Thursday, August 27, 2009

डूबते को नहीं बैंक का सहारा

सत्येन्द्र प्रताप सिंह / बीरपुर/सुपौल
"बाढ़ में 2,75,000 रुपये का माल डूब गया। 9 बीघा खेत बालू से भरा पड़ा है। बाढ़ में 4 गायें भी डूबकर मर गई। उम्मीद थी कि बीमा राशि से दुकान चल जाएगी, लेकिन बैंक से जानकारी मिली की वर्ष 2008-09 के दौरान बीमा ही नहीं कराया गया है।''

बिहार के सुपौल जिले के बीरपुर बाजार के कारोबारी इस समय अजब संकट में हैं। यहां करीब 100 कारोबारी हैं जो अपनी दुकाने चलाते हैं और इन्होंने भारतीय स्टेट बैंक से कैश क्रेडिट अकाउंट लोन ले रखा है। बैंक हर साल इस कर्ज के आधार पर बीमा करता था, लेकिन वर्ष 2008 में बैंक ने इन बीमा कारोबारियों का बीमा ही नहीं कराया।
बीरपुर बाजार में जायसवाल इंटरप्राइजेज नाम से दुकान चलाने वाले संतोष जायसवाल ने बताया कि 'सीसी अकाउंट से 1 लाख रुपये का कर्ज लिया था। पिछले 4 साल से बैंक हमारी दुकान का बीमा करता था लेकिन वर्ष 2008-09 के दौरान इसने बीमा नहीं कराया। हालांकि बैंक ने इस साल फिर करा दिया है।
बाढ़ में 2,75,000 रुपये का माल डूब गया। 9 बीघा खेत बालू से भरा पड़ा है। बाढ़ में 4 गायें भी डूबकर मर गई। उम्मीद थी कि बीमा राशि से दुकान चल जाएगी, लेकिन बैंक से जानकारी मिली की वर्ष 2008-09 के दौरान बीमा ही नहीं कराया गया है।'
यही स्थिति बाजार के हर कारोबारी की है। 25 कारोबारियों ने अपने कैश क्रेडिट अकाउंट नंबरों के साथ बैंक को आवेदन भी किया लेकिन बैंक से एक ही जवाब मिलता है कि बड़े अधिकारियों को इसके बारे में सूचित कर दिया गया है।
जय स्पेयर केंद्र के संजय कुमार घोष ने कहा कि उन्होंने बैंक से 4 लाख रुपये का कर्ज लिया था। बीमा न होने की क्षतिपूर्ति नहीं मिली और अब उधारी पर काम चल रहा है। बाजार में टाइम सेंटर के नाम से घड़ी की दुकान चलाने वाले वीरेंद्र कुमार मिश्र की तो पूरी दुकान ही नष्ट हो गई है।
टाइटन कंपनी से 3 लाख रुपये का क्रेडिट पर माल लेकर दुकान चला रहे हैं। पुरानी दुकान के किनारे ही उनकी 2 कारें अभी तक मिट्टी में धंसी है, लेकिन दुकान का बीमा ही नहीं हुआ था तो पैसा कैसे मिले।
वीरेंद्र कुमार मिश्र ने कहा कि उनकी दुकान का बीमा फरवरी 09 में करा दिया है, लेकिन बीमा उस दुकान का है जो नष्ट हो चुकी है। मिश्र को डर है कि अगर नई दुकान में कोई हादसा हो जाए तो बीमा कंपनी पैसा नहीं देगी। यही हाल यहां के 25 बीमित कारोबारियों का है।
स्थानीय कारोबारियों ने बताया कि 20 कारोबारी तो ऐसे हैं जिनका सब कुछ खत्म हो गया है और वे अब भी इधर-उधर रिश्तेदारों के यहां दिन काटने को मजबूर हैं। इस सिलसिले में पूछे जाने पर भारतीय स्टेट बैंक के बीरपुर शाखा के प्रबंधक मनोज कुमार मिश्र ने कहा, 'बीमा न होने के बारे में कंट्रोलर को सूचित कर दिया गया है और इस मामले की जांच चल रही है।'
हालांकि उन्होंने इस बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया कि इसका कोई समाधान निकल पाएगा या नहीं।

http://hindi.business-standard.com/hin/storypage.php?autono=22206

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