Thursday, May 1, 2008

प्रमुख जिंसों के आधार पर बनता है थोक मूल्य सूचकांक




सत्येन्द्र प्रताप सिंह और कुमार नरोत्तम


थोक मूल्य सूचकांक सरकार की नीतियों को प्रभावित करता है। पिछले कुछ महीनों से यह सूचकांक बता रहा था कि महंगाई दर बढ़ रही है।
सरकार पर दबाव बढ़ा, आयात और निर्यात नीतियां बदलीं। इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने भी कड़े कदम उठाए। कैश रिजर्व रेश्यो बढ़ा दिया गया। यानी कि आपसे अब बैंक अधिक ब्याज लेंगे। बाजार में धन का प्रवाह कम होगा, लोगों की खरीद शक्ति कम होगी और परोक्ष रूप से महंगाई पर लगाम लगेगी।
इस समय प्रोफेसर एसआर हाशिम की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट के आधार पर तैयार किया गया थोक मूल्य सूचकांक लागू है, जिसका आधार वर्ष 1993-94 है। इस सूचकांक में कुल 435 वस्तुएं शामिल किए गए हैं, जिनके लिए कीमतों के नमूने देश के 1918 स्थानों से लिए जाते हैं।



उत्पादक मूल्य
उत्पादक मूल्य के तहत सभी प्रकार के करों और आवागमन के शुल्कों को शामिल किया जाता है। उत्पादक मूल्य के अंतर्गत उस राशि को शामिल किया जाता है जो किसी सामान या सेवा की किसी एक इकाई के लिए क्रेता, उत्पादक को भुगतान करता है।
इसमें विक्रेता के द्वारा भुगतान की जाने वाली वैट और अन्य करों को हटा दिया जाता है। इसमें उत्पादकों के द्वारा दी जाने वाली कोई भी आवागमन शुल्क को भी घटा दिया जाता है। हालांकि उत्पादक मूल्य के तहत खुदरा या थोक मूल्य को शामिल किया जाता है।



आधार वर्ष का विकल्प
आधार वर्ष के चयन का जाना माना तीन तरीका उपलब्ध है। पहला, एक सामान्य वर्ष यानी वह वर्ष जिसमें उत्पादन के स्तरों पर व्यापार और मूल्यों के संदर्भ में किसी तरह की कोई अनियमितता नही हुई हो। दूसरा, वह वर्ष जिसमें उत्पादन, मूल्य और अन्य गतिविधियों से जरूरी आंकड़े उपलब्ध हों।
तीसरा, राष्ट्रीय और राज्य स्तरों पर आंकड़े एकत्र करने का कोई ताजातरीन वर्ष। राष्ट्रीय सांख्यिकीय आयोग ने इस बात की अनुशंसा की है कि इस आधार वर्ष की समीझा पांच वर्ष में एक बार होनी चाहिए, दस वर्ष की अवधि के बाद इस समीझा का कोई महत्व नही है।



सामग्रियों, किस्मों, ग्रेड्स तथा बाजार का चयन
किसी आधार वर्ष के अंतर्गत ऐसी हर सामग्री जिसका लेनदेन काफी महत्वपूर्ण है, को इस सूचकांक की श्रेणी में शामिल किया जाना चाहिए। इस संबंध में एक बात महत्वपूर्ण है कि ये सामग्रियां अर्थव्यवस्था को काफी प्रभावित कर रही हो। मुक्त अर्थव्यवस्था में किसी किस्म या सामग्री की महत्ता इस बात को लेकर है कि कथित आधार वर्ष में उसका व्यापार मूल्य कितना अधिक रहा।
थोक स्तरों पर सामानों और सेवाओं का लेनदेन भी शामिल किया जाता है। थोक मूल्य सूचकांक के अंतर्गत मुख्यत: सामानों को ही शामिल किया जाता है और इसमें सेवाओं को उतनी महत्ता के साथ शामिल नही किया जाता है। अगर व्यापार कीमत के आंकड़े के लिए कोई एक स्रोत उपलब्ध नही हो तो इसमें शामिल किए गए कृषि और गैर-कृषि जिंसों की चयन प्रक्रिया में भिन्नता आ जाती है।



कृषि जिंसों का चयन
वैसे कृषि जिंसों के चयन के अंतर्गत नए प्रकार की सामग्रियों की संभावना बहुत कम दीखती है लेकिन फिर भी इस श्रेणी में अगर कोई सामग्री थोक मूल्य बाजार में तेजी से उभर कर सामने आती है तो इसे शामिल किया जा सकता है। अगर किसी सामग्री के महत्व में गिरावट आती है तो इसे अगली समीक्षा के अंतर्गत शामिल नही किया जा सकता है। वैसे इस श्रेणी में किसी सामग्री के शामिल या नही शामिल किए जाने का मुद्दा विभिन्न विभागों की स्वीकृति पर निर्भर करता है।
वर्तमान की थोक मूल्य सूचकांक श्रेणी की बात करें तो उनमें सामग्रियों की विशिष्टता और बाजार का निर्धारण राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, मसाला बोर्ड, चाय बोर्ड, कॉफी बोर्ड, रबर बोर्ड , सिल्क बोर्ड, तंबाकू निदेशालय, भारतीय सूती निगम आदि करता है।



खदान सामग्री
किसी भी खदान सामग्री को शामिल किया जाए या नही इस संबंध में भारतीय खदान ब्यूरो के सुझावों को महत्व दिया जाता है। कोयला, कोक और आग्नेय चट्टानों की विशिष्टता के लिए कोयला विभाग से संपर्क स्थापित किया जाता है। इसी तरह अगर पेट्रोलियम और बिजली की सामग्री का चयन करना हो तो इसके लिए क्रमश: पेट्रोलियम और केंद्रीय बिजली प्राधिकरण से सुझाव लिए जाते हैं।



निर्मित उत्पाद
निर्मित उत्पादों के तहत सामग्रियों का चयन अन्य चयन की अपेक्षा सबसे ज्यादा मुश्किल भरा होता है। इस चयन प्रक्रिया में समय भी काफी लगता है। इसे हम अलग अलग श्रेणी में बांटकर समझ सकते हैं-



(क) संगठित निर्मित उत्पाद
फैक्ट्री समेत उद्योग जगत के वार्षिक सर्वे से उत्पादों के मूल्य के जो आंकड़े मिलते हैं उसी के आधार पर निर्मित उत्पादों के सूचकांक बनाए जाते हैं। इसके अंतर्गत सामग्रियों के चयन का एक मानक यह है कि निर्धारित आधार वर्ष में उस सामग्री की कट ऑफ कीमत क्या रही।
इस श्रेणी में सबसे ज्यादा मुश्किल टेक्सटाइल सामग्री को शामिल करते वक्त होती है। वैसे टेक्सटाइल सामग्री का चयन टेक्सटाइल आयुक्त के सुझाव पर निर्भर करता है। इस श्रेणी में कभी कभी ऐसे भी सामानों को शामिल नही किया जाता है जिसने कट ऑफ मूल्य की सीमा पार कर ली है।



(ख) असंगठित निर्मित उत्पाद
इस श्रेणी में हैंडलूम, रेशम उत्पाद, नारियल की जटाएं, खादी और ग्रामीण उद्योगों के उत्पाद शामिल किए जाते हैं। आधुनिक श्रेणी में छोटे उद्योगों के उत्पाद सहित पावर लूम को भी इसमें शामिल किया जाता है।


साभारः बिजनेस स्टैंडर्ड-हिंदी

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