Tuesday, July 22, 2008

बिगड़ेगा कृषि उत्पादों का संतुलन!


सत्येन्द्र प्रताप सिंह



भारत में मानसूनी बारिश से जहां कुछ इलाकों में खुशी का माहौल हैं, वहीं ज्यादातर इलाकों में हालत बेहद निराशाजनक है।

दक्षिण और दक्षिण-पश्चिमी भारत में मानसूनी बारिश कम होने की वजह से गन्ना और कपास के उत्पादन में खासी गिरावट का अनुमान लगाया जा रहा है। इसके साथ ही किसानों का कपास और गन्ने जैसी नकदी फसलों से भी मोहभंग हुआ है और किसान धान की खेती की ओर पलायन कर चुके हैं।

कृषि वैज्ञानिक इस साल 30 लाख टन अधिक धान उत्पादन का अनुमान लगा रहे हैं। मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक दक्षिण पश्चिमी भागों- गुजरात के सौराष्ट्र में 24 प्रतिशत कम वर्षा हुई, वहीं कोंकण और गोवा में 22 प्रतिशत, मध्य महाराष्ट्र और विदर्भ के इलाकों में 16 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ में 41 प्रतिशत, तटीय आंध्रप्रदेश में 36 प्रतिशत कम बारिश हुई है। इन इलाकों में पिछले साल 8 प्रतिशत से लेकर 130 प्रतिशत अधिक बारिश हुई थी।

इसके अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश में पिछले साल जहां 24 प्रतिशत कम वर्षा हुई थी, वहीं इस साल 79 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 71 प्रतिशत ज्यादा वर्षा हुई है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों के एक सर्वेक्षण के मुताबिक इस साल 30 लाख टन धान अधिक उत्पादन होने का अनुमान है। पिछले साल धान का कुल उत्पादन 956.80 लाख टन था।

बारिश के इन आकड़ों के आधार पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान के फार्म इंजिनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. गिरीश चंद्र मिश्र ने बताया, 'पिछले साल जहां 47.1 लाख हेक्टेयर जमीन पर धान की रोपाई हुई थी वहीं इस साल कुल 56 लाख हेक्टेयर पर रोपाई हुई है। यही प्रमुख वजह है जिसके चलते धान का उत्पादन इस साल 30 लाख टन अधिक होने का अनुमान है। इसके अलावा किसान हाइब्रिड बीजों की ओर आकर्षित हो रहे हैं, जिससे उपज में बढ़ोतरी होगी।'

सबसे दुखद पहलू यह है कि सरकार की नीतियों के चलते किसानों ने कपास और गन्ने की ओर से मुंह मोड़ लिया है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक 19 प्रतिशत अधिक क्षेत्रफल में धान की रोपाई का सीधा असर कपास उत्पादन पर पडेग़ा। इसके साथ ही सौराष्ट्र में 24 प्रतिशत कम बारिश होने और मराठवाड़ा में 65 प्रतिशत कम बारिश का असर भी कपास उत्पादन पर पड़ेगा। भारत सरकार ने मौसम के हिसाब से देश को कुल 36 डिवीजन में विभाजित किया है। इसमें से 14 सब-डिवीजन में ज्यादा, 8 में सामान्य और 13 में कम वर्षा हुई है।

अगर उत्तर प्रदेश की बात करें तो 62 जिलों में अधिक, 5 में सामान्य और 5 जिलों में कम बारिश हुई है। दिलचस्प है कि मौसम विभाग के पास उत्तर प्रदेश के 15 जिलों की बारिश के आंकड़े ही उपलब्ध नहीं हैं। प्रो. मिश्र ने बताया, 'इस साल वर्षा का वितरण बेहतर रहा है जिसकी वजह से धान की रोपाई में सुविधा हुई। किसानों ने पिछले साल की तुलना में 19 प्रतिशत ज्यादा क्षेत्रफल में रोपाई की। इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि पिछले कपास की तुलना में उन्हें धान की खेती से ज्यादा लाभ मिला। लेकिन इसका खामियाजा कपास की खेती से जुड़े उद्योगों को भुगतना पड़ सकता है।'

courtesy: bshindi.com

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