नोएडा में अपनी ज़मीन के लिए बेहतर मुआवज़ा
मांग रहे किसानों और सुरक्षा बलों के बीच हुई हिंसक झड़पों में तीन लोगों की मौत हो गई है जिनमें दो पुलिस के जवान हैं.
इन झड़पों में ज़िलाधीश और पुलिस अधीक्षक घायल हो गए हैं.उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक करमवीर सिं
ह के अनुसार कई अन्य जवान
घायल हुए हैं. लखनऊ में एक पत्रवार्ता में उन्होंने बताया कि इस मामले में 15 से 20
लोगों को गिरफ़्तार
किया गया है.
पुलिस का कहना है कि
पुलिस जवान और ज़िलाधीश दो
नों को किसानों की गोली लगी.
जवाब में सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया. इसमें कई किसान भी
घायल हुए हैं.
उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर ज़ि
ले के भट्टा परसौल गाँव में ये हादसा हुआ जहाँ हाँ नई सड़क बननी है जिससे लिए ज़मीन का
अधिग्रहण किया जा रहा है.
किसान गत 17 जनवरी से उत्तर प्रदेश सरकार के इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं.
घटनास्थल पर पहुँचे
बीबीसी संवाददाता राजेश जोशी के अनुसार वहाँ तनाव का माहौल है और पुलिस छावनी
जैसा
दृश्य दिख रहा है.
उनका कहना है कि अपने साथियों की मौत से नाराज़ पीएसी के जवान गाँव में जगह-
जगह आग लगा रहे हैं.
उनका कहना है कि उन्होंने गाँव के बाहर जानवरों के बाड़ों में, खलिहानों में, भूसों के ढेरों में और जगह-जगह खड़ी मोटर साइकिलों को आग लगा दी है.
उनका कहना है कि जिस शामियाने के नीचे किसान धरना दे रहे थे उसमें पहले से ही आग लगी हुई थी और कई
मोटरसाइकिलें जली हुई दिख रही
थीं.
उन्होंने प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से कहा है कि किसानों की ओर से भी लंबे समय तक गोलीबारी होती रही.
इस बीच कांग्रेस ने राज्यपाल से राज्य सरकार को बर्खास्त करने की मांग की है.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने इस घटना पर गहरा अफसोस जताया है और इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की मांग की है.
'किसानों ने गोली चलाई'
अधिकारियों का कहना है कि वहाँ सड़क परिवहन विभाग के तीन अधिकारी शुक्रवार को ज़मीन मापने के लिए पहुँचे थे जिन्हें ग्रामीणों ने बंधक बना लिया था.
किसानों ने पहले कहा था कि कर्मचारियों के परिजनों के आने पर वे उन्हें रिहा कर देंगे लेकिन शनिवार की सुबह उन्होंने बंधकों को रिहा करने से इनकार कर दिया
इसके बाद पुलिस, प्रॉविन्शियल आर्म्ड कॉन्टैबुलैरी (पीएसी) और दंगा रोधी दस्ते के जवान प्रशासन के अधिकारियों के साथ वहाँ पहुँचे थे.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार अधिकारियों ने कहा है कि वहाँ किसानों की भीड़ ने सुरक्षा बलों पर हमला कर दिया.
उनका आरोप है कि किसान लाठियाँ लिए हुए थे और यहाँ तक कि उन्होंने गोलियाँ भी चलाईं और पथराव करते रहे. टेलीविज़न पर कई किसानों को पुलिस जवानों को घेरकर लाठियों से पिटाई करते हुए देखा गया.
पुलिस का कहना है कि किसानों की गोली से एक पीएसी जवान मारा गया और उन्हें समझाने बुझाने गए ज़िलाधीश दीपक अग्रवाल को भी गोली लगी. ज़िलाधीश को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया है.
ज़िलाधीश की स्थिति स्थिर बताई गई है.
पुलिस का आरोप
बीबीसी संवाददाता रामदत्त त्रिपाठी के अनुसार लखनऊ में पुलिस महानिदेशक करमवीर सिंह ने पत्रवार्ता में आरोप लगाया है कि ज़मीन के लिए सरकार की ओर से दिए जा रहे मुआवज़े से 99 प्रतिशत किसान संतुष्ट हैं लेकिन उनके नेता मनवीर सिंह तेवतिया किसानों और सरकार के बीच मसले को उलझा रहे हैं.
उनका कहना है कि मनवीर सिंह तेवतिया बुलंदशहर के रहने वाले हैं लेकिन वे मथुरा, अलीगढ़ और गौतम बुद्ध नगर के किसानों को ऐसी बातों में उलझाते रहे हैं जिसका ज़मीन के मुआवज़े से कोई लेना देना नहीं है.
किसानों के साथ हुई हिंसक झड़प के बारे में उन्होंने कहा कि किसानों ने पहले कहा था कि जब बंधक बनाए गए परिवहन विभाग के कर्मचारियों के परिजन आ जाएँगे तो उन्हें छोड़ दिया जाएगा लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया.
उनका कहना है कि जब तक लखनऊ में ये फ़ैसला लिया जा चुका था कि बंधक कर्मचारियों को किसी भी तरह से रिहा करवाना है.
पुलिस महानिदेशक के अनुसार इसके बाद प्रशासनिक अधिकारी पुलिस बल के साथ गाँव पहुँचे और उन्होंने धरना स्थल पर कार्रवाई शुरु की.
उनका कहना है कि जब किसानों ने गोलीबारी शुरु करते हुए और पथराव करते हुए गाँव की ओर भागना शुरु किया तब पुलिस ने गाँव की ओर रुख़ किया.
उन्होंने कहा है कि पुलिस को खेत में एक अज्ञात व्यक्ति की लाश मिली है जिसके पास कट्टा और कारतूस मिला है. उनका कहना था कि हालांकि उसकी मौत कैसे हुई स्पष्ट नहीं है लेकिन लगता है कि पुलिस कार्रवाई में ही उसकी मौत हुई.
पुलिस महानिदेशक का कहना है कि बंधक बनाए गए राज्य परिवहन के तीनों कर्मचारियों को मुक्त करवा लिया गया है.
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