ये उन लोगों की आँखे खोलने वाला फोटो है जो गुजरात दंगों में सिर्फ़ हिंदू समुदाय को ही दोषी मानतें है लेकिन इस की तह में जाना जरुरी नही समझते कि झगडे की शुरुआत कोंन करतें है |
भाई साहब, ये तस्बीरें भयावह हैं, भड़काऊ नहीं। लगता है कि आपने इस जलते हुए स्थान को ढंग से नहीं देखा। भाई साहब, ये मंदिर है, मस्जिद या चर्च नहीं, कि इसे देखकर कोई आक्रोश या हिंसा भड़क उठे। अगर ऐसे दृष्य दिखाने से हिंसा भड़कती और कोई प्रतिक्रिया होती तो मीडिया इसे हाथोहाथ लेती, खासकर इलेक्ट्रानिक मीडिया। जैसा कि कर्नाटक और उड़ीसा के मामलों में किया जा रहा है।
दोस्त आपकी कोशिश काबिले तारीफ है पर इसे सुर्खियों में कोई जगह नहीं मिलेगी। इसे दिखाने या छापने से न तो नोट मिलेंगे और न ही धर्मनिरपेक्ष होने का ठप्पा। इससे नेताओं को वोट नहीं मिलने इसलिये यह तस्वीर एक अनाथ बच्चे की मानिंद ही रहेगी कोई खबर नहीं बनेगी।
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ये उन लोगों की आँखे खोलने वाला फोटो है जो गुजरात दंगों में सिर्फ़ हिंदू समुदाय को ही दोषी मानतें है लेकिन इस की तह में जाना जरुरी नही समझते कि झगडे की शुरुआत कोंन करतें है |
दिल दहला देने वाली तस्वीरें!
फिर दिखा क्यों रहे हैं? ब्लॉग के लेखक-संपादक आप खुद होते हैं, इसलिए जरूरी है संयम बरतना। ये तस्वीरें भयावह ही नहीं, भड़काऊ भी हैं।
भाई साहब, ये तस्बीरें भयावह हैं, भड़काऊ नहीं। लगता है कि आपने इस जलते हुए स्थान को ढंग से नहीं देखा। भाई साहब, ये मंदिर है, मस्जिद या चर्च नहीं, कि इसे देखकर कोई आक्रोश या हिंसा भड़क उठे। अगर ऐसे दृष्य दिखाने से हिंसा भड़कती और कोई प्रतिक्रिया होती तो मीडिया इसे हाथोहाथ लेती, खासकर इलेक्ट्रानिक मीडिया। जैसा कि कर्नाटक और उड़ीसा के मामलों में किया जा रहा है।
दोस्त आपकी कोशिश काबिले तारीफ है पर इसे सुर्खियों में कोई जगह नहीं मिलेगी। इसे दिखाने या छापने से न तो नोट मिलेंगे और न ही धर्मनिरपेक्ष होने का ठप्पा। इससे नेताओं को वोट नहीं मिलने इसलिये यह तस्वीर एक अनाथ बच्चे की मानिंद ही रहेगी कोई खबर नहीं बनेगी।
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