Tuesday, May 3, 2011

अब गोलियाँ खाने लगे हैं गोरखपुर के मजदूर...

सत्येन्द्र प्रताप सिंह

खबर के मुताबिक गोरखपुर की अंकुर फैक्ट्री गोलीकांड में १६ मजदूर घायल हो गए हैं. फैक्ट्री मालिक अशोक जालान कहा कि सारा हंगामा मजदूरों ने किया। फैक्ट्री पर मजदूरों ने ही पहले पथराव किया और बाद में फैक्ट्री के अंदर घुस कर फायरिंग भी की, जिससे उनके ही साथी घायल हो गये। मजदूरों का कहना है कि फैक्ट्री मालिक द्वारा बुलाये गये गुण्डों ने फैक्ट्री के अंदर से गोली चलायी. खोराबार थाना क्षेत्र के खोड़ा बनियवटा गांव निवासी पप्पू जायसवाल (27 वर्ष) की हालत गंभीर है।
जबरदस्त हालात हैं. गोरखपुर में आंदोलन पिछले ३ साल से सामने आ रहा है. स्थानीय भाजपा नेताओं ने प्रचार किया कि माओवादी गोरखपुर में घुस गए हैं और वे अशांति फैलाये हुए हैं. हालाँकि कुछ लोगों ने माना भी होगा, कुछ लोगों ने नहीं माना होगा. लेकिन परेशान मजदूरों की संख्या बढ़ी ही होगी, जिसके चलते वे और लामबंद हुए हैं!
फिर वही राग. माओवादी और नक्सल वादी मजदूरों को भड़का रहे हैं! मजदूरों की ओर से घटना के बाद मजदूर संगठन गोरखपुर के कमिश्नर के रवींद्र नायक से मिलने गए तो मजदूरों के नेता प्रशांत और तपिश से कमिश्नर ने उन पर बाहरी और मजदूरों को भडकाने का आरोप लगाया.
मजे की बात ये है कि गोली चलाने के मामले में जिस प्रदीप सिंह का नाम आ रहा है, उसे पुलिस ने नहीं पकड़ा. मजदूर गोली चलाने वालों को घेरे रहे, लेकिन न तो किसी हथियार की वरामदगी दिखाई गई और न ही कोई आधिकारिक तौर पर गिरफ्तार हुआ है.
प्रशासन को फैक्ट्री मालिक का ये तर्क खूब समझ में आ रहा है कि मजदूरों ने अपने ही साथियों से खुद अपने ऊपर गोलियाँ चलवाईं, लेकिन गोली चलाने वाले फैक्ट्री में जमे रहे.. मजदूर उन्हें घेरे रहे और फिर चले गए... उन्हें छूने की हिम्मत प्रशासन नहीं दिखा पाया. या कहें कि व्यवस्था की मजबूरी के चलते कुछ नहीं कर सका. एक फैक्ट्री गार्ड को गिरफ्तार किया गया है (वो भी बेचारा २००० रूपये महीने की नौकरी करता होगा!).

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

सम्बन्ध बिगड़ना दुर्भाग्यपूर्ण।