सत्यव्रत मिश्र
अभी हाल में साइबर स्पेस के एक बड़े नाम का 30वां जन्मदिन था। एक ऐसा नाम जिस सुन कई लोगों के पसीने छूट जाते हैं, तो कई लोगों का गुस्से सातवें आसमान को पार कर जाता है।
एक ऐसा कुख्यात नाम जो कई लोगों की जीवन भर की गाढ़ी कमाई लेकर चंपत हो चुका है। हुजूर, साइबर स्पेस के इस मिस्टर नटवरलाल को लोग-बाग को जानते हैं स्पैम के नाम से। जी हां, आपके और हमारे जीवन को मुहाल कर देने वाला स्पैम तीन मई को 30 साल का हो गया।
अपने 30 साल की इस जिंदगी में उसने जितना लोगों को हैरान और परेशान किया है, उतना तो किसी कंप्यूटर वाइरस ने भी आज तक नहीं किया है। जाहिर सी बात है इस बर्थडे के मौके पर आप केक खाने की इच्छा तो नहीं कर सकते।
क्या बला है यह?
स्पैम एक ही तरह के हजारों ईमेल मैसेजों को कहते हैं, जो हजारों लोगों को भेजे जाते हैं। इसके लिए उन लोगों से इस बात की सहमति भी नहीं ली जाती है कि वे लोग इन ईमेलों को रिसीव करना चाहते भी हैं या नहीं। स्पैम का दूसरा नाम है बल्क ईमेल या जंक ईमेल।
कानूनी जुबान में इसे कहते हैं अनसौलिसिटेड बल्क ईमेल्स (यूबीई)। इस हिसाब से किसी ईमेल को स्पैम करार देने के लिए यह जरूरी है कि वह भारी तादाद में भेजे गए हों और उन्हें प्राप्त करने के लिए लोगों ने सहमति नहीं दी हो।
कैसे हुई थी शुरुआत?
पहला स्पैम भेजा गया था तीन मई 1978 को। वह स्पैम भेजा गैरी थीयुरक ने अपरानेट के जरिये। अपरानेट को ही बाद में इंटरनेट के नाम से लोगों ने जाना। हालांकि, उस समय अमेरिका में इस सिस्टम का इस्तेमाल बस शुरू भर हुआ था। तब अपरानेट का इस्तेमाल केवल अमेरिकी सरकार की एजेंसियां, कंपनियां और बड़ी यूनिवर्सिटीज ही किया करती थीं।
इसी अपरानेट पर गैरी भाई साहब ने अपनी कंपनी डिजीटल इलेक्ट्रोनिक्स कॉरपोरेशन द्वारा विकसित किए गए एक नए सिस्टम का विज्ञापन डाल दिया। यह विज्ञापन उन्होंने 10 या 20 नहीं, बल्कि पूरे 350 लोगों को भेजा था। वैसे, तब भी जिन लोगों को यह मैसेज मिला था, उनमें से काफी ज्यादा लोगों ने इस मैसेज का कड़ा विरोध किया था। यानी तब से लेकर अब तक इसके प्रति लोगों का नजरिया ज्यादा नहीं बदला है।
स्पैम के प्रकार
स्पैम कई तरह के होते हैं। लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए स्पैमर तरह-तरह के तरीकों का सहारा लेते रहते हैं। इससे बचने का सबसे असरदार तरीका उनके बारे में जानकारी ही है। अलग-अलग तरह के स्पैमों की लिस्ट यह रही।
419 स्पैम : इसे नाइजीरियाई ईमेल स्कैम के नाम से भी जाना जाता है। यह लोगों से पैसे ठगने का सबसे कुख्यात तरीका है, इसी वजह से तो स्पैमर इसका इस्तेमाल भी धड़ल्ले से करते हैं। अक्सर इस तरह के स्पैम को भेजने वाला खुद नाइजीरिया, जॉर्जिया, उज्बेकिस्तान या ऐसे ही किसी अफ्रीकी, पूर्वी यूरोपीय या सोवियत संघ से अलग हुए किसी मुल्क का ऐसा उच्चाधिकारी बताता है।
स्पैमर अपने शिकार को यह कहकर फांसने की पूरी कोशिश करता है कि आपने एक लॉटरी में लाखों डॉलर की रकम जीती है और प्रोसेसिंग फी के नाम पर आपको एक 'छोटी-सी' रकम चुकानी पड़ेगी। अगर आपने उस ऑफर में रुचि दिखलाई तो वह आपको असली से दिखने वाले नकली कागजात भी भेज देगा। फिर जैसे ही अपने रकम चुकाई, वह इंसान आपके पैसों के साथ गायब हो जाएगा। इससे बचने का इकलौता तरीका यही है कि इस तरह के ईमेलों का जवाब ही नहीं दें।
फिशिंग : इसमें स्पैमर आपको एक ईमेल भेजता है, जिसमें आपको नीचे दिए हाइपरलिंक पर जाकर अपने बैंक अकाउंट नंबर, इंटरनेट पासवर्ड और अकाउंट से संबंधित दूसरी बातों को 'अपडेट', 'वेरीफाई' या 'कन्फर्म' करने के लिए कहा जाता है। जैसे ही आप ऐसा करते हैं, रातोंरात ही आपका बैंक अकाउंट की अच्छी-खासी तरीके से 'सफाई' हो जाती है। इकोई भी बैंक ईमेल के जरिये आपके अकाउंट इन्फॉर्मेशन को अपडेट करने के लिए नहीं कहता। इसलिए इस तरह के ईमेल्स का कतई भी जवाब नहीं दें।
वर्क एट होम स्पैम : इस तरह के स्पैम के सबसे ज्यादा शिकार होते हैं बेरोजगार नौजवान और शादीशुदा महिलाएं। इसमें स्पैमर लोगों से वादा करता है कम मेहनत और ज्यादा कर्माई का। उनसे यह भी कहा जाता है कि इसके लिए उन्हंा किसी दफ्तर आने की जरूरत नहीं, बल्कि यह काम तो वह घर बैठे बिठाए भी कर सकते हैं। हालांकि, इसमें यह नहीं बताया जाता कि काम खत्म होने के बाद तो स्पैमर यह कहाकर पैसे देने से भी इनकार कर देता है कि काम की क्वालिटी अच्छी नहीं थी।
वाइगरा स्पैम : आजकल तो इस तरह के स्पैम की खूब बारिस हो रही है। कई लोगों के इनबॉक्स तो सस्ते वाइगरा के ऑफर से भरे रहते हैं।
कैसे भेजे जाते हैं ये?
इसके लिए सबसे पहले जरूरत होती है ईमेल एड्रेसेज की। इन ईमेल एड्रेसेज को जुटाने की प्रक्रिया को ईमेल एड्रेस हार्वेस्टिंग के नाम से जाना जाता है। इसके लिए स्पैमर सबसे पहले संभावित ईमेल एड्रेसेज की एक पूरी सूची बना लेते हैं। अक्सर इसके लिए लोगों की सहमति नहीं ली जाती है।
ज्यादा से ज्यादा लोगों तक स्पैम को पहुंचने के लिए आज की तारीख में लाखों और कभी-कभी तो करोड़ों ईमेल एड्रेसेज की लिस्ट बनाई जाती है। फिर स्पैमर इन ईमेल्स को भेजने के लिए ईमेल अकाउंट खोलते हैं और फिर उसके जरिये स्पैम भेजते हैं। अब तो अपनी पहचान छुपाने के लिए स्पैमर प्रॉक्सी सर्वरों का भी सहारा लेने लगे हैं।
जीना किया दूभर
स्पैम्स की वजह से तो इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों का जीना दूभर हो गया है। हर दिन दुनिया भर में 100 अरब स्पैम भेजे जाते हैं। लेकिन डरावनी बात तो यह है कि स्पैम्स के फैलने की रफ्तार तेजी से फैल रही है। आंकड़ों की मानें तो इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों के इनबॉक्स में हर दिन आने वाले ईमेल्स में 80 से 90 फीसदी तो स्पैम होते हैं। इसकी वजह से अकेले अमेरिका को हर साल 21.58 अरब डॉलर का नुकसान झेलना पड़ता है।
पूरी दुनिया को पिछले साल इसकी वजह से 198 अरब डॉलर का नुकसान झेलना पड़ा था। आपको बता दें कि सबसे ज्यादा स्पैम भेजे जाते हैं अमेरिका से। अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई की मानें तो साइबर स्पेस में होने वाले कुल गड़बड़ झाले में से 75 फीसदी की वजह यही स्पैम होते हैं।
वैसे, हमारा देश भी इससे खासा परेशान हैं। सरकार के मुताबिक भारत से जाने वाले ईमेल्स में से 76 फीसदी स्पैम होते हैं। इसलिए तो सरकार आईपीसी की धारा 40 को आईटी एक्ट में शामिल करने पर बात कर रही है।
साभारः बिज़नेस स्टैंडर्ड
2 comments:
बहुत बढ़िया जानकारी के लिए धन्यवाद
रोचक जानकारी.
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आप हिन्दी में लिखते हैं. अच्छा लगता है. मेरी शुभकामनाऐं आपके साथ हैं, इस निवेदन के साथ कि नये लोगों को जोड़ें, पुरानों को प्रोत्साहित करें-यही हिन्दी चिट्ठाजगत की सच्ची सेवा है.
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यह एक अभियान है. इस संदेश को अधिकाधिक प्रसार देकर आप भी इस अभियान का हिस्सा बनें.
शुभकामनाऐं.
समीर लाल
(उड़न तश्तरी)
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