सत्येन्द्र प्रताप सिंह
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें आज 142 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई हैं। बढ़ती कीमतों की मार उड्डयन क्षेत्र पर पड़ रही हैं। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि इस उद्योग की रीढ़ टूट रही है।
भारतीय कंपनियां तो बेहाल हैं ही, एयर फ्रांस, कैथे पैसिफिक , सिंगापुर एयरलाइंस, क्वांटाज, एमिरेट्स और यहां तक कि ब्रिटिश एयरवेज भी दिवालिया होने के कगार पर पहुंच रही हैं। ऐसे में सस्ती उड़ानें ख्वाब बनती जा रही हैं।
हवाई ईंधन का प्रभाव
अगर भारत की बात करें तो पिछले छह महीने में हवाई ईंधन (एटीएफ) की कीमतें दोगुनी हो गई हैं। साथ ही भारत में विभिन्न करों के चलते अन्य देशों की तुलना में एटीएफ की कीमतें 60 प्रतिशत ज्यादा हैं। उदाहरण के लिए अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में एटीएफ 100 रुपये है तो घरेलू सेवा प्रदाताओं को इसके 165 रुपये और भारत में ईंधन लेने वाले अंतरराष्ट्रीय सेवा प्रदाताओं को 135 रुपये देने पड़ते हैं। भारतीय विमानन उद्योग में एटीएफ की कुल खपत 20 लाख किलोलीटर है। भारत में अप्रैल तक एक टिकट पर ईंधन सरचार्ज 1650 रुपये था, जो अब 2250 रुपये से 2950 रुपये हो गया है।
घरेलू सेवा प्रदाताओं का कहना है कि अगर अंतरराष्ट्रीय दरों पर ही घरेलू बाजार में एटीएफ मिलने लगे तो इससे उन्हें सालाना 5000 से 5500 करोड़ रुपये का फायदा होगा, जो चालू वित्त वर्ष में हुए 8,000-10000 रुपये के कुल घाटे का करीब आधा है। हालत यह है कि सभी विमानन कंपनियां घाटे में चली गई हैं। जेट एयरवेज को 2007-08 की चौथी तिमाही में 221 करोड़ रुपये का घाटा हुआ, जबकि पिछले साल इसी तिमाही में कं पनी को 88 करोड़ का फायदा हुआ था।
स्पाइस जेट को 2008 में समाप्त वित्त वर्ष में 133.5 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। कंपनी का प्रतिदिन का घाटा 50 से 75 लाख रुपये हो गया है। कंपनी के परिचालन खर्च में 87 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। स्पाइस जेट के कुल खर्च में एटीएफ का योगदान 45 प्रतिशत है।
कंपनियों के बचाव के तरीके
स्पाइस जेट ने जयपुर की उड़ानें रद्द कर दी हैं और अपनी उड़ानों की संख्या 117 से घटाकर 97 कर दी हैं। इसी तरह से किंगफिशर एयरलाइंस ने 17 और डेक्कन एयरलाइंस ने 20 उड़ानें खत्म की हैं। एयर इंडिया ने मुंबई-चेन्नई-मुंबई मार्ग पर उड़ानें कम की हैं और वह अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में भी कटौती की योजना बना रही है।
गो एयर के प्रबंध निदेशक जो वाडिया ने कहा है कि हम कंपनी का आकार घटा रहे हैं। उड़ानों की संख्या में कटौती की गई है, कुछ मार्गों पर परिचालन बंद कर दिया गया है। इसके साथ ही जेट एयरवेज, किंगफिशर एयरलाइंस और एयर इंडिया ने ट्रैवल एजेंटों को दिए जाने वाले कमीशन में 5 प्रतिशत की कमी करने की घोषणा की है।
मार गई महंगाई
ऐसा नहीं है कि कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी ही विमानन कंपनियों को मार रही है। बढ़ती महंगाई के चलते हवाई यात्रा करने वाले लोगों की संख्या में भी कमी आई है। एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक गोवा, पटना, तिरुवनंतपुरम, श्रीनगर- यहां तक कि जम्मू, उदयपुर और जोधपुर जैसे पर्यटन स्थलों पर जाने वाले यात्रियों की संख्या में कमी आई है। पिछले 4 साल से हवाई यात्रा करने वालों की संख्या में 30-40 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो रही थी, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो यह बढ़ोतरी एक अंक तक सिमट गई है।
बेंगलुरु और हैदराबाद में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बने और 35 नान मेट्रो शहरों में एयरपोर्ट के विस्तार और नवीकरण की योजना बन रही थी, अब वह भी धराशायी होती नजर आ रही है। कंपनियों ने विस्तार योजनाएं रोक दी हैं। महंगाई इस कदर बढ़ी है कि दाल-चावल का जुगाड़ करने में ही आम लोगों के पसीने छूट रहे हैं। बढ़ता किराया हवाई उड़ान का आनंद लेने का सपना सजोने वालों को हकीकत से दूर ले जा रहा है। बिजनेस क्लास में यात्रा करने वाले इकनॉमी क्लास में यात्रा करने लगे हैं। गालिब के शब्दों में कहें तो-
निकलना खुल्द से आदम का सुनते आए थे लेकिन,
बहुत बे-आबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले।
courtsy: bshindi.com
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें आज 142 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई हैं। बढ़ती कीमतों की मार उड्डयन क्षेत्र पर पड़ रही हैं। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि इस उद्योग की रीढ़ टूट रही है।
भारतीय कंपनियां तो बेहाल हैं ही, एयर फ्रांस, कैथे पैसिफिक , सिंगापुर एयरलाइंस, क्वांटाज, एमिरेट्स और यहां तक कि ब्रिटिश एयरवेज भी दिवालिया होने के कगार पर पहुंच रही हैं। ऐसे में सस्ती उड़ानें ख्वाब बनती जा रही हैं।
हवाई ईंधन का प्रभाव
अगर भारत की बात करें तो पिछले छह महीने में हवाई ईंधन (एटीएफ) की कीमतें दोगुनी हो गई हैं। साथ ही भारत में विभिन्न करों के चलते अन्य देशों की तुलना में एटीएफ की कीमतें 60 प्रतिशत ज्यादा हैं। उदाहरण के लिए अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में एटीएफ 100 रुपये है तो घरेलू सेवा प्रदाताओं को इसके 165 रुपये और भारत में ईंधन लेने वाले अंतरराष्ट्रीय सेवा प्रदाताओं को 135 रुपये देने पड़ते हैं। भारतीय विमानन उद्योग में एटीएफ की कुल खपत 20 लाख किलोलीटर है। भारत में अप्रैल तक एक टिकट पर ईंधन सरचार्ज 1650 रुपये था, जो अब 2250 रुपये से 2950 रुपये हो गया है।
घरेलू सेवा प्रदाताओं का कहना है कि अगर अंतरराष्ट्रीय दरों पर ही घरेलू बाजार में एटीएफ मिलने लगे तो इससे उन्हें सालाना 5000 से 5500 करोड़ रुपये का फायदा होगा, जो चालू वित्त वर्ष में हुए 8,000-10000 रुपये के कुल घाटे का करीब आधा है। हालत यह है कि सभी विमानन कंपनियां घाटे में चली गई हैं। जेट एयरवेज को 2007-08 की चौथी तिमाही में 221 करोड़ रुपये का घाटा हुआ, जबकि पिछले साल इसी तिमाही में कं पनी को 88 करोड़ का फायदा हुआ था।
स्पाइस जेट को 2008 में समाप्त वित्त वर्ष में 133.5 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। कंपनी का प्रतिदिन का घाटा 50 से 75 लाख रुपये हो गया है। कंपनी के परिचालन खर्च में 87 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। स्पाइस जेट के कुल खर्च में एटीएफ का योगदान 45 प्रतिशत है।
कंपनियों के बचाव के तरीके
स्पाइस जेट ने जयपुर की उड़ानें रद्द कर दी हैं और अपनी उड़ानों की संख्या 117 से घटाकर 97 कर दी हैं। इसी तरह से किंगफिशर एयरलाइंस ने 17 और डेक्कन एयरलाइंस ने 20 उड़ानें खत्म की हैं। एयर इंडिया ने मुंबई-चेन्नई-मुंबई मार्ग पर उड़ानें कम की हैं और वह अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में भी कटौती की योजना बना रही है।
गो एयर के प्रबंध निदेशक जो वाडिया ने कहा है कि हम कंपनी का आकार घटा रहे हैं। उड़ानों की संख्या में कटौती की गई है, कुछ मार्गों पर परिचालन बंद कर दिया गया है। इसके साथ ही जेट एयरवेज, किंगफिशर एयरलाइंस और एयर इंडिया ने ट्रैवल एजेंटों को दिए जाने वाले कमीशन में 5 प्रतिशत की कमी करने की घोषणा की है।
मार गई महंगाई
ऐसा नहीं है कि कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी ही विमानन कंपनियों को मार रही है। बढ़ती महंगाई के चलते हवाई यात्रा करने वाले लोगों की संख्या में भी कमी आई है। एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक गोवा, पटना, तिरुवनंतपुरम, श्रीनगर- यहां तक कि जम्मू, उदयपुर और जोधपुर जैसे पर्यटन स्थलों पर जाने वाले यात्रियों की संख्या में कमी आई है। पिछले 4 साल से हवाई यात्रा करने वालों की संख्या में 30-40 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो रही थी, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो यह बढ़ोतरी एक अंक तक सिमट गई है।
बेंगलुरु और हैदराबाद में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बने और 35 नान मेट्रो शहरों में एयरपोर्ट के विस्तार और नवीकरण की योजना बन रही थी, अब वह भी धराशायी होती नजर आ रही है। कंपनियों ने विस्तार योजनाएं रोक दी हैं। महंगाई इस कदर बढ़ी है कि दाल-चावल का जुगाड़ करने में ही आम लोगों के पसीने छूट रहे हैं। बढ़ता किराया हवाई उड़ान का आनंद लेने का सपना सजोने वालों को हकीकत से दूर ले जा रहा है। बिजनेस क्लास में यात्रा करने वाले इकनॉमी क्लास में यात्रा करने लगे हैं। गालिब के शब्दों में कहें तो-
निकलना खुल्द से आदम का सुनते आए थे लेकिन,
बहुत बे-आबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले।
courtsy: bshindi.com
2 comments:
महंगाई की मार से सरकार को सबक लेनी चाहिए। असल में भारत अब भी गरीबों का देश है और महंगाई का असली असर इन्हीं गरीबों पर पड़ता है। पहले ऐसा कहा जाता था कि रोटी कपड़ा और मकान बुनियादी जरूरतें हैं, लेकिन वर्तमान हालात को देखते हुए सरकार लोगों को रोटी ही मुहैया करा दे तो काफी है। हवाई जहाज की यात्रा करना तो हवाई किला बनाने जैसी बात होगी।
हर बड़ी मंदी में खुद से कुछ कम बड़ी मछलियों को उन से बडी़ मछलियां खा जाती है और उन के आहार क्षेत्र पर कब्जा कर लेती हैं। सब से छोटी मछलियों को तो आहार ही बनना है। खाने वाली मछली सबसे बड़ी हो या उस से छोटी। खाए जाने के बाद तो वह कहने आने से रही कि देखो मुझे सब से बड़ी मछली ने खाया।
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