Tuesday, November 4, 2008

राज ठाकरे जी, आप यूपी-बिहार की जनता की मदद करें... यहां के नेताओं को पीटने में

अब इसमें कोई संदेह नहीं रहा कि आप बहुत महान नेता हैं। महाराष्ट्र की रक्षा करते हैं, यूपी और बिहार या कहें उत्तर भारत के ठेले खोमचे वालों, रिक्शेवालों को पीटकर। हमें आपकी मदद चाहिए। हमें यूपी-बिहार के नेताओं को पीटना है।

ये हमारे लिए कुछ नहीं कर सकते। इनके पास प्रदेश के विकास की कोई योजना नहीं है। रोजगार के अवसर कुछ खास प्रदेशों के कुछ बड़े शहरों तक सिमटते गए। और हमारे नेता- चाहे मुलायम-राजनाथ-मायावती हों या नीतीश-लालू-रामविलास, किसी ने अपने प्रदेश में कृषि के विकास के बारे में नहीं सोचा। वहां का किसान आलू, लहसुन, गन्ना, लीची, आम, दूध... आदि, आदि सब कुछ उपजाने को तैयार है। उपजाता भी है। लेकिन इन सरकारों के पास व्यावसायिक खेती के क्षेत्रवार विभाजन, यानी किस इलाके में क्या उपजाया जाए, किस जिले में टमाटर उपजाया जाए और वहां उसके संरक्षण और प्रासेसिंग प्लांट, बाजार की व्यवस्था कर दी जाए- ऐसी योजना नहीं है।

बिहार के नेता तो ठीक हैं। केंद्र में भी आपके लोगों द्वारा पिटाई के खिलाफ कम से कम आवाज उठाते हैं। ठीक है कि आप दबाव में न आकर पिटाई जारी रखे हैं क्योंकि आपके चाचा ने आपको अपने उत्तराधिकार से बेदखल कर दिया है, तो अब अपना कुछ राजनीतिक धंधा तो चमकाने के लिए कुछ न कुछ तो करना ही है। ठीक ही कर रहे हैं। बिहार के नेताओं का रोना-पीटना सुनकर आपने उत्तर भारतीयों की पिटाई की कुछ स्पीड कम कर दी है, यह खुशी की बात है।

लेकिन यूपी के नेता तो कुछ भी करने में सक्षम नहीं हैं, सब के सब निपनिया हैं। निपनिया शब्द उनके लिए होता है, जिनको कोई लाज शर्म न हो। राजनाथ सिंह को देख लीजिए। पता नहीं कहां से टपके हैं। भाजपा के अध्यक्ष बन गए। जुबान ही नहीं खुल रही है, जबकि बिहार की तुलना में आपके लोगों ने उत्तर प्रदेश के तीन गुना लोगों को मार डाला है।

सही कहें तो उत्तर प्रदेश कानूनी रूप से नहीं तो व्यावहारिक रूप से पूरी तरह विभाजित है। लखनऊ में पिछले १५-२० साल से सत्ता में आ रहे नेता पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं। वे कभी पूर्वी उत्तर प्रदेश के बारे में सोचते नहीं। उन्हें केवल उनके वोट से मतलब होता है।

अब आप ही से एक आस बची है। ऐसे निकम्मे और विध्वंसक नेताओं से आप ही यूपी और बिहार के लोगों को बचा सकते हैं। आप हमारी मदद करें। हम इन निकम्मे नेताओं को पीटना चाहते हैं। हमी लोग हैं, जो देश और दुनिया में जाकर नौकरी करते हैं और उन प्रदेशों को चमका देते हैं, लेकिन अपने प्रदेश में भैंस पालकर दूध भी नहीं पैदा कर सकते। दूध से बने पदार्थ भी हम दूसरे राज्यों से लेते हैं। आपसे अनुरोध है कि इन गरीब ठेले-खोमचे और रिक्शावालों को पीटने की बजाय हमारा साथ ले लें। हमारे नेताओं को पीटना शुरू कर दें। पूरे देश के नेता बन जाएंगे।

राज ठाकरे जी, शायद आप भूल गए हैं कि आप भारतीय हैं और भारत के नेता बन सकते हैं। लेकिन हम आपको भारत का नेता बनाएंगे, जो महाराष्ट्र की तुलना में हर लिहाज से बड़ा है।

6 comments:

Unknown said...

"हमें यूपी-बिहार के नेताओं को पीटना है। ये हमारे लिए कुछ नहीं कर सकते। इनके पास प्रदेश के विकास की कोई योजना नहीं है। रोजगार के अवसर कुछ खास प्रदेशों के कुछ बड़े शहरों तक सिमटते गए। और हमारे नेता- चाहे मुलायम-राजनाथ-मायावती हों या नीतीश-लालू-रामविलास, किसी ने अपने प्रदेश में कृषि के विकास के बारे में नहीं सोचा..." क्या खूब कहा है, पहले ही इस बारे में सोच लेते तो राज ठाकरे की मेहनत बच जाती…

Unknown said...

एक कहावत है कि हर बात में कोई न कोई अच्छाई होती है. अब देखिये न, राज ठाकरे की गुंडई में भी एक अच्छाई निकल आई, और अच्छाई भी ऐसी कि महाराष्ट्र की जगह सारे भारत के नेता बन सकते हैं. यूपी और बिहार के नेताओं की धुलाई करें, सारे वोट उन के.

पत्रकार said...

बेहतरीन
आपके विचार वाकई जन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।

Satyendra PS said...

सुरेश जी,
बड़े शर्म की बात है कि राज ठाकरे, बाल ठाकरे जैसे निकृष्ठ लोग हमारे देश में हैं। मैंने पहली बार बाल ठाकरे के बारे में तब सुना था, जब इन्होंने राम मंदिर मुद्दे पर तमाम बयान दिया था। उस समय ये हिंदू थे। अभी अचानक साध्वी के मसले पर भी बाल ठाकरे अचानक हिंदू बन गए। एक ही देश में रहते हैं, भारत मां की धरती पर ही सांस लेते हैं और इतनी गंदी राजनीति करते हैं कि शर्म भी शरमा जाए। अपने स्वार्थ में कभी मराठी बन जाते हैं, कभी हिंदू बन जाते हैं। शायद ईसाई संगठनों से मुंहमांगी कीमत मिले तो ये ईसाई बनने से भी परहेज नहीं करेंगे और मराठियों की भी पिटाई शुरू कर देंगे ईसाई बनाने के लिए। इनके लिए भगवान का कोई मतलब नहीं है, पूजा से कोई मतलब नहीं है, भगवान को भी मराठी बाबा और यूपी बाबा, बिहार के भगवान आदि नामों में बांट रखा है। गरीब लोगों को मंदिर के नाम पर मरवा कर राजनीति चमकानी हो तो ये उन्हें हिंदू घोषित कर देते है। अगर उनको हक देने की बात आए तो उन्हें नीच बताते हैं। ऐसी राजनीति पर सबको थूकना ही चाहिए। ये अलग बात है कि यूपी-बिहार के नेता अपने प्रदेश के लोगों के लिए कुछ खास नहीं कर पाते, इसलिए वे गाली के पात्र तो हैं ही। अपनी जिम्मेदारियों से वे नहीं बच सकते।
प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद।

Shiv said...

इस मामले में बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग आत्मनिर्भर क्यों नहीं बन सकते? अपने नेताओं के पीटने का काम भी बाहर वालों से करवाएंगे? ये ठीक नहीं है जी. इसका मतलब तो ये हुआ कि बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों के अन्दर दम नहीं है.

मार नहीं सकते तो कम से कम उन्हें चुनावों में हरा तो सकते हैं.

नटखट बच्चा said...

कमाल है कश्मीर में श्रीनगर जाकर झंडा फहराये इतने बड़े तुर्रमखां है तो वहां तो जाने के नाम पर घिघ्गी बन जाती है इनकी ,सोचो के अगर सभी हिन्दुतानियो को पीट पीट के अपने देशो से लोग निकालना शुरू कर दे ?