जागरण संवाददाता
बांदा सूखे और बदहाल बुंदेलखंड में किसानों की मौत थमने का नाम नहीं ले रही है। शनिवार को बांदा जिले में कर्ज में डूबे एक किसान ने खेत में दम तोड़ दिया। केंद्र-उत्तर प्रदेश सरकार की हवाई घोषणाओं के बीच बुंदेलखंड क्षेत्र में गत पांच माह में 519 किसान काल का ग्रास बन चुके हैं। इसबीच उप्र सरकार ने राजस्व विभाग को ऋण वसूली के लिए उत्पीड़नात्मक कार्यवाही न करने का निर्देश दिया है।
मुख्यमंत्री मायावती ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर बुंदेलखंड के किसानों को ऋण माफी देने के लिए विशेष योजना लागू किये जाने की मांग की है। मायावती ने कहा है कि विशेष योजना में किसानों को इस वर्ष 31 मार्च तक वितरित किए गए ऋणों को शामिल किया जाये। खेत में किसान के दम तोड़ने की यह घटना बांदा जिले के फतेहगंज थाना क्षेत्र के बघेलाबारी गांव की है। सुरेश यादव (43) कुछ समय पहले तक पांच बीघा जमीन का काश्तकार था। तंगहाली व बीमारी के चलते एक साल के अंदर उसकी दो बीघा जमीन बिक गयी। शनिवार सुबह ग्रामीणों ने उसका शव खेत में पड़ा देखा तो परिजनों को सूचना दी। मृतक के पुत्र विकास ने बताया कि कुछ समय से पिता बीमार थे। इलाज और घर खर्च को लेकर कुछ जमीन बिक गयी। वहीं साहूकारों का भी 20-22 हजार रुपया कर्ज चढ़ गया था। शुक्रवार शाम कोई पिता के पास तगादा करने आया था, जिसके बाद पिता काफी परेशान थे। रात को ठीक से नींद भी उन्हें नहीं आयी है। इसके बाद वह कब खेतों की ओर चले गये, किसी को पता नहीं चला। उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पांच दिन पहले ही इलाके में किसानों की खुदकुशी की बढ़ती घटनाओं पर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद क्षेत्र में कृषि ऋण वसूली के मामले में उत्पीड़नात्मक कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। साथ ही किसानों की मौत के मामले में केंद्र व राज्य सरकार को माह भीतर जवाब देने का कहा है।
वहीं, सूबे की राजधानी से सटे बाराबंकी जिले के रसौली कस्बे में तंगहाली से जूझ रहे एक दलित किसान ने पेड़ से फांसी लगाकर जान दे दी। वह अपनी जमीन दूसरे के हाथ चले जाने व बैंक की रकम न मिलने को लेकर व्यथित था। प्रशासन ने पीडि़त परिवार को मुख्यमंत्री सहायता कोष से दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता मुहैया कराई है।
1 comment:
किस दिशा जा रहा है मेरा देश।
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