राजद्रोह के आरोप में बिनायक सेन को आजीवन कारावास की सजा हो गई। लंबे समय तक मुकदमा चला, वे लगातार जेल में रहे। सवाल यह है कि सत्ता और विपक्ष में बैठी दक्षिणपंथी पार्टियों के लिए बिनायक सेन क्या इतने खतरनाक हो गए थे, जितने खतरनाक अंग्रेजों के लिए महात्मा गांधी हो चुके थे?
बिनायक सेन का पूरा जीवन त्याग और समर्पण का रहा है। उनके जीवन परिचय से तो यही सामने आता है। बिनायक सेन ने वैल्लोर विश्वविद्यालय के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज से स्वर्ण पदक प्राप्त किया था। 80 के दशक के प्रारंभ में वे छत्तीसगढ़ चले आए थे। वे तभी से छत्तीसगढ़ में हैं और उन्होंने हर पृष्ठभूमि के मरीजों की देखभाल की है। सेन ने अपने आदर्श शंकर गुहा नियोगी की ही तरह अन्य क्षेत्रों में भी काम किया (नियोगी की १९९१ में हत्या कर दी गई थी)। वे आदिवासियों के सामाजिक अधिकारों के प्रति सचेत हुए, जो बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे थे और जिनके बच्चे प्राथमिक शिक्षा तक से महरूम थे। उसके बाद उन्होंने उन इलाकों को अपना कार्यक्षेत्र बनाया, जहां स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं थीं। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के वे आदिवासी इलाके, जहां स्वास्थ्य की बुनियादी सुविधाएं भी नहीं थीं (आज भी नहीं हैं)।
सवाल यह है कि क्या भारत में वंचितों की आवाज उठाने की यही सजा मिलेगी? आज देश का कोई भी चैनल या अखबार उन इलाकों से खबरें लाने की भी स्थिति में नहीं है, जहां बिनायक सेन काम करते थे। क्या उन इलाकों की हकीकत से आम लोग रूबरू हो पाएंगे कि सेन ग्रामीणों को कौन सी शिक्षा दे रहे थे?
आइये देखते हैं कि किन आरोपों में विनायक सेन को सजा सुनाई गई है और उसमें क्या दम है..
1- डॉ. सेन ने 17 महीनों के दौरान सान्याल से 33 मुलाकातें कीं। इसके लिए जेल प्रशासन ने उन्हें बाकायदा अनुमति दी थी। आवेदन करते समय डॉ. सेन ने पीयूसीएल (सर्वोदय नेता जयप्रकाश नारायण द्वारा गठित संस्था पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज) से जुड़ाव को भी नहीं छुपाया था।
2-डॉ. सेन ने पीयूसीएल के लैटरहेड पर ही जेल प्रशासन को अपना आवेदन दिया था। जिस पर उन्हें सान्याल और दूसरे कैदियों से मिलने की इजाजत दी गई।
3- रायपुर के अतिरिक्त जिला एवं सत्र जज बीपी वर्मा ने सान्याल की रिश्तेदार बुला सान्याल और डॉ. सेन के बीच फोन पर हुई बातचीत के टैप को सान्याल के साथ डॉ. सेन के साजिशपूर्ण रिश्तों का सबूत माना था।
4- 24 दिसंबर को दिए गए फैसले में कई जगह जेल में दर्ज रिकॉर्ड का हवाला दिया गया, जिसमें डॉ. सेन को सान्याल का रिश्तेदार बताया गया है।
5- डॉ. सेन की सान्याल से मुलाकातों का जेल प्रशासन के पास पूरा ब्योरा रहता था।
और ये हैं सबूत, जो पेश किए गए....
१-रायपुर सेंट्रल जेल में बंद नारायण सान्याल ने ३ जून २००६ को बिनायक सेन को एक पोस्ट काडॆ लिखा, जिसमें उन्होंने अपने स्वास्थ्य चिंताओं और चल रही कानूनी कार्यवाही के बारे में जानकारी दी थी। इस पर जेल अधिकारियों के हस्ताक्षर थे।
२-एक पीले रंग की बुकलेट जिसमें सीपीआई (पीपुल्स वार) और माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर के बीच एकता की बात कही गई है।
३-मदनलाल बनर्जी (सीपीआई-माओवादी के सदस्य) द्वारा जेल से लिखा गया पत्र, जिसमें उन्होंने प्रिय कामरेड बिनायक सेन... लिखकर सेन को संबोधित किया गया है।
४- अंग्रेजी में लिखे एक लेख की छाया प्रति, जिसे ... नक्सल मूवमेंट, ट्राइबल एंड वुमेन्स मूवमेंट... शीर्षक के तहत लिखा गया।
५-एक ४ पृष्ठ का हस्तलिखित नोट, जिसका शीर्षक है॥ हाऊ टु बिल्ड एंटी यूएस इंपीरियलिस्ट फ्रंट।
६- आठ पृष्ठों का लेख, जिसका शीर्षक है क्रांतिकारी जनवादी मोर्चा (आईटीएफ), वैश्वीकरण एवं भारतीय सेवा केंद्र।
इसके पहले भी मैने ब्लॉग में लिखा था कि रायपुर से खबर आई थी कि माओवादियों का संबंध आईएसआई से है। उस आईएसआई का जुड़ाव भी विनायक सेन से लगाया गया था, जिसके बारे में न्यायालय में पूछे जाने पर पता चला कि दिल्ली स्थित इंडियन सोशन इंस्टीट्यूट के संस्थापक से विनायक सेन की पत्नी से रायपुर के आदिवासियों से बातचीत होती थी, जिसे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से भारतीय जांच एजेंसियों ने रिश्ते निकाल लिए।
क्या न्यायालय में पेश किए गए दस्तावेज विनायक सेन को राजद्रोही घोषित करने के लिए पर्याप्त हैं? मुझे तो यही लगता है कि कांग्रेस व भाजपा जैसी पूंजीवाद समर्थक पार्टियों के लिए सेन उतने ही खतरनाक होते जा रहे थे, जितने खतरनाक अंग्रेजों के लिए गांधी थे। उसी की सजा सेन को न्यायालय ने भी दे दी और सरकार को खुश कर दिया।
1 comment:
बिल्कुल मौजू बात कही आप ने
Post a Comment