अब तक सामान्यतया सुनते थे कि किसी विभाग के अधिकारी को उसके अच्छे काम की सजा के तौर पर स्थानांतरण किया जाता था, लेकिन न्यायालय में भी ऐसा होता है। दैनिक जागरण की खबर के मुताबिक लंबे समय से दंगों की सुनवाई कर रहीं जज का जब फैसला देने का वक्त आया तो उनका स्थानांतरण कर दिया गया। अब पता नहीं क्या फैसला होने वाला था, ये तो उच्च न्यायालय या वह जज ही जानती होंगी, लेकिन दाल में कुछ काला जरूर है। पूरी खबर कुछ यूं है........
दंगों के एक अहम मामले की सुनवाई कर रही विशेष जिला न्यायाधीश एसवाई त्रिवेदी ने फैसले से ठीक पहले तबादला किए जाने के विरोध में अपना इस्तीफा सौंप दिया है। न्यायाधीश त्रिवेदी ओड दंगा मामले की सुनवाई कर चुकी थी। इस मामले में वह 28 अप्रैल को निर्णय सुनाने वाली थी, लेकिन इससे पहले ही उन्हें भोपाल प्रशिक्षण के लिए भेज दिया गया तथा बाद में उनका स्थानांतरण जामनगर कर दिया गया।
न्यायाधीश एसवाई त्रिवेदी के इस्तीफे के बाद दंगा मामले के फैसले में अनावश्यक देरी होने की संभावना है। जिला न्यायाधीश त्रिवेदी गत 28 अप्रैल को ओड नरसंहार मामले में फैसला सुनाने वाली थी, लेकिन अचानक गुजरात हाईकोर्ट के आदेश पर उन्हें भोपाल में 6 दिन के प्रशिक्षण पर भेज दिया गया। न्यायाधीश ने अपने फैसले का हवाला देते हुए इसके विरोध में छुट्टी की अर्जी दे दी। इस बीच न्यायाधीश त्रिवेदी का अचानक जामनगर में अतिरिक्त सेशन जज के रूप में तबादला कर दिया गया। उन्होंने जामनगर जाने के बजाए अपना इस्तीफा सौंप दिया।
गौरतलब है कि त्रिवेदी ओड दंगा मामले की सुनवाई पूरी कर चुकी थी। इसके अलावा दंगे से जुड़े दस्तावेजों व सबूतों का भी परीक्षण भी कर चुकी थी। अब इस मामले में नए न्यायाधीश की नियुक्ति होगी।
1 comment:
न्यायिक प्रशासन से तो आज और भी प्रभावित किया
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