सबकी अपनी अपनी सोच है, विचारों के इन्हीं प्रवाह में जीवन चलता रहता है ... अविरल धारा की तरह...
Tuesday, October 23, 2007
पत्रकार का प्रेमपत्र
सत्येन्द्र प्रताप
सामान्यतया प्रेमपत्रों में लड़के -लड़िकयां साथ में जीने और मरने की कसमें खाते हैं, वादे करते हैं और वीभत्स तो तब होता है जब पत्र इतना लंबा होता है िक प्रेमी या प्रेिमका उसकी गंभीरता नहीं समझते और लंबे पत्र पर अिधक समय न देने के कारण जोड़े में से एक भगवान को प्यारा हो जाता है.
अगर पत्रकार की प्रेिमका हो तो वह कैसे समझाए। सच पूछें तो वह अपने व्यावसाियक कौशल का प्रयोग करके कम शब्दों में सारी बातें कह देगा और अगर शब्द ज्यादा भी लिखने पड़े तो खास-खास बातें तो वह पढ़वाने में सफल तो हो ही जाएगा.
पहले की पत्रकािरता करने वाले लोग अपने प्रेमपत्र में पहले पैराग्राफ में इंट्रो जरुर िलखेंगे. साथ ही पत्र को सजाने के िलए कैची हेिडंग, उसके बाद क्रासर, अगर क्रासर भी लुभाने में सफल नहीं हुआ तो िकसी पार्क में गलबिहयां डाले प्रेमिका के साथ का फोटो हो तो वह ज्यादा प्रभावी सािबत होगा और प्रेमिका के इमोशन को झकझोर कर रख देगा.
नया अखबारनवीस होगा तो उसमें कुछ मूलभूत परिवर्तन कर देगा. पहला, वह कुछ अंगऱेजी के शब्द डालेगा िजससे प्रेमिका को अपनी बात समझा सके. समस्या अभी खत्म नहीं हुई क्योंिक वक्त की भी कमी है और पढ़ने के िलए ज्यादा समय भी नहीं है. फोटो तो बड़ा सा डालना होगा िजससे पत्र हाथ में आते ही भावनाएं जाग जाएं. अगर फोटो का अभाव है तो इंट्रो कसा हुआ हो, साथ ही टेक्स्ट कम होना बेहद जरुरी है.
अलग अलग अखबारों के पत्रकार अलग अलग तरीके से प्रेमपत्र िलखेंगे. िहन्दुस्तान में होगा तो बाबा कामदेव का प्रभाव, भास्कर में हुआ तो फांट से अलग िदखने की कोिशश, जागरण का हुआ तो ठूंसकर टेक्स्ट भरेगा, नवभारत टाइम्स का हुआ तो अंगऱेजी झाड़कर अपनी बेचारगी दशाॆएगा, अगर आज समाज का हुआ तो हेिडंग के नीचे जंप हेड जरूर मारेगा, चाहे डबल कालम का लव लेटर हो या चार कालम का.
आम आदमी भी प्रेम पत्र िलखने के इन नुस्खों को अपना सकते हैं, िजससे प्रेमी प्रेमिका की आपसी समझ बढ़ेगी और प्यार में लव लेटर के खतरे से पूरी तरह से बचा जा सकेगा.
तो कामदेव की आराधना के साथ शुरु करिये प्रेमपत्र लिखना. सफलता के िलए शुभकामनाएं.
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