Sunday, September 28, 2008

पशु नहीं, रोजी डूबी

सत्येन्द्र प्रताप सिंह / मधेपुरा September 02, 2008

'गाय-भैंस और बकरी पालि के अप्पन बेटा के पढ़ै ले भेजलिये रहे, जे डीएम-कमिश्नर नै बनतै त किरानियो बैनिये जैते। मुदा इ बाढ़ि त सब किछु खतमे क देलकै। आब की हैते।'

मधेपुरा से बाढ़ की वजह से घर छोड़कर भाग रहे अभय कुमार ने अपना दुख बताते हुए कहा कि सब कुछ डूब गया, जो पिछले 50 सालों में कमाया था। अब वे अपने परिवार के साथ पटना जा रहे हैं, जहां उनका बेटा पढ़ाई करता है।कोसी प्रमंडल के बाढ़ से डूबे इलाके में रोजगार का मुख्य साधन कृषि और पशुपालन है।

सहरसा से सड़क के रास्ते मधेपुरा जाने पर सैकड़ों महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग और युवक झुंड बनाकर भाग रहे हैं। सवेला चौक से पानी शुरू होता है, जबकि अररहा-महुआ, चकला गांव पानी से घिरे हैं। मुख्य मार्ग को छोड़कर हर तरफ पानी ही पानी है।शुक्र है कि इन गांवों में पानी नहीं घुसा है। इसके थोडा आगे जाने पर तुनियाही गांव है, जहां रेल मंत्री लालू प्रसाद ने विद्युत रेल इंजन कारखाना खोलने का प्रस्ताव दिया था। आसपास के इलाकों की जमीन अधिग्रहण के लिए विज्ञापन भी आया था। अब यह सब जलमग्न है। आगे बढ़ने पर मठाही बाजार है, जहां सड़क के दोनों हिस्से में पानी है। बीच में जलमग्न छोटे-छोटे टोले हैं। इसके बाद साहूगढ़ गांव आता है, जो लालू प्रसाद की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के समर्थकों का गांव माना जाता है। साहूगढ़ से आगे पुल बना है, जिसके बाद का इलाका जलमग्न है और सड़क मार्ग पूरी तरह से बंद है।
लालू प्रसाद और शरद यादव का राजनीतिक अखाडा मधेपुरा शहर पहुंचने का अब नाव ही एकमात्र जरिया है।मधेपुरा के वार्ड संख्या 11 के अब्दुल करीम अपनी बकरी और पत्नी को लेकर बाहर निकले हैं, बच्चों को पहले ही रिश्तेदार के यहां भेज दिया गया है। यह पूछे जाने पर कि बकरी क्यों लाए हैं, वे कहते हैं कि यही तो है, जो जिंदगी चलाती है। बाकी बत्तख और मुर्गी-मुर्गा तो घर में ही छोड़कर आए हैं।किसानों की फसल तो खत्म हो ही गई, घर में रखा अनाज, कपड़े और सामान भी डूब गए। पानी की मुख्यधारा में पड़ने वाले गांवों के सभी जानवर पानी में बह गए। लोगों ने खूंटा खोल दिया और अपनी जिंदगी के आधार को पानी में बहते हुए देखते रह गए।

नए इलाकों में पानी :

रोज बढ़ रहे जलस्तर से सहरसा के कई गांवों में पानी फैल गया है। बायसी अनुमंडल के नए इलाके पानी की चपेट में आ गए हैं। इसके साथ ही अररिया के फारबिसगंज कस्बे में भी पानी घुस गया है। त्रिवेणीगंज के समीप 20 फीट सड़क टूट गई है, जिससे राहत और बचाव कार्य में खासी दिक्कत आ रही है। अररिया के किनारे बहने वाली परमान नदी में जलस्तर बढ़ने से शहर में पानी घुसने की संभावना है। पूर्णिया-बनमनखी रेल खंड पर सरसी के समीप पटरी के नीचे से पानी बहने लगा है।

प्रभावित पशुओं के आंकड़े :

राज्य सरकार द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक, मधेपुरा में 3 लाख, अररिया में 10,250, सुपौल में 1355, सहरसा में 529 पशु प्रभावित हुए हैं। कुल प्रभावित पशुओं की संख्या 3,14,134 बताई गई है। भागकर आ रहे लोगों के साथ जो पशु आए हैं, उनके लिए सहरसा के पटेल मैदान में प्रबंध किया गया है, जहां करीब 300 पशु हैं।

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