Friday, April 10, 2009

वॉर्न की गुगली पर आउट हुए 100 क्रिकेटर

सुवीन सिन्हा


किताब में गांगुली को जहां 96वें स्थान पर रखा गया है, वहीं पूर्व क्रिकेटर कपिल देव 43वें स्थान पर हैं।

इस किताब के शीर्षक पर ज्यादा सोच-विचार मत कीजिएगा। यह किताब उन 100 क्रिकेट खिलाड़ियों के बारे में नहीं है, जिनके साथ या खिलाफ शेन वॉर्न ने कमान संभाली थी। असलियत में यह किताब खुद शेन वॉर्न के बारे में है।
यह क्रिकेट से संन्यास ले चुके ऑस्ट्रेलिया के लेग स्पिनर का एक तरीका है, जिसके जरिए वह दुनिया को अपने नजरिये के बारे में बताते हैं। निश्चित तौर पर उनके करियर में भी काफी उतार-चढ़ाव रहे होंगे।किताब को पिछले साल ब्रिटेन के एक अखबार 'टाइम्स' में छपी उस फेहरिस्त का अगला भाग भी कह सकते हैं, जिसमें उनके समय के 50 क्रिकेटरों का जिक्र किया गया है। इस सूची के छपने से एक उत्तेजना पैदा होती है। इसे वॉर्न के अपनी टीम और दूसरी टीमों में अपने प्रतिद्वंद्वियों के साथ हिसाब चुकाने के एक तरीके के रूप में भी देखा गया था। इस किताब से ऐसा लगता है जैसे वार्न टॉप 50 के छपने के बाद से कुछ नरम हो गए हों। इस किताब ने वॉर्न को एक मंच भी दिया है, जिसके जरिये उन्होंने अपने फैसलों के लिए सफाई भी दी है। जैसे आखिर सचिन तेंदुलकर ब्रायन लारा से रैंक के मुकाबले में आगे क्यों हैं। टाइम्स के टॉप 50 में कुछ ऐसे भी चेहरे थे, जिनका जिक्र वॉर्न नहीं कर पाए थे, लेकिन उन्होंने वॉर्न की इस किताब में अपनी जगह जरूर बना ली है। इस किताब में 100 नाम हैं। किताब में फेहरिस्त के मुकाबले दोगुनी जगह मिलनी है।

इस फेहरिस्त में श्रीलंका के खिलाड़ी अर्जुन रणतुंगा को 93वां स्थान मिला है, जिनके साथ वॉर्न (और दूसरे ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों) की लंबी बहस हुई थी। यह अलग बात है कि रणतुंगा इस किताब में अपने नाम को अंत में भी शामिल कराना नहीं चाहते हों क्योंकि वॉर्न ने उनके बारे में कहा था कि 'उन्हें देखकर ऐसा लगता है, मानो उन्होंने पूरी भेड़ खा ली हो।'मजे की बात तो यह है कि वॉर्न भी कभी दुबले-पतले नहीं रहे और वजन घटाने के लिए उन्होंने दवाओं तक का इस्तेमाल किया और जब पकड़े गए तब उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया।वॉर्न की इस किताब में शामिल होने का सम्मान दो कप्तान को हासिल हुआ। दूसरे कैप्टन सौरव गांगुली रहे, जो रणतुंगा की ही तरह ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों का दर्द बन गए। इस किताब में उन्हें रणतुंगा से 3 पायदान नीचे 96वें पायदान पर रखा गया है।

वॉर्न ने किताब में गांगुली के बतौर कप्तान और खिलाड़ी कुछ ऐसे वाकयों को लिखने का मौका नहीं गंवाया जहां उन पर उंगली उठाई जा सके। जहां दुनिया ऑफ-साइड मंद गति से खेलने वाले गांगुली की तारीफ करती नहीं थकती, वहीं वॉर्न ने काफी भद्र व्यवहार के साथ कहा, 'मैं पूरी तरह से तो नहीं, लेकिन हां, काफी हद तक यह कह सकता हूं कि औरों के मुकाबले वह लगातार बेहतर खेलते थे और असलियत में यह उनका एक गुण था।' वॉर्न के शब्दों में गांगुली की कप्तानी कुशलता के लिहाज से बेहद अच्छी तो नहीं कही जा सकती और वह अपने खिलाड़ियों का शानदार तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाए। इन दोनों कप्तानों के नाम के इस फेहरिस्त में शामिल होने के साथ ही वार्न का एक अहम मकसद भी पूरा हो गया।

टाइम्स में छपी उनकी टॉप 50 की फेहरिस्त के लिए उनकी आलोचना की गई थी कि इसमें सिर्फ उनके साथियों का ही नाम शामिल किया गया है। इस किताब में आगे कुछ विक्टोरिया की तरफ से खेलने वाले उनके साथियों के नाम भी शामिल हैं, हालांकि मर्व ह्यूज को वार्न ने 18वें पायदान पर रखा है, जबकि कपिल देव (43वें), वकार यूनिस (31वें), ऐलन डोनाल्ड (36वें) उनसे काफी नीचे हैं।हालांकि वार्न ने अपने ही कप्तान स्टीव वॉ की रेटिंग (26 वें) ऐसी की है कि कुछ भी कहा नहीं जा सकता। वॉ भाइयों में से बड़ा भाई अपने समय में सबसे साहस वाला बल्लेबाज माना जाता था। उन्हें संकटमोचक खिलाड़ी कहा जाता था, जिसके मैदान पर रहते टीम को मैच अपनी मुट्ठी में रहने का भरोसा होता था।छोटे भाई मार्क वॉ को इस फेहरिस्त में 9वें पायदान पर रखा गया है। 1990 के दशक के बीच में जब ऑस्ट्रेलिया की टीम वेस्ट इंडीज को उसी की जमीन पर पछाड़ कर सबसे बेहतर टेस्ट टीम बनी थी तो उसकी वजह स्टीव वॉ की बल्लेबाजी थी। वॉ की कप्तानी में ऑस्ट्रेलियाई टीम एक नए मुकाम पर पहुंची और टेस्ट क्रिकेट की शक्ल ही बदल गई। उसमें इतनी तेजी से रन बनाए जाने लगे कि मैच ड्रॉ होने का सवाल ही नहीं रहा।हालांकि वॉ की तारीफ में पढ़े जाने वाले कसीदे ऐलन बॉर्डर (चौथा पायदान) और मार्क टेलर (12वां पायदान) से पहले ही खत्म हो गए। वॉ के करियर की शुरुआत इन्हीं दो कप्तानों के साथ हुई, जिनके हाथों में ऑस्ट्रेलियाई टीम की कमान थी। ये भी इत्तेफाक है कि वॉ के कप्तान बनते ही वॉर्न को कप्तानी मिलने की उम्मीद खत्म हो गई और ये दोनों कभी बहुत अच्छे दोस्त नहीं रहे।लेकिन जैसा वॉर्न ने एक जगह कहा भी है, आखिरकार ये उन्हीं की किताब है। और इसमें आपको वही पढ़ने को मिलेगा जो वॉर्न चाहते हैं।


पुस्तक समीक्षा

शेन वर्र्न्स सेंचुरी: र्माई टॉप 100 टेस्ट क्रिकेटर्स

लेखक: शेन वॉर्न

प्रकाशक: मेनस्ट्रीम पब्लिशिंग

कीमत: 525 रुपये

पृष्ठ: 320



http://hindi.business-standard.com/hin/storypage.php?autono=13291

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