Monday, October 13, 2008

कुछ यूं मचा कर्नाटक में बवाल, सरकार जवाब दे, क्या किया उसने?

1) “…इन्द्रसभा की नृत्यांगना उर्वशी विष्णु की पुत्री थी, जो कि एक वेश्या थी…”।
2) “…गुरु वशिष्ठ एक वेश्या के पुत्र थे…”।
3) “…बाद में वशिष्ठ ने अपनी माँ से शादी की, इस प्रकार के नीच चरित्र का व्यक्ति भगवान राम का गुरु माना जाता है…” (पेज 48)।
4) “…जबकि कृष्ण खुद ही नर्क के अंधेरे में भटक रहा था, तब भला वह कैसे वह दूसरों को रोशनी दिखा सकता है। कृष्ण का चरित्र भी बहुत संदेहास्पद रहा था। हमें (यानी न्यूलाईफ़ संगठन को) इस झूठ का पर्दाफ़ाश करके लोगों को सच्चाई बताना ही होगी, जैसे कि खुद ब्रह्मा ने ही सीता का अपहरण किया था…” (पेज 50)।
5) “…ब्रह्मा, विष्णु और महेश खुद ही ईर्ष्या के मारे हुए थे, ऐसे में उन्हें भगवान मानना पाप के बराबर है। जब ये त्रिमूर्ति खुद ही गुस्सैल थी तब वह कैसे भक्तों का उद्धार कर सकती है, इन तीनों को भगवान कहना एक मजाक है…” (पेज 39)।


“न्यू लाईफ़ वॉइस” मिशनरी केन्द्र ने एक पुस्तक प्रकाशित की जिसका नाम रखा गया “सत्य दर्शिनी”, और इस बुकलेटनुमा पुस्तक को बड़े पैमाने पर गाँव-गाँव में वितरित किया गया। इस पुस्तक को पढ़ने के बाद लोग भड़क गये और यही इन दंगों का मुख्य कारण रहा.
http://sureshchiplunkar.blogspot.com
पर इसके बारे में जानकारी मिली। अगर यह सही है कि इस तरह की किताब बांटी गई, तो सवाल यह उठता है कि क्या यह भड़काऊ नहीं है जिससे मारकाट मच जाए???
ऐसे में सरकार ने क्या किया? क्या ऐसे संगठनों और मिशनरियों पर प्रतिबंध नहीं लगना चाहिए????

3 comments:

दीपक कुमार भानरे said...

यदि यह सही है तो , फिर ख़ुद को धर्म निरपेक्ष कहने वाले लोग क्या कर रहे हैं.
क्या राष्ट्रीय एकता परिषद् की बैठक मैं बजरंग दल के प्रतिबन्ध की मांग करने वाले लोग इस बात को भी उठाएंगे .या फिर आँख मूँद लेंगे .

संगीता पुरी said...

यह तो वही बात हुई कि जिस डाल पर आप बैठें हों , उसे ही काट रहे हों। हमारी और हमारे सरकार की उदारता का ऐसा नाजायज फायदा किसी को नहीं उठाना चाहिए।

PREETI BARTHWAL said...

अब कहां गये धर्म के महात्मा ।