Friday, November 26, 2010

राहुल गांधी और चेहरे की राजनीति

बिहार चुनाव में राहुल गांधी के चुनावी दौरों का कोई असर नहीं पड़ा। जो लोग उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को लोकसभा में चुनावी जीत को राहुल के चेहरे की जीत मान रहे थे, शायद उन्हें निराशा हाथ लगी है।
हालांकि चमचागीरी की राजनीति करने वाले कांग्रेसियों को भी पता ही होगा कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को जीत क्यों मिली थी?
उत्तर प्रदेश में मंडल आयोग के बाद हुए ध्रुवीकरण में मुलायम सिंह यादव पिछड़े वर्ग के मसीहा बनकर उभरे थे। उसी में उनके एक डिप्टी मुलायम भी थे, बेनी प्रसाद वर्मा। लेकिन मुलायम सिंह भी जब लंबे समय तक जीत हासिल करते रहे तो उन्होंने उत्तर प्रदेश में आए बदलाव को यादवों और मुलायम परिवार की जीत मान ली और उनके डिप्टी ढक्कन साबित हो गए। शायद लोगों को अभी भी याद होगा कि जब मुलायम केंद्रीय मंत्री थे तो उन्होंने बेनी प्रसाद को संचार मंत्री जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी दिलाई थी और उन्हें केबिनेट मंत्री का दर्जा हासिल हुआ।
बेनी प्रसाद वर्मा लंबे समय तक उत्तर प्रदेश की राजनीति में पृष्ठभूमि में पड़े रहे और पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपनी पहचान बचाने के लिए कांग्रेस का सहारा लिया। उधर मुलायम सिंह की उत्तर प्रदेश में ऐसी छवि बनी, जैसे वे सिर्फ यादवों के नेता बन गए हों। परिणाम यह हुआ कि बेनी प्रसाद ने जनता की भावनाओं को समझा और कांग्रेस के साथ मिलकर इसका लाभ उठाया। मुलायम सिंह की तमाम परंपरागत बन चुकी सीटें (जो बेनी प्रसाद के प्रभाव से सपा को मिलती थीं) कांग्रेस को चली गईं। गोंडा और नेपाल बॉर्डर से सटी बेनी के प्रभाव वाली करीब १० सीटें कांग्रेस ने मुफ्त में हथिया लीं।
हां, रायबरेली-अमेठी औऱ उससे सटे इलाकों में जरूर नेहरू खानदान का फेस वैल्यू रहा।
इसे कांग्रेसियों ने कुछ इस तरह प्रचारित किया, जैसे कि राहुल गांधी का जादू चल गया। कहीं राहुल की छवि को मीडिया दूसरा रुख न दे दे, शायद इसी का ध्यान रखते हुए बेनी बाबू को मंत्री क्या संत्री बनाने के योग्य भी नहीं समझा गया।
बिहार क्या, अब पूरे देश में फेस वैल्यू है। लेकिन वह फेस कैसा हो? सवाल यह है। शायद जनता चाहती है कि यह फेस उनके बीच का हो, जो उनके दर्द-दुख और उनके विचारों को समझे। कांग्रेस और भाजपा दोनों ऐसी पार्टियां हैं जो जनाधार वाले नेताओं को बर्दाश्त नहीं कर सकतीं। जहां भाजपा में फेस बनाने के चक्कर में तमाम हवा-हवाई नेता लगे रहते हैं, कांग्रेस के लोग नेहरू खानदान के अलावा किसी को फेस मानते ही नहीं।
कुल मिलाकर देखें तो हवा-हवाई फेस वैल्यू बनाने वालों की हवा भी बिहार के मतदाताओं ने निकाल दी है।

1 comment:

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

सत्य वचन महराज! सत्य वचन.