सत्येन्द्र प्रताप
पता नहीं यह सही है या गलत, लेकिन अमेरिका के शोधकर्ताओं ने सर्वे के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है। नाम के पहले अक्षर में जादुई करिश्मा होता है। अमेरिका के दो शोधकर्ताओं ने प्रबंधन छात्रों और विधि छात्रों के ग्रेड पर अध्ययन किया है।
इन वैज्ञानिकों ने अपनी शोध रिपोर्ट में खुलासा किया है कि जिन संस्थानों की ग्रेडिंग (दर्जा) पद्धति की सर्वोच्च श्रेणी वहां के छात्रों के नाम के पहले अक्षर से मेल खाते हैं, उनकी सफलता का रिकॉर्ड ऊंचा रहता है।
उदाहरण के लिए प्रबंधन संस्थानों में ग्रेडिंग पद्धति ए, बी, सी, डी के हिसाब से होती है। इनमें सबसे अच्छा ग्रेड ‘ए’ और ‘बी’ होता है। तो इस हिसाब से जिन छात्रों का नाम ‘ए’ या ‘बी’ से शुरू होता है उनका प्रदर्शन उन छात्रों से बेहतर होता है जिनका नाम ‘बी’ या ‘सी’ से शुरू होता है।
कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय के लीफ नेल्सन और येल विश्वविद्यालय के जोसेफ सिमोंस ने अपने शोध में पाया कि जब विधि के छात्रों पर यही अध्ययन किया गया तो इस बार उन छात्रों का प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ नहीं था जिनके नाम ‘ए’ या ‘बी’ अक्षर से शुरू होते हैं। इसकी वजह यह है कि यहां ग्रेडिंग के लिए ‘ए’ या ‘बी’ रैंकिंग पद्धति का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
हालांकि इस अध्ययन में यह भी कहा गया है कि कोई छात्र अगर अपने नाम को लेकर सजग हो जाता है तो परिणाम मनमाफिक होने की सम्भावना कम होती है।
इस अध्ययन रिपोर्ट को ‘साइकोलॉजिकल साइंस’ जर्नल में प्रकाशित किया गया है। वैज्ञानिकों ने इस सिद्धांत को ‘नाम अक्षर प्रभाव’ नाम दिया है।
पता नहीं यह सही है या गलत, लेकिन अमेरिका के शोधकर्ताओं ने सर्वे के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है। नाम के पहले अक्षर में जादुई करिश्मा होता है। अमेरिका के दो शोधकर्ताओं ने प्रबंधन छात्रों और विधि छात्रों के ग्रेड पर अध्ययन किया है।
इन वैज्ञानिकों ने अपनी शोध रिपोर्ट में खुलासा किया है कि जिन संस्थानों की ग्रेडिंग (दर्जा) पद्धति की सर्वोच्च श्रेणी वहां के छात्रों के नाम के पहले अक्षर से मेल खाते हैं, उनकी सफलता का रिकॉर्ड ऊंचा रहता है।
उदाहरण के लिए प्रबंधन संस्थानों में ग्रेडिंग पद्धति ए, बी, सी, डी के हिसाब से होती है। इनमें सबसे अच्छा ग्रेड ‘ए’ और ‘बी’ होता है। तो इस हिसाब से जिन छात्रों का नाम ‘ए’ या ‘बी’ से शुरू होता है उनका प्रदर्शन उन छात्रों से बेहतर होता है जिनका नाम ‘बी’ या ‘सी’ से शुरू होता है।
कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय के लीफ नेल्सन और येल विश्वविद्यालय के जोसेफ सिमोंस ने अपने शोध में पाया कि जब विधि के छात्रों पर यही अध्ययन किया गया तो इस बार उन छात्रों का प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ नहीं था जिनके नाम ‘ए’ या ‘बी’ अक्षर से शुरू होते हैं। इसकी वजह यह है कि यहां ग्रेडिंग के लिए ‘ए’ या ‘बी’ रैंकिंग पद्धति का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
हालांकि इस अध्ययन में यह भी कहा गया है कि कोई छात्र अगर अपने नाम को लेकर सजग हो जाता है तो परिणाम मनमाफिक होने की सम्भावना कम होती है।
इस अध्ययन रिपोर्ट को ‘साइकोलॉजिकल साइंस’ जर्नल में प्रकाशित किया गया है। वैज्ञानिकों ने इस सिद्धांत को ‘नाम अक्षर प्रभाव’ नाम दिया है।
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