बिहार के पूर्णिया जिले में भाजपा के एक स्थानीय विधायक राजकिशोर केसरी की रूपम पाठक नाम की एक महिला ने चाकू मारकर हत्या कर दी। आरोपी महिला ने छह महीने पहले विधायक केसरी के खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगाया था।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीपी ठाकुर ने कहा कि केसरी की मौत से भाजपा ने एक युवा और समर्पित सिपाही खो दिया है। राजद के महासचिव रामकृपाल यादव ने कहा कि मैंने अपना एक करीबी साथी खो दिया। घटना के बाद विधायक के घर पर मौजूद लोगों ने महिला को बुरी तरह पीटा और बाद में उसे पुलिस के हवाले कर दिया।
(स्वाभाविक है कि जनता दरबार का संचालन कर रहे विधायक पर हमला करने आई महिला को पता रहा होगा कि चाकू मारने के बाद उसका जिंदा बचना मुश्किल है। विधायक के पास हमेशा पुलिस सुरक्षा होती है- उसकी मौजूदगी में ही महिला की पिटाई हुई होगी। साथ ही उनके पास निजी सुरक्षा फोर्स भी होती है। उसने बलात्कार का आरोप ६ महीने पहले लगाया था और शायद उसे "न्याय" की आस थी। अगर यह सहमति से हुआ यौन संबंध था, तब भी उस महिला के साथ कुछ ऐसा धोखा जरूर हुआ होगा कि उसने आपा खो दिया। अब देखिए कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के किस तरह के बयान सामने आ रहे हैं।)
6 comments:
आम आदमी हथियार तभी उठाता है, जब उसे लग जाता है कि उसे न्याय नहीं मिलेगा। आपने सही कहा, आपकी चिंताओं से पूर्ण सहमति।
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मिल गया खुशियों का ठिकाना।
वैज्ञानिक पद्धति किसे कहते हैं?
दुर्भाग्यपूर्ण घटना।
पाप में पक्ष और विपक्ष नहीं होता, दरअसल बिहार मे जिस प्रकार से भाजपा सत्ता में आइ है ऐसे में इस प्रकार के नेता तानाशाह बन गए हैं और पीडित को कह रहे कि हमरा क्या कर लोगे , इस लिए सवाल किसी पार्टी का नहीं है उस संस्कार का है जो सभी दलों में मौजूद है, अब जब सभी दरबाजे बंद हो चुके हैं तो एक यही रास्ता बचता भी है, जो उस महिला ने अपनाया है, यह अलग बात है कि सत्ता की दलाली कर रही मीडिया एक बार फिर नीतीश को महान बनाने के लिए इस क्रांति को विद्रोह बना दें
जाकिर भाई, सही कहा आपने। डर तो उसी को नहीं होता है, जो या तो कानून को अपने मुताबिक मोड़ने की ताकत रखता है, या उसकी जिंदगी में जीने-मरने का कोई मतलब नहीं रह जाता। विधायक पहली श्रेणी में और वह महिला दूसरी श्रेणी में।
आशीष भाई, सचमुच भाजपा का खतरा साफ दिख रहा है। नीतीश को भी इसे भांपकर ही अब काम करना चाहिए। यह भी भय है कि ज्यादा दबाव बनने पर भाजपा ३० विधायकों का इंतजाम कर पूरी सत्ता अपने हाथ ले सकती है। ऐसा उसने किया भी है और ऐसा करने के लिए उसके पास पैसे भी हैं। अभी बिहार में बेचने के लिए बहुत कुछ है, भले ही झारखंड और छत्तीसगढ़ जितना नहीं हो।
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