Wednesday, August 26, 2009

बाढ़ के ज़ख्म पर बीमा बना नमक

सत्येन्द्र प्रताप सिंह / मुरलीगंज-मधेपुरा

बीमा सामान्यतया इसलिए कराया जाता है कि नुकसान होने पर मदद मिले, लेकिन बीमा अपने आप में मुसीबत है। बिहार के मधेपुरा जिले के मुरलीगंज के कारोबारियों के साथ कुछ ऐसा ही हो रहा है। कुछ कारोबारियों ने तो स्पस्ट कह दिया है कि वे अब अपने कारोबार का बीमा नहीं कराएंगे।
पिछले साल कोसी नदी का तटबंध टूटने से आई बाढ़ के बाद बाजार का कारोबार पूरी तरह से चौपट हो गया था। कोई ऐसा नहीं बचा, जिसे नुकसान न हुआ हो।
कारोबारी अपने व्यवसाय का बीमा भी कराते आ रहे हैं, लेकिन 15 साल से भारी भरकम बीमा प्रीमियम दे रहे कारोबारियों ने सपने में भी नहीं सोचा था कि अगर उनका कारोबार चौपट हो जाए, तो बीमा कंपनियां बीमित राशि के भुगतान करने में रुला देंगी।
कारोबारियों का कहना है कि अभी करीब 90 प्रतिशत बीमा राशि का भुगतान नहीं हुआ है। मुरलीगंज बाजार में श्री राजहंस इंडस्ट्रीज के मालिक विनोद बाफना बताते हैं कि मुख्यमंत्री के इलाका खाली करने के अपील के बाद जायदाद के कागजात के अलावा वे सब कुछ छोड़कर चले गए थे।
3 महीने शरणार्थी की तरह कटिहार में दिन काटने के बाद वापस लौटे तो सब कुछ बर्बाद हो चुका था। खाद, बीज और कीटनाशकों की बोरियां भी नहीं बची थीं, सारा माल पानी में बह गया। बोरियों का प्रयोग शायद बालू भरकर कटान रोकने में प्रयोग कर लिया गया। बाफना ने बैंक से 51 लाख रुपये कर्ज ले रखा है और उसका मासिक ब्याज 65 हजार रुपये आता है।
15 साल से लगातार बीमा करा रहे बाफना ने पिछले साल भी 47,000 रु. सालाना प्रीमियम देकर 70,00,000 रु. का बीमा कराया था। कारोबार में हुए नुकसान को देखते हुए उन्होंने महज 30,53,825.30 रुपये का बीमा दावा किया, लेकिन उन्हें आज तक बीमा की राशि नहीं मिली। यही हाल कृषि विकास केंद्र के राम गोपाल अग्रवाल का है, जिनका बाढ़ में कुल 30 लाख रुपये का नुकसान हुआ।
उन्होंने दुकान में हुई क्षति के लिए 24 लाख क्लेम किया, लेकिन अभी तक बीमा राशि का भुगतान नहीं हुआ। छोटे कारोबारियों में रवि इलेक्ट्रॉनिक्स के नाम से दुकान चलाने वाले शिवशंकर भगत को 4 लाख रुपये का नुकसान हुआ, लेकिन उन्होंने बीमा दावे के मुताबिक 2 लाख का क्लेम किया, लेकिन एक ढेला भी नहीं मिला।
क्षेत्रीय खाद बीज भंडार के संतोष कुमार ने 11 लाख रुपये बीमा क्लेम किया, लेकिन अब तक बीमा राशि का भुगतान नहीं हुआ। ओरियंटल इंश्योरेंश के चीफ रीजनल मैनेजर सुशील कुमार ने कहा, 'यह इलाका हमारी प्राथमिकता में है और तेजी से बीमा राशि का भुगतान किया जा रहा है।'
उन्होंने यह भी दावा किया कि 2 महीने के भीतर सभी क्लेम क्लीयर कर दिए जाएंगे। विनोद बाफना ने तो बीमा से तौबा कर लिया है। उन्होंने बैंक में लिखकर दे दिया है कि अब बीमा नहीं कराएंगे। वे कहते हैं कि आखिर क्या फायदा है बीमा का कारोबार शुरू करने के लिए पैसा नहीं मिला, बैंक में कर्ज का ब्याज अलग बढ़ रहा है।

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