झारखंड के पत्रकारों को जाग जाने की जरूरत है। ईमानदार हों तो तथ्यों को सामने लाने के लिए और अगर समझदार (....) हों तो कमाई करने के लिए।
झारखंड सरकार 2001 की औद्योगिक नीति में बदलाव करने जा रही है। इसके पहले भी अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री रहे हैं, लेकिन तब उन्हें नहीं लगा कि 2001 की औद्योगिक नीति उद्योग जगत के प्रति मित्रवत नहीं है। लेकिन अब उन्हें ऐसा लगने लगा है।
राजनीतिक अस्थिरता के दौर में बड़ी मेहनत से अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री बने हैं। कहा गया कि असल मेहनत भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी और कुछ प्रमुख उद्योगपतियों ने की, जिनकी नजर राज्य के प्राकृतिक संसाधनों पर है। अब यही देखने की बात होगी कि मुंडा सरकार जब अपना दिल खोलती है तो किसको कितने हजार करोड़ का फायदा कराती है।
झारखंड सरकार ने राज्य की औद्योगिक नीति 2001 में संशोधन करने का फैसला किया है। इसमें कारोबारियों को और प्रोत्साहन देने के लिए बदलाव किया जाएगा। 10 साल पहले बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी सरकार ने औद्योगिक नीति तैयार की थी। पुनरीक्षित औद्योगिक नीति मेंं जमीन, पानी, लौह अयस्क, कोल लिंकेज आदि जैसी बुनियादी ढांचा सुविधाओं को ध्यान में रखा जाएगा, जिससे इन क्षेत्रों में निवेश आकर्षित किया जा सके। पुनरीक्षित औद्योगिक नीति में परंपरागत और गैर परंपरागत ऊर्जा, कृषि और खनन क्षेत्र को कुछ प्रोत्साहन दिए जाने की योजना है।
1 comment:
कहीं न कहीं नल खुला होगा, पता पर दो साल बाद चलेगा।
Post a Comment