मनीश कुमार मिश्र
अधिकांश निवेशक म्युचुअल फंडों की वास्तविक धारणा से अनभिज्ञ हैं। उनकी मानें तो म्युचुअल फंड में निवेश करने का मतलब है, शेयरों में निवेश करना।
ऐसे निवेशकों को वैसी योजनाएं ज्यादा भाती हैं जिनके एनएवी (शुध्द परिसंपत्ति मूल्य)कम होते हैं या जब किसी योजना पर अधिक लाभांश की घोषणा की जाती है या फिर कोई नया फंड ऑफर आता है। ऐसे निवेशक प्राय: इन बातों से प्रेरित होकर ही अपनी यूनिट भी बेच डालते हैं।
नया फंड ऑफ र आया नहीं कि अपने पुराने निवेश को भुनाकर वे उसमें निवेश करने चले जाते हैं। वे 10 रुपये के मूल्य वाले नए फंड को सस्ता समझते हैं। ऐसा नहीं है कि सारे निवेशक ऐसा अपनी मर्जी से ही करते हों, वितरक भी अपने फायदे के लिए निवेशकों को गुमराह करते रहते हैं।
वैसे तो म्युचुअल फंड या इक्विटी में दीर्घावधि के लिए निवेश करने को ज्यादा लाभकारी माना जाता है। लेकिन कभी-कभार परिस्थितियां कुछ ऐसी हो जाती हैं कि यूनिटों को बेचना जरुरी हो जाता है। आज हम उन परिस्थितियों पर विचार करेंगे जिसके तहत म्युचुअल फंड की यूनिटों को बेचना आवश्यक हो जाता है।
नकदी की विशेष जरुरत होने पर
म्युचुअल फंड बेचने की एक महत्वपूर्ण वजह पैसे की सख्त जरुरत भी हो सकती है। हम सभी भविष्य के किसी विशेष लक्ष्य को पूरा करने के लिए ही निवेश करते हैं। मान लीजिए कि आपको बच्चे की पढ़ाई का शुल्क तुरंत देना है या परिवार के किसी सदस्य की शल्य क्रिया करवानी है या आप महंगी कार खरीदना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अपने निवेश के एक हिस्से को भुनाने की जरुरत होगी।
यहां यह देखा जाना महत्वपूर्ण है कि आपको अपने निवेश पोर्टफोलियो के किस फंड को भुनाना चाहिए। वैसे फंड को बेचा जा सकता है जिसका प्रदर्शन बढ़िया न हो या जिस पर आयकर का पर्याप्त लाभ न मिल पा रहा हो। अगर ऐसी कोई बात न हो तो आप बाहर से भी उधार लेकर अपनी जरुरतों को पूरी कर सकते हैं।
फंड की निवेश शैली में परिवर्तन
किसी फंड विशेष की निवेश शैली को ध्यान में रखकर ही हम निवेश करते हैं। मान लीजिए कि आपके पोर्टफोलियो में पहले से ही मिड कैप फंड है और पोर्ट फोलियो के विशाखण के लिए आप लार्ज कैप फंड में निवेश करते हैं।
कुछ समय बाद आपको यह जानकारी होती है कि जिस लार्ज कैप फंड योजना में आपने निवेश किया था वह मिड कैप फंड में भी निवेश कर रहा है। ऐसे में आपको अपना वर्तमान लार्ज कैप फंड बेच कर किसी विशुध्द लार्ज कैप फंड में निवेश करना चाहिए। जब कभी कोई फंड अपने निवेश की मूल नीति से हट कर निवेश करने लगे तो आपको वह फंड बेच कर अन्यत्र निवेश करना चाहिए।
किसी फंड का खराब प्रदर्शन
अभी बाजार में 200 से भी अधिक इक्विटी फंड हैं। सभी फंडों ने पिछले एक साल में प्राय: अच्छा प्रतिफल दिया है। 9 मई को समाप्प्त हुए एक वर्ष में सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले फंड, रिलायंस डाइवर्सिफायड पावर सेक्टर रिटेल ने 69.80 प्रतिशत का प्रतिफल दिया है (स्रोत: वैल्यूरिसर्चऑनलाइन)।
बाजार में आये उतार-चढ़ाव के दौरन सभी फंडों का प्रदर्शन बेहतर हो यह आवश्यक नहीं है। किसी फंड का प्रदर्शन जानने के लिए 1-5 सालों के उसके प्रतिफल का समान समूह वाले अन्य फंडों एवं बेंचमार्क सूचकांक के प्रतिफल से उसकी तुलना की जानी चाहिए। अल्पावधि के खराब प्रदर्शन की कोई भी वजह हो सकती है। कुछ फंड दीर्घावधि के उद्देश्य से किए गए हो सकते हैं और संभव है कि कुछ खास सेक्टर का प्रदर्शन बढ़िया न चल रहा हो। लेकिन अगर किसी फंड का प्रदर्शन लगातार औसत से नीचे चल रहा हो तो बेहतर है कि आप अपने यूनिटों को भुना लें और किसी अच्छे फंड में उसका निवेश करें।
पोर्टफोलियो के पुनर्संतुलन के लिए
हम सबके पोर्टफोलियो में परिसंपत्तियों का आवंटन जोखिम उठाने की क्षमता और निर्धारित लक्ष्य के अनुसार निवेश के विभिन्न विकल्पों में होता है। इसमें प्राय: ऋण, इक्विटी, रियल एस्टेट, सोना आदि शामिल होते हैं। आपके वित्तीय व्यवस्था में बदलाव के साथ ही आपक ो अपने पोर्टफोलियो को पुनर्संतुलित करने की जरुरत पड़ सकती है।
मान लीजिए आप पहले बैचलर थे और ज्यादा जोखिम उठा सकते थे इसलिए आपने इक्विटी वाले म्युचुअल फंड में निवेश किया। अब आपकी शादी हो चुकी है और जिम्मेदारियां बढ़ चुकी है। जोखिम उठाने की क्षमता भी कम हो गई है। ऐसे में आपको इक्विटी के जोखिम से मुक्त होने के लिए अपने इक्विटी फंड के निवेश को घटाना चाहिए।
साभारः www.bshindi.com
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