सबकी अपनी अपनी सोच है, विचारों के इन्हीं प्रवाह में जीवन चलता रहता है ...
अविरल धारा की तरह...
Sunday, October 19, 2008
नंगू
शाकाहार तो ठीक है भइया। ज्यादातर भारतीय इसका समथॆन करते हैं। लेकिन इस तरह का शाकाहार? अगर ऐसा ही किया तब तो सड़क पर धूमने वाली गाय और बकरियां हमें नंगा कर देंगी।
1 comment:
Anonymous
said...
इसे प्रदर्शन को देखकर अजूबा सा लग रहा है कही कोई इनके शाकाहारी वस्त्रो को गाय बकरियां ख गई तो फ़िर हो जावेंगी पूरी तरह से नंगी हा हा हा इन सफ़ेद चमडी वालो को नए नए आविष्कार सूझते रहते है क्या कहे उनकी संस्कृति को हा हा हा
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इसे प्रदर्शन को देखकर अजूबा सा लग रहा है कही कोई इनके शाकाहारी वस्त्रो को गाय बकरियां ख गई तो फ़िर हो जावेंगी पूरी तरह से नंगी हा हा हा इन सफ़ेद चमडी वालो को नए नए आविष्कार सूझते रहते है क्या कहे उनकी संस्कृति को हा हा हा
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