले दिन से ही शिशु को कवर उपलब्ध होगा। अपनापैसा डॉट कॉम के मुख्य कार्याधिकारी हर्ष रूंगटा ने कहा, 'न्यू इंडिया इंश्योरेंस की बर्थराइट पॉलिसी बच्चे के जन्मजात रोगों को पॉलिसी में वर्णित एक खास समय सीमा के भीतर कवर करती है।'
उन्होंने बताया कि मैक्स बुपा भी हाल में ऐसी ही एक पॉलिसी लॉन्च की है जो नवजात बच्चे की बीमारियों को पहले दिन से ही कवर करती हैं। मैक्स बुपा मैटरनिटी कवर फैमिली फ्लोटर पॉलिसी के तहत उपलब्ध कराती है और इसके लिए इंतजार की अवधि न्यूनतम 24 महीने की है।

क्या नहीं होते शामिल
अधिकांश सामूहिक स्वास्थ्य बीमा में गर्भावस्था के दौरान होने वाली मासिक जांच और दवाओं के खर्च शामिल नहीं होते। मैटरनिटी कवर में शुरुआती 12 हफ्तों के दौरान होने वाले गर्भपात को भी शामिल नहीं किया जाता है। इसके अतिरिक्त मैटरनिटी कवर लेने के 9 महीने के दौरान गर्भावस्था से जुड़ा चिकित्सकीय खर्च भी इसमें शामिल नहीं होता है।
http://hindi.business-standard.com/storypage.php?autono=33422

2 comments:

Jandunia said...

जानकारी देने के लिए शुक्रिया।

प्रवीण पाण्डेय said...

अच्छी जानकारी