सत्येन्द्र प्रताप सिंह
बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा से हर साल जूझने वाले बिहार ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने के लिए कमर कस ली है।
इसके तहत सभी बुनियादी सुविधाओं वाले मेगा फूड पार्क बनाने की योजना है, जो इस साल कार्यरूप लेगा। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर टेक्सटाइल और हैंडलूम के क्षेत्र में भी तेजी से काम चल रहा है। इस कारोबार से जुड़े कारोबारियों और सरकारी अधिकारियों का मानना है कि ये क्षेत्र वर्ष 2009 को खुशगवार बना देंगे।
खाद्य प्रसंस्करण से जुडे ज़ानकारों का मानना है कि 2015 तक खाद्य प्रसंस्करण कारोबार 83,000 करोड़ रुपये तक का हो जाएगा। इसे देखते हुए बिहार सरकार ने 2 मेगा फूड पार्क बनाने की योजना बनाई है। एक मुजफ्फरपुर वैशाली क्षेत्र तथा एक भागलपुर खगड़िया क्षेत्र में होगा। मेगा फूड पार्क, छोटे-छोटे प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्रों से जोड़े जाएंगे। इसके लिए कोल्ड चेन तैयार की जाएगी। प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्रों को फील्ड कलेक्शन केंद्रों से जोड़ा जाएगा। केंद्रीय प्रसंस्करण हब के रूप में विकसित किए जाने वाले मेगा फूड पार्कों में सभी बुनियादी सुविधाएं जैसे गोदाम और प्रसंस्करण आदि की सुविधा उपलब्ध होगी। इसके अलावा चावल, मक्का और मखाना क्लस्टर के विकास के साथ ही 100 कृषि आधारित ग्रामीण व्यापार केंद्र विकसित करने की योजना है। इसके अलावा राज्य सरकार ने पिछले एक साल में निजी निवेश के 71,000 करोड़ रुपये के 145 निजी प्रस्तावों को मंजूरी दी है। इसमें 2 चीनी मिलें, 11 पॉवर प्लांट, 8 फूड प्रॉसेसिंग, 6 तकनीकी संस्थान शामिल हैं। इंटीग्रेटेड हैंडलूम डेवलपमेंट योजना के तहत राज्य के 9 हथकरघा क्लस्टर विक सित करने की परियोजना को मंजूरी दे दी गई है। साथ ही इन औद्योगिक क्षेत्रों में 50 प्रतिशत के अनुदान पर डीजल जेनरेटिंग सेट की स्थापना की योजना बनाई गई है। बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश झुनझुनवाला का कहना है कि नया साल राज्य के लिए ढेरों उम्मीदें लेकर आ रहा है। इंटीग्रल रेल कोच फैक्टरी बनने वाली है। इससे सेवा क्षेत्र में संभावनाएं बढ़ेंगी। साथ ही सरकार की फूड पार्क, क्लस्टर डेवलपमेंट की कोशिशें भी कार्यरूप लेना शुरू कर देंगी, जिसका सीधा असर उत्पादन और रोजगार पर पड़ेगा और छोटे-छोटे कारोबार चल पड़ेंगे।बिहार के उद्योग मंत्री दिनेश यादव ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा कि राज्य में छोटे-मझोले कारोबारियों के लिए अपार संभावनाएं हैं। खासकर हमारी कोशिश यह है कि ऐसे कारोबार विकसित किए जाएं, जिसमें यहां का कच्चा माल इस्तेमाल हो सके। सरकार की पिछले तीन साल की कोशिशें इस साल रंग दिखाएंगी और वर्ष 2009 में खाद्य प्रसंस्करण, हथकरघा, बिजली उत्पादन के क्षेत्र में जोरदार प्रगति होगी। राज्य सरकार ने छोटे कारोबारियों को राहत देते हुए रस्सियों और सुतलियों, ऑटो पार्ट्स, ड्राई फ्रूट्स, प्लाईवुड, ब्लैकबोर्ड सहित उनके निर्माण में लगने वाले कच्चे माल पर वैट की दर 12।5 प्रतिशत से घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया है। आने वाले साल में छोटे और मझोले उद्योग के कारोबारी अपने कार्य को विस्तार देने में की दिशा में भी काम करेंगे।
साभार: http://hindi.business-standard.com/hin/storypage.php?autono=12248
2 comments:
good post...keep it up and also find positive news about Bihar...we need it badly.Thanks.
बढ़िया जानकारी मित्र।
गोरखपुर के इर्द-गिर्द या रागदरबारियत में बहुत जिन्दगी के रंग छिपे हैं। कुसुमी के जंगल निहारने में भी बहुत सम्भावनाये हैं ब्लॉग लेखन की। आपके प्रोफाइल में तो बहुत तरह की पोस्टें झिलमिला रही हैं।
आप तो लिखें बन्धु - रोज लिखें। शुभकामनायें!
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