सत्येन्द्र प्रताप सिंह
कल अचानक एक खबर फ्लैश हुई... ३ हिस्से में...
१- राहुल गाँधी प्रधानमंत्री से मिले (मुझे इसमें कोई खबर नहीं दिखी, लगा कि घर का मामला है, चाहे प्रधानमंत्री से वो मिलें या उन्हें घर पर बुला लें.)
२- संसद के अगले सत्र में आयेगा भूमि अधिग्रहण विधेयक (इसमें भी कुछ नया नहीं लगा, क्योंकि ये भी बयान कई स्रोतों से कई बार आ चुका है)
३- भट्टा परसौल गाँव के ८ किसानों को राहुल ने प्रधानमंत्री से मिलवाया (इसमें भी कोई खबर नहीं नजर आई, राहुल जिससे चाहें प्रधानमंत्री से मिलवा दे)
(घर पंहुचा तो रात को जी न्यूज़ देखने लगा. खबर आ रही थी कि राहुल ने प्रधानमंत्री को भट्टा परसौल की फोटो भी प्रधानमंत्री को दिखाई है, जिसमे १७ फीट ऊँचे राख की ढेर में ग्रामीणों की लाशों के जले अंश पड़े थे. वाकई ये बड़ा मामला है, जिसे उन्होंने उठाया. इस तरह की ख़बरें आ रही थीं, लेकिन दबे तौर पर और डर-डर कर. राहुल ने कहा, "हर ग्रामीण जनता है कि उनके परिजन १७ फीट की ऊँची राख की ढेर वाली चिता में जलाये गए हैं. महिलाओं के साथ बलात्कार हुए हैं.उनके घर जला दिए गए है."
पुण्य प्रसून वाजपेयी भी कहाँ छोड़ने वाले थे. उन्होंने भी सवाल उठा डाला कि क्या केंद्र सरकार किसान उन्मुखी नीतियां बनाएगी? क्या ऐसी कोई नीति मनमोहन लायेगे, जिसमे आम आदमी के लिए जगह हो?
एक सवाल मेरी ओर से भी. क्या वे फोटो २०१२ के उत्तर प्रदेश चुनाव में पोस्टर बनवाने के लिए ही राहुल ने खिचवाए थे? क्या किसानों और आम लोगो की जिंदगी का मोल सिर्फ इतना ही है?)
1 comment:
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