सत्येन्द्र प्रताप सिंह
लोकसभा चुनाव के पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपने पाले में शामिल करने की कोशिश करने वाली कांग्रेस ने सरकार बनने के बाद बिहार को निराश कर दिया है।
दरअसल चुनाव परिणाम आने के पहले कांग्रेस को खुद के गठजोड़ के दम पर सरकार बनने की उम्मीद नहीं थी और उस समय प्रधानमंत्री ने भी बिहार को सैध्दांतिक रूप से विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने को समर्थन दिया। लेकिन प्रणब मुखर्जी ने अपने बजट से बिहारी बाबू के खासा नाराज कर दिया।
नीतीश कुमार ने कहा कि हमें उम्मीद थी कि राज्य के पिछड़ेपन और स्थानीय लोगों के पलायन को ध्यान में रखते हुए सरकार निश्चित रूप से बजट में अलग से सहायता का प्रावधान करेगी, लेकिन बजट में तो मनमोहन सरकार खुद के वादों से भी मुकर गई। कुमार ने कहा कि सरकार ने बिहार के विकास की जरूरतों को नहीं समझा।
अगर बजट में राज्यों को विशेष सहायता दिए जाने की सूची को देखें तो तमिलनाडु को श्रीलंका से आए विस्थापितों को बसाने के लिए 500 करोड़ रुपये, पश्चिम बंगाल में आइला तूफान से हुए नुकसान की भरपाई के लिए 1000 करोड़ रुपये, दिल्ली में कामनवेल्थ खेलों के लिए 16,300 करोड़ रुपये दिए गए, वहीं बिहार में कोसी नदी से आई बाढ़ को पिछली संप्रग सरकार के कार्यकाल में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने खुद राष्ट्रीय आपदा घोषित किया था और उस समय सहायता दिए जाने की बात कही गई।
उस सरकार में प्रमुख भागीदार रहे लालू प्रसाद केंद्र पर दबाव बनाने में सफल रहे थे, लेकिन वर्तमान संप्रग सरकार में बिहार की हिस्सेदारी खत्म हो गई और सरकार ने कोसी की बाढ़ से पीड़ित बिहार के लोगों के लिए कोई आर्थिक सहायता देने की जरूरत नहीं समझी।
राज्य सरकार ने बिहार की गरीबी और स्थानीय लोगों के दूसरे राज्यों में बढ़ते विस्थापन के आंकड़े देते हुए केंद्र सरकार से विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग की थी। राज्य की उम्मीदें तब और प्रबल हो गई, जब राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद ज्ञापन करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राज्य के पिछड़ेपन को स्वीकारा, लेकिन बजट में विशेष श्रेणी या विशेष पैकेज जैसी कोई बात सामने नहीं आई।
यहां तक कि पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के लिए हैंडलूम क्लस्टर की घोषणा की गई, लेकिन भागलपुर के हैंडलूम क्षेत्र की पूरी तरह से उपेक्षा कर दी गई। राज्य के वित्तमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राजस्व के मसले में भी केंद्र सरकार ने निराश किया है।
उन्होंने कहा कि अंतरिम बजट में बिहार के हिस्से 18,154 करोड़ रुपये आया था, लेकिन प्रणब मुखर्जी के 2009-10 के अंतिम बजट में इसे कम कर 18,909 करोड़ रुपये कर दिया गया। पिछले साल की तुलना में राज्य को दिए जाने वाले राजस्व में केवल 2.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
मोदी ने कहा कि इसके लिए मंदी का हवाला दिया जा रहा है, लेकिन इन्हीं परिस्थितियों में राज्य सरकार ने आंतरिक कर राजस्व में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। उम्मीद थी कि राज्य को केंद्र की मदद मिल जाएगी, लेकिन बजट ने भी राज्य को निराश कर दिया।
ख्वाहिशें... जो नहीं हुई पूरी
विशेष राज्य का दर्जा
पिछड़ेपन और पलायन को देखते हुए विशेष पैकेज
कोसी नदी में आई बाढ़ के बाद पीड़ितों की मदद के लिए रकम
विशेष सड़क योजना के लिए सहायता
केंद्र सरकार के राजस्व में हिस्सेदारी बढ़ाना
भागलपुर को हैंडलूम क्लस्टर के रूप में आर्थिक मदद
किशनगंज में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय कैंपस खोलने के लिए मदद
http://hindi.business-standard.com/hin/storypage.php?autono=21235
2 comments:
good post..
kya kariyega sab vote aur sattaee rajnitee ka karisma hai.
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