"- गोल्ड ईटीएफ में निवेश कर होती है सोने की अभौतिक खरीदारी, भौतिक सोने में निवेश से जुड़ा जोखिम नहीं"
मनीश कुमार मिश्र
शेयर बाजार की स्थिति फिलहाल भ्रमित करने वाली है। बाजार की दिशा के सेदर्भ में अनुमान लगाना मुश्किल है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह समय इक्विटी फंडों में निवेश के लिए पूरी तरह उपयुक्त है।
लेकिन, पोर्टफोलियो के विशाखण और संतुलन के लिए सोने को सम्मिलित करने की सलाह भी देते हैं। सोने की कीमत साल की दूसरी छमाही में पहली छमाही की तुलना में अधिक होती है क्योंकि यह मौसम शादी-विवाह का होता है। इसे देखते हुए क्या धातु में निवेश करना का यह उपयुक्त समय है? पार्क फाइनैंशियल एडवाइजर के अखिलेश तिलोतिया कहते हैं,'पोर्टफोलियो बनाते समय सोने को निश्चित तौर पर शामिल करना चाहिए।
अगर, 50-60 फीसदी इक्विटी फंडों में निवेश करते हैं तो 10 से 15 प्रतिशत निवेश सोने में भी किया जाना चाहिए। वैसे भी सोना निवेश का सबसे सुरक्षित विकल्प है।' तो क्या निवेश या फिर पोर्टफोलियो के विविधीकरण के लिए आपको नजदीक के आभूषण विक्रेता के पास जाकर सोने के आभूषण खरीदने चाहिए, जिस पर आपकी महीनों से नजर थी? या पड़ोस के बैंक से सोने के सिक्के की खरीदारी करना आपके लिए ज्यादा लाभदायक साबित होगा?अगर सोने में ही निवेश करना है तो इसे भौतिक रुप से खरीदने की क्या जरुरत है। गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) सोने में निवेश करने का सबसे बेहतर माध्यम हो सकता है। ईटीएफ वस्तुत: म्यूचुअल फंड हैं जिसके यूनिटों का कारोबार स्टॉक एक्सचेंजों में ठीक उसी प्रकार किया जा सकता है जैसे किसी कंपनी के शेयरों का।
गोल्ड ईटीएफ में निवेश कर आप सोना अभौतिक रुप में खरीदते हैं, इसमें भौतिक सोने में निवेश से जुड़ा जोखिम नहीं है। गोल्ड ईटीएफ चूंकि डीमैट रुप में होता है इसलिए जो निवेशक इसमें निवेश करना चाहते हैं उनका डीमैट खाता होना आवश्यक है।कोई भी व्यक्ति गोल्ड ईटीएफ के यूनिटों की खरीदारी स्टॉक एक्सचेंजों से कर सकता है जहां वर्तमान में पांच गोल्ड ईटीएफ फंड सूचीबध्द हैं। इन पांच फंडों में बेंचमार्क गोल्ड ईटीएफ और यूटीआई म्यूचुअल फंड का गोल्डईटीएफ, रिलायंस गोल्ड ईटीएफ, क्वांटम गोल्ड ईटीएफ और कोटक गोल्ड ईटीएफ शामिल हैं।
यह बात भूलनी नहीं चाहिए कि शेयरों की तरह ही गोल्ड ईटीएफ के यूनिटों की खरीदारी करने में आपको ब्रोकरेज शुल्क का भुगतान करना होता है। जब कोई निवेशक गोल्ड ईटीएफ का एक यूनिट खरीदता है तो प्रभावी तौर पर वह एक ग्राम सोना खरीद रहा होता है। दूसरी बात यह कि गोल्ड ईटीएफ में किए गए निवेश का मूल्य सोने के वास्तविक बाजार मूल्य से लगभग मेल खा रहा होता है। 2 जनवरी 2009 को जहां सोने का बाजार मूल्य प्रति ग्राम 1,357.5 रुपये था वहीं बेंचमार्क म्युचुअल फंड के गोल्ड ईटीएफ के एक यूनिट का मूल्य 1,364.64 रुपये था।
इस प्रकार आप जब भी चाहें गोल्ड ईटीएफ का एक यूनिट बेच कर बाजार से एक ग्राम सोना खरीद सकते हैं। जब कभी आप भौतिक तौर पर सोने में 15 लाख से अधिक की राशि का निवेश करते हैं तो आपको वेल्थ टैक्स देना पड़ता है। गोल्ड ईटीएफ के मामले में एक निवेशक सोने को अभौतिक रुप में या यूनिटों के रुप में रखता है इसलिए इस पर कोई वेल्थ टैक्स अदा करने की जरुरत नहीं होती है।वैसे लोगों को क्या करना चाहिए जो सोने की खरीदारी अपने पुत्र या पुत्री की शादी के लिए करना चाहते हैं? अधिकांश भारतीय परिवार शादी के कई वर्ष पहले से ही आभूषण खरीद-खरीद कर जमा करने लगते हैं। आभूषण के डिजाइन विवाह के समय तक पुराने हो जाते हैं।
आभूषण निर्माता और विक्रेता ऐसे में सलाह देते हैं कि डिजाइन की चिंता नहीं की जानी चाहिए क्योंकि उन्हीं गहनों को बाद में नए डिजाइनों में ढाला जा सकता है।डिजाइन को परिवर्तित कराने में भी पैसे लगते हैं। इसके अलावा अगर आप अपने आभूषणों को बैंक के लॉकर में सुरक्षित रखना चाहते हैं तो उसके लिए भी आपको अतिरिक्त पैसे देने होते हैं। हो सकता है कि आप आभूषणों का बीमा करवाना चााहें जिसके प्रीमियम में आपको अतिरिक्त पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं।
कुल मिला कर देखा जाए तो यह गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने की अपेक्षा महंगा सौदा है। शादी-विवाह के लिए पहले से आभूषण खरीद कर रखने से बेहतर है कि आप गोल्ड ईटीएफ में निवेश करें। जब कभी आभूषण खरीदने की जरुरत हो तो इसके यूनिटों को बेच कर प्राप्त पैसों से नवीनतम डिजाइन वाले गहने खरीदे जा सकते हैं।
सबसे बड़ी बात यह है कि आपका विश्वस्त आभूषण विक्रेता भी आपको एक बार अशुध्द सोने के गहने पकड़ा सकता है लेकिन गोल्ड ईटीएफ चूंकि अभौतिक रुप में होता है इसलिए इसमें अशुध्दि संबंधी कोई जोखिम ही नहीं होता है।
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