भारत सरकार के आधिकारिक आंकड़ों (राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो )के मुताबिक वर्ष 2009 में खेती के क्षेत्र में कुल 17,368 आत्महत्याएं हुई हैं।केंद्र सरकार ने बताया कि पंजाब में वर्ष 2009 और 2010 में 19 किसानों ने कृषि संबंधी कारणों से आत्महत्या की। कृषि राज्यमंत्री हरीश रावत ने बताया कि पंजाब में वर्ष 2009 के दौरा 15 और 2010 के दौरान 4 किसानों ने आत्महत्या की। उन्होंने बताया कि आंध्र प्रदेश में 2009 में 296, 2010 में 152 किसानों ने आत्महत्या की थी। उन्होंने गंगाचरण के सवालों के लिखित जवाब में बताया कि कर्नाटक में 2009-10 में 138 और 2010-11 में 77 किसानों ने आत्महत्या की थी। महाराष्ट्र में वर्ष 2009 में 503 और 2010 में 234 किसानों ने आत्महत्या की थी। रावत ने कहा कि राज्य सरकारों द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचना के अनुसार किसानों द्वारा आत्महत्या के विभिन्न कारण थे जिनमें कर्ज का बोझ, फसल खराब होना, सूखा तथाा सामाजिक, आर्थिक एवं व्यक्तिगत कारण शामिल हैं। (भाषा, 19 अगस्त 2011)
3 comments:
दुर्भाग्यपूर्ण, देश पर अश्रु बहाने का मन करता है।
क्या कीजिएगा प्रवीन सर... ये तो वोटर हैं, इसलिए दबा छिपा कर इनकी लाशें गिन ली जाती हैं... जहाँ लोगों से जंगल छीनकर सूडान बना दिया गया है... वहाँ तो लाशों की गिनती भी नहीं करती है सरकार...
सत्येन्द्र जी ! ये आंकड़े अपर्याप्त हैं ! आपको आत्महत्या करने वाले किसानों की जाति और धर्म भी बताना चाहिए ! केवल "किसान " लिख देने से काम नहीं चलेगा !
Post a Comment