राजस्थान राज्य के कांग्रेसी नेता और प्रदेश में राज्य मंत्री अमीन खां ने सच्चाई क्या बयान कर दी, उन्हें मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा। उन्होंने तो कांग्रेसी संस्कृति और वफादारी का पाठ कांग्रेसियों को पढ़ाया था। लगता है कि कांग्रेस अपना असल चेहरा दिखना बर्दाश्त नहीं कर पाई। शायद उसे अंतरराष्ट्रीय छवि भी सताने लगी होगी कि कैसे कैसे लोग भारत में राष्ट्रपति बन जाते हैं। जो भी रहा हो, सच्चाई तो सच्चाई है।
पंचायती राज्य मंत्री अमीन खां ने पाली जिले में पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक में कहा कि प्रतिभा पाटिल इंदिरा गांधी के लिए चाय बनाती थीं, खाना बनाती थीं और बर्तन माजती थीं, इसलिए उनकी निष्ठा के कारण उन्हें (प्रतिभा पाटिल) राष्ट्रपति बनाया गया। अगर आप पार्टी नेताओं के प्रति निष्ठा दिखाते हैं तो किसी भी दिन आपके पास राज्यसभा या विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए फोन आ सकता है। अमीन खां बाद में मीडिया की खबरों का खंडन करते हुए कहा कि उन्होंने कार्यकर्ताओं को पार्टी और नेता के प्रति निष्ठा उदाहरण मात्र दिया था, कहीं से किसी का अपमान करने की मंशा इसमें नहीं थी।
इसके पहले कांग्रेस के बड़े नेता कांग्रेस देवकांत बरुआ औऱ एनडी तिवारी ने इतिहास रचा था। सबसे पहले सार्वजनिक रूप से मामला सामने आया था एनडी तिवारी का। शायद वे उन दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। संजय गांधी जब लखनऊ पहुंचे तो उनके जूते हाथ में लेकर पीछे पीछे एनडी तिवारी पहुंचे थे। आखिर दौड़ते भी क्यों नहीं? इंदिरा गांधी ने ८५ लोकसभा वाले सबसे बड़े प्रदेश की बागडोर उन्हें सौंपी थी। कांग्रेस अध्यक्ष देवकांत बरुआ ने कहा था इंदिरा इज इंडिया।
कांग्रेस में ऊपर से लेकर नीचे तक चमचागीरी की अद्धुत परंपरा रही है। स्वतंत्रता के बाद से शुरू हुई चमचागीरी इंदिरा गांधी युग तक पहुंचते-पहुंचते चरम पर पहुंच गई। संभव है कि अमीन खां भी राज्य स्तर पर जबरदस्त चाटुकारिता करते हुए राज्यमंत्री पद तक पहुंचे हों। ऐसे में उन्होंने कार्यकर्ताओं को आखिर क्या गलत पाठ पढ़ाया?
दिलचस्प है कि खां ने बड़ी ही मासूमियत से ये बातें कहीं। उन्हें भी पता ही होगा कि राष्ट्रपति या कांग्रेस के किसी भी केंद्रीय नेता के खिलाफ बोलने की उनकी औकात या स्थिति नहीं। चमचागीरी कल्चर के माध्यम से कोई आगे बढ़ता है उसे तो पता ही होता है। भारतीय जनता पार्टी हो या कांग्रेस, किसी भी जनाधार वाले नेता को एक स्तर तक ही आगे बढ़ने दिया जाता है। कांग्रेस में जहां नेहरू परिवार ताकतवर है, भारतीय जनता पार्टी में जातिवादी शक्तियों और आरएसएस के हाथ में कमान रहती है।
खां ने खंडन में यह भी नहीं कहा है कि उनके कहे गए शब्द गलत हैं। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि मीडिया ने उनके कहे का गलत अर्थ लगाया। सही है कि इसमें राष्ट्रपति के प्रति असम्मान का मामला कहां है, अगर उन्होंने ऐसा किया है तो किया है। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट नहीं किया है कि उन्होंने प्रतिभा पाटिल के इन कामों के बारे में जानकारी कहां से पाई, जिसका उल्लेख उन्होंने कार्यकर्ताओं के सामने किया। लेकिन कांग्रेस के अतीत को देखते हुए उनकी बात में तनिक भी झूठ नजर नहीं आता। आज भी कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं में बड़ी फौज ऐसे लोगों की है, जो सिर्फ नेहरू परिवार के प्रति वफादारी के चलते कैबिनेट मंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री बने हुए हैं।
अब अमीन खां के बारे में सिर्फ यही कहा जा सकता है....
मत कहो आकाश में कोहरा घना है..
ये किसी की व्यक्तिगत आलोचना है।।
हालांकि खां ने यह भी नहीं कहा था कि आकाश में कोहरा घना है, उन्होंने तो सिर्फ कांग्रेस की राजनीति में कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ने का तरीका बताया था !
2 comments:
सुन्दर आलेख
मुझे यह तस्वीर नगवार लग रही है, जहां एक वृद्धा एक नवयुवक के पैर छू रही है, भारत में तो कुछ और सिखाया जाता है हम सब को
http://dudhwalive.com
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